मुख्यमंत्री की कुर्सी दाव पर लगा कर अमरेंद्र ने की पंजाब और किसानों के हितों की रखवाली

punjabkesari.in Friday, Oct 23, 2020 - 10:01 AM (IST)

चंडीगढ़/पटियाला (राजेश पंजोला) : मुख्यमंत्री की कुर्सी दाव पर लगा कर कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने पंजाब और किसानों के हितों की रखवाली की। कैप्टन का यह कार्य देश भर में कांग्रेस और राहुल गांधी को मजबूत करेगा। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह नेे विधान सभा का विशेष सैशन बुला कर जिस दिलेरी के साथ केंद्र सरकार की तरफ से पास किए गए खेती विरोधी काले कानूनों को रद्द करके पंजाब और किसानों  के  हितों  की  रखवाली की है, उसके कारण कैप्टन अमरेंद्र सिंह एक बार फिर से पंजाब, पंजाबियत, किसान, किसानी के रखवाले साबित हुए हैं। इससे पहले साल 2002 वाली सरकार में कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने पंजाब के पानियों की रक्षा करने के लिए केंद्र सरकार की परवाह न करते हुए पानियों से संबंधित किए समझौते रद्द कर दिए थे, जिस करके उनको पंजाब के लोगों ने ‘पानियों का रखवाला’ का खिताब देकर नवाजा था। 

बेशक इस तरह के खिताब सरकारें या राष्ट्रपति की तरफ से दिए जाते हैं परन्तु यह खिताब पंजाब की जनता ने दिया था। यही कारण है कि पंजाब के लोग कैप्टन को अपना मसीहा मानते हैं। अपना राजनीतिक अस्तित्व बचाने के लिए बेशक शिरोमणि अकाली दल ने पंजाब के लोगों के गुस्सा से डरते हुए पहले हरसिमरत कौर बादल का केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दिलाया और बाद में एन.डी.ए. में से बाहर आ गए परन्तु इसका अकाली दल को फायदा नहीं मिला। मुख्यमंत्री  कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने अपनी सी.एम.  की  कुर्सी  की परवाह किए बिना जो केंद्रीय कानून रद्द करके किसानों के हितों की रक्षा के लिए 3 स्टेट कानून पास किए, उस कारण पंजाब के किसान ही नहीं बल्कि आम लोग भी कैप्टन के मुरीद हो गए हैं। बेशक केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एक मजबूत सरकार है, जिससे विरोधी पार्टियों के नेता डरते हैं परंतु कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने जिस तरह सीना तान कर केंद्र के साथ लड़ाई लड़ी है, उसने साबित कर दिया है कि सिर्फ कैप्टन अमरेंद्र सिंह ही पंजाब के हितों की रखवाली कर सकते हैं। यदि ये कानून पंजाब में लागू हो जाते तो इसके साथ सिर्फ किसान ही नहीं बल्कि पंजाब की पूरी अर्थ व्यवस्था ढेर हो जानी थी क्योंकि पंजाब की आर्थिकता कृषि पर आधारित है और केंद्र के कानून कृषि को तबाह करने वाले हैं।

पंजाब के किसानों के लिए कृषि धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक तीनों पक्षों से जुड़ी हुई है, इसलिए केंद्र सरकार का इस पर हमला कैप्टन अमरेंद्र सिंह किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं कर सकते थे। उन्होंने अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी की परवाह किए बिना केंद्र को स्पष्ट कह दिया कि बेशक मोदी सरकार उनकी सरकार तोड़ दे परन्तु वह मोदी सरकार को किसानों की कमर नहीं तोडऩे देंगे। पंजाब के किसान के लिए एम.एस.पी. उतनी ही जरूरी है, जितनी किसी मनुष्य को जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत होती है। एम.एस.पी. और मंडीकरण व्यवस्था पंजाब की अक्सीजन है। यदि यह ऑक्सीजन उतार दी तो पंजाब तबाह हो जाएगा, जिस करके ही कैप्टन ने सख्त स्टैंड लिया और अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी को दाव पर लगा कर केंद्र के कानून रद्द करके दूसरे राज्यों की सरकारों को रास्ता बता दिया है कि वे भी अपनी-अपनी विधानसभा में इस तरह के कानून पास करें। कैप्टन अमरेंद्र सिंह की पृष्ठभूमि बताती है कि वह हमेशा पंजाब, किसानों और पंजाबियत के हकों के लिए खड़े हुए हैं। अब किसानों के हक में पंजाब विधानसभा में प्रस्ताव पास करके और केंद्रीय की मोदी सरकार के  बनाए  हुए  बिल  रद्द करके पंजाब का सच्चा सपूत होने का सबूत दिया है। कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने पंजाब और सिखों के हितों के लिए 1984 में अपनी पार्टी कांग्रेस और लोकसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया था। 1986 में पंजाब की बरनाला सरकार के ब्लैक थंडर के विरोध में मंत्री का पद त्याग दिया था। इसी तरह 2004 में पंजाब के पानियों की रक्षा के लिए पंजाब विधानसभा के अंदर प्रस्ताव पास करके पुराने समझौते रद्द कर दिए थे, जिस कारण पंजाब के पानियों की रक्षा हुई थी। पंजाब के आढ़ती, व्यापारी भी मोदी सरकार के कृषि विरोधी कानूनों के खिलाफ हो गए हैं, जिस कारण पंजाब का राजनैतिक वातावरण कैप्टन अमरेंद्र सिंह के कारण कांग्रेस के रंग में रंगा नजर आ रहा है। 

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