कैप्टन के बोल पर उखड़े लोग,कहा-अरूसा से मिलने क्यों जाते हो पाक

punjabkesari.in Tuesday, Nov 27, 2018 - 08:48 AM (IST)

जालंधर(रविंदर): भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर श्री करतारपुर साहिब कॉरीडोर के नींव पत्थर के दौरान मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह पाकिस्तान व वहां के आर्मी चीफ बाजवा पर जमकर बरसे। साथ ही कहा कि जब तक आतंकवाद को पाकिस्तान शह देता रहेगा और पंजाब के लोग मरते रहेंगे, तब तक वह पाकिस्तान की धरती पर पैर नहीं रखेंगे। पंजाब की सियासत में कैप्टन के इस बयान को कई तरीके से देखा जा रहा है। इसके सियासी मायने चाहे कुछ भी हों, मगर पंजाब के लोगों ने कैप्टन के ही फेसबुक पेज पर कैप्टन के इस बयान को लेकर जमकर भड़ास निकाली है। लोगों ने इसे कैप्टन का दोगलापन करार दिया है। 

कैप्टन जी क्या अरूसा यू.के. से आई है
कैप्टन के फेसबुक पेज पर अजय पासवान कहते हैं कि अरूसा कौन सा यू.के. से आई  है। वह भी तो पाकिस्तान से ही है। उसको पंजाब में सरकारी कोठी, सरकारी सिक्योरिटी में तो रखा जा सकता है, मगर पाकिस्तान के इस अच्छे कदम पर साथ देने कैप्टन पाकिस्तान नहीं जा सकता।  

कारगिल युद्ध के बाद पाक क्यों गए थे कैप्टन
सतिंद्रजीत सिद्धू कहते हैं कि फिर तो यू.के. भी नहीं जाना चाहिए। अंग्रेजों ने कई साल भारत में रह कर पता नहीं कितने देशवासियों को मार दिया। चलो सिद्धू अकेला ही काफी है जिसकी गुरु नानक देव जी ने सेवा लगाई है।  उन्होंने कहा कि कैप्टन जब 2004 में पाकिस्तान गए थे तो वहीं अरूसा से मुलाकात हुई थी। इससे 5 साल पहले ही कारगिल की लड़ाई हुई थी और सैंकड़ों फौजी मारे गए थे। क्या तब कैप्टन को पाकिस्तान की मुखालफत याद नहीं आई थी। साथ ही बादल परिवार को भी आड़े हाथों लेते हुए वह कहते हैं कि बादल परिवार भी पाक जाने को बेहद उत्सुक था। मगर पाकिस्तान ने उन्हें न्यौता ही नहीं दिया। दलजीत सिंह काहलों कहते हैं कि फिर अरूसा को कैप्टन कब छोड़ने जा रहे हैं, वह भी तो पाकिस्तान की है। क्यों सिख मसलों पर ही इन नेताओं को सियासत सूझती है। 

पंजाबियों को बेवकूफ बना रहे है कैप्टन
सुरिन्द्र पाल सिंह औलख भी तीखे स्वर में कहते हैं कि यह सियासत नहीं तो और क्या है। अरूसा को तो अपने पास रखना है मगर खुद पाकिस्तान नहीं जाना। अपने किसी मंत्री को भी पाकिस्तान जाने से नहीं रोकना। मनजोत सिंह कंग कहते हैं कि 1984 के मुद्दे पर इस्तीफा देकर आज उसी पार्टी का राजभाग भोग रहे हो, पंजाबियों को बेवकूफ बना रहे हो। सरकारी कोठी व सरकारी सिक्योरिटी पंजाब के लोगों के खर्चे पर और ऐश खुद।

संदीप भुल्लर कहते हैं कि जब पहले मुख्यमंत्री बनकर वहां गए थे और घोड़े व तोपें लेकर आए थे, तब क्या पाकिस्तान यहां अटैक नहीं करवा रहा था, क्या तब हमारे नागरिक व फौजी नहीं मर रहे थे। कुल मिलाकर कैप्टन के पाकिस्तान न जाने के फैसले को अधिकतर लोगों ने सियासी कदम बताते हुए आड़े हाथों लिया है और साथ ही नसीहत भी दी है कि बाबा नानक ने मिल-जुलकर रहने व संवाद से हर समस्या के हल का संदेश दिया था। तो क्या कैप्टन को बाबा नानक के शब्द भी याद नहीं और क्यों वह भूल गए कि जब बर्लिन की दीवार गिर सकती है तो पाकिस्तान भी सुधर सकता है, मगर संवाद तो जरूरी है। 

swetha