सावधान! कहीं आपके स्वास्थ्य को बिगाड़ न दे गुड़

punjabkesari.in Sunday, Dec 29, 2019 - 12:08 PM (IST)

काठगढ़(राजेश): गुड़ हमारी खुराक में पुराने समय से ही शामिल है और आयुर्वेद में गुड़ को औषधि का रूप दिया गया है। गुड़ हमारे शरीर को ताकत ही नहीं देता बल्कि कई रोगों के उपचार में भी रामबाण का कार्य करता है। गुड़ को खुशी के अवसर पर और लोहड़ी के त्यौहार पर अहम माना जाता है।

समय की भागदौड़ में बड़ी गिनती में स्थापित हुई चीनी मिलों व जमींदारों द्वारा गुड़ बनाने की रुचि बेशक कम हो गई है लेकिन लोगों में गुड़ खाने और इसकी चाय पीने की दिलचस्पी में कोई असर नहीं पड़ा है। वहीं आज पंजाब में सड़कों के किनारे अधिक मात्रा में गुड़ तैयार करते प्रवासियों (सभी गुड़ बनाने वाले नहीं) द्वारा गुड़ बनाने में जो विधि या तरीका अपनाया जा रहा है उस गुड़ के खाने से आम लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। गुड़ खाने पर मुंह में अजीब चीरे (कट) जैसे महसूस होते हैं जबकि लिवर व अन्य आंतरिक सिस्टम में भी विकार पैदा हुए महसूस होते हैं। रोजाना ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा त्यौहारों के अवसर पर या आमतौर पर विभिन्न खाने-पीने की दुकानों आदि के सैंपल भरे जाते हैं परन्तु उक्त गुड़ बनाने वाले प्रवासियों के डेरों की ओर शायद उनका ध्यान नहीं जाता। ऐसे में घटिया किस्म के गुड़ से लोगों का स्वास्थ्य दाव पर लग रहा है और लोग गुड़ खाकर धीरे-धीरे खतरनाक बीमारियों की चपेट में आते जा रहे हैं, जिसका व्यक्ति को कोई पता नहीं लगता।


सांस की तकलीफ, दमा, जिगर, गुर्दे की बीमारी घेर रही 
काठगढ़ के अस्पताल में तैनात एस.एम.ओ. डा. गुरजिन्द्रजीत सिंह ने बताया कि पंजाब के जमींदारों द्वारा गुड़ तैयार किया जाता था। इस गुड़ से शरीर तंदरुस्त व मजबूत होता था परन्तु आजकल जो कुछ प्रवासियों द्वारा गुड़ तैयार किया जाता है उसके प्रयोग से व्यक्ति को सांस की तकलीफ, दमा, जिगर, गुर्दे आदि की बीमारियां घेर रही हैं। आज पैसे को मुख्य रखते हुए घटिया किस्म की खाने वाली वस्तुएं तैयार की जा रही हैं। गुड़ तैयार करने के लिए प्रयोग किए जाते घटिया सामान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। देशी वैद्य डा. जोगिन्द्रपाल दत्ता का कहना है कि आजकल बिक रहा गुड़ (सभी नहीं) स्वास्थ्य के लिए काफी घटिया सिद्ध होता है। इससे व्यक्ति कई प्रकार के  विकारों का शिकार हो जाता है। व्यक्ति गुड़ काफी खुशी से खाता है, परन्तु इस गुड़ के सेवन से उसके आंतरिक सिस्टम में काफी खराबी हो रही है। जैसे फेफड़े, जिगर, गुर्दे आदि प्रभावित होते हैं। इस ओर स्वास्थ्य विभाग को उचित ध्यान देने की जरूरत है।



गुड़ तैयार करने में इन वस्तुओं का होता है प्रयोग
‘पंजाब केसरी’ की टीम ने सड़क किनारे चल रहे गुड़ बनाने के कारखाने में जाकर देखा तो वहां एक बड़े ड्रम में भिंडी की सूखी जड़ों सहित पानी में पड़े पौधे, एक डिब्बे में अरंडी का तेल और मीठा सोडा रखा हुआ था। गुड़ बनाने वालों के अनुसार उक्त सामान गुड़ बनाने के लिए प्रयोग किया जाना था।

सैंपल फेल होने पर किया जुर्माना
असिस्टैंट फूड कमिश्रर नवांशहर डा. मनोज खोसला से बातचीत करने की कोशिश की तो उनके छुट्टी पर होने के चलते उनसे संपर्क नहीं हुआ। इस पर सिविल अस्पताल नवांशहर तैनात फूड सेफ्टी अधिकारी राखी विनायक से बात की तो उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष गुड़ के सैंपल भरे गए थे और जिनके सैंपल फेल पाए गए उन्हें जुर्माना किया गया था।

जुर्माने के बाद भी नहीं आया बदलाव
इसमें कोई शक नहीं कि सैंपल फेल पाए जाने वालों को जुर्माने लगाए गए लेकिन गुड़ बनाने के ढंगों में कोई बदलाव नहीं आया जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए ङ्क्षचता का विषय है।

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