जहरीले ब्यास पर दोषी कर्मियों को हो सकती है 5 साल जेल

punjabkesari.in Saturday, May 26, 2018 - 09:46 AM (IST)

चंडीगढ़ (अश्वनी): बेशक पंजाब सरकार ने चड्ढा शूगर एंड इंडस्ट्री प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की कार्रवाई को कागजी औपचारिकताओं में उलझा दिया हो लेकिन एन्वायरनमैंट प्रोटैक्शन एक्ट, 1986 के तहत इंडस्ट्री पर शिकंजा कसना तय है। 

 

इंडस्ट्री को पर्यावरण कानून के तहत मंजूरी जल्द छिन सकती है। इस कानून के सैक्शन 15 के तहत नियमों के उल्लंघन की बात प्रमाणित होने पर मिल कर्मचारियों को 5 साल की जेल और एक लाख रुपए तक के जुर्माने की सजा हो सकती है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने इसके लिए कमर कस ली है। बाकायदा इंडस्ट्री को दी गई एन्वायरनमैंट क्लीयरैंस को रिव्यू किया जा रहा है ताकि जल्द से जल्द कानूनी कार्रवाई की जा सके। अभी तक की जांच में कई बड़ी खामियां पाई गई हैं। इंडस्ट्री को 2011 में एन्वायरनमैंट क्लीयरैंस दी गई थी। इस दौरान इंडस्ट्री पर कुछ शर्तें लगाई गई थीं लेकिन कई शर्तों का पालन नहीं किया गया। 

 

इंडस्ट्री ने शर्तों को ताक पर रखते हुए क्षमता से ज्यादा उत्पादन किया जिसकी वजह से शीरे का टैंक फट गया जिससे हजारों की तादाद में मछलियां मर गईं और पर्यावरण को गंभीर नुक्सान पहुंचा। पर्यावरण मंजूरी के तहत इंडस्ट्री को हवा व पानी संबंधी प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए टाइम बाऊंड एक्शन प्लान तैयार करना था जो नहीं किया गया। साथ ही पर्यावरण मंत्रालय को समय-समय पर कम्प्लायंस रिपोर्ट भी जमा नहीं करवाई। 


चड्ढा शूगर इंडस्ट्री को उद्योग से निकलने वाली गंदगी पर ‘जीरो डिस्चार्ज’ की नीति अपनानी थी लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इंडस्ट्री ने साथ बहने वाली छोटी नदी को गंदगी फैंकने के लिए इस्तेमाल किया। वहीं इंडस्ट्री से निकलने वाले स्पैंट वॉश के बायोकम्पोस्टिंग के लिए एहतियाती कदम नहीं उठाए।  वहीं कार्पाेरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी की शर्त का भी जमकर उल्लंघन किया। 

 

कार्पाेरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत इंडस्ट्री को आसपास के इलाके में सामाजिक व आर्थिक हालातों को बेहतर बनाने के लिए प्रयास करने थे लेकिन इंडस्ट्री ने फिजिकल एंड फाइनैंशियल प्रोग्रैस का कोई ब्यौरा नहीं दिया। 

 

प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड का एक्सियन व एस.डी.ओ. निलम्बित

 कीड़ी अफगाना शराब फैक्टरी-कम-शूगर मिल दुर्घटना में पंजाब सरकार ने आज एक सख्त कार्रवाई करते हुए प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के एक्सियन कुलदीप सिंह तथा एस.डी.ओ. अमृतपाल सिंह चाहल को इस मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में तुरंत निलम्बित कर दिया है।  जानकारी अनुसार पंजाब के पर्यावरण मंत्री ओम प्रकाश सोनी ने इस मामले को गम्भीरता से लिया है क्योंकि ए.बी. ग्रेन स्प्रिट लिमिटिड-कम-शूगर मिल कीड़ी अफगाना में 16 मई को अचानक एक टैंक में से शीरा गर्म होकर उबलने से एक रजबाहे के माध्यम से ब्यास दरिया में चला गया था और ब्यास दरिया में पानी के ऊपर शीरा की परत जमने के कारण लगभग 10 लाख मछलियां मारी गई थीं और वातावरण पर भी इसका विपरीत असर पड़ा था, जिस संबंधी मंत्री ने समय-समय पर इस मिल की प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड द्वारा गहनता से चैकिंग न करने के कारण हुई दुर्घटना के लिए एक्सियन कुलदीप सिंह व एस.डी.ओ. अमृतपाल सिंह को आरोपी ठहराते हुए निलम्बित करने का आदेश दिया।

 

पर्यावरण मंजूरी छिनने से नहीं चलेगी इंडस्ट्री 
पर्यावरण मंजूरी छिनने से इंडस्ट्री अपना कामकाज चालू नहीं कर पाएगी। हालांकि दोबारा से पर्यावरण मंजूरी देने का प्रावधान है लेकिन इंडस्ट्री के खिलाफ पर्यावरण कानून के तहत वॉयलेशन का मामला दर्ज होगा। पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों की मानें तो पर्यावरण कानून के किसी भी निर्देश या आदेश के उल्लंघन पर 5 साल की सजा का प्रावधान है। वहीं अगर इंडस्ट्री को कई स्तर पर वॉयलेशन का दोषी पाया जाता है या दोबारा उल्लंघन करता है तो यह सजा 7 साल की हो सकती है।

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