इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट के चेयरमैन आहलूवालिया का भ्रष्टाचार के मामले में दोहरा पैमाना

punjabkesari.in Tuesday, Feb 25, 2020 - 08:40 AM (IST)

जालंधर(चोपड़ा): इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट कार्यालय पहले ही अपने कारनामों को लेकर काफी चर्चा में है, वहीं बदहाली व कर्ज में डूबे ट्रस्ट पर रोजाना किसी न किसी मामले में ट्रस्ट के चेयरमैन दलजीत सिंह आहलूवालिया व ई.ओ. के जारी हो रहे अरैस्ट वारंटों के चलते ट्रस्ट की खासी जगहंसाई हो रही है, परंतु अब ट्रस्ट चेयरमैन दलजीत सिंह आहलूवालिया का भ्रष्टाचार के मामले में दोहरा पैमाना शहर में चर्चा का विषय बन रहा है। हालांकि चेयरमैन आहलूवालिया का पूर्व ई.ओ. सुरिन्द्र कुमारी के साथ चलता आया छत्तीस का आंकड़ा किसी से छिपा नहीं है। 

ई.ओ. की बदली करवाने को चेयरमैन ने प्रदेश कांग्रेस प्रभारी, मुख्यमंत्री लॉबी व निकाय मंत्री ब्रह्म महिन्द्रा सहित कोई ऐसा दरवाजा नहीं छोड़ा जिसको उन्होंने खटखटाया न हो। आखिरकार चेयरमैन ई.ओ. को बदलवाने में सफल तो हुए परंतु विगत कल एक सीनियर सहायक को बदलवाने को लेकर चेयरमैन दलजीत सिंह आहलूवालिया ने जो हथकंडा अपनाया है वह जल्द ही उनके खुद के गले की फांस बन सकता है। चेयरमैन ने एड़ी-चोटी का जोर लगाकर एक ऐसे अधिकारी जतिन्द्र सिंह को सुरिन्द्र कुमारी के स्थान पर ट्रस्ट का ई.ओ. लगवाया है जोकि खुद ही भ्रष्टाचार के मामलों में आरोपी है। 

जतिन्द्र सिंह के खिलाफ इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट बरनाला के मामले में उन्हें चार्जशीट कर सस्पैंड किया गया था जबकि इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट पठानकोट के एक मामले में उनके खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज होने पर वह करीब 3 महीने जेल में भी रह चुके हैं। इसके बावजूद चेयरमैन आहलूवालिया की सिफारिश पर पंजाब सरकार ने 13 फरवरी को जतिन्द्र सिंह को बहाल करते हुए उन्हें जालंधर ट्रस्ट का ई.ओ. लगाया है। हालांकि जालंधर ट्रस्ट में भी उनके खिलाफ कई मामलों की पहले से ही जांच चल रही है। निकाय विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने हैरानीजनक आदेश जारी करते हुए जतिन्द्र सिंह का तबादला जालंधर करने की जमीन तैयार की है लेकिन उसके द्वारा मिले प्रार्थना पत्र पर विचार करने के बाद जतिन्द्र सिंह को इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट बरनाला के केस में पैंडिंग इंक्वायरी बहाल किया गया और इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट पठानकोट के केस में इस शर्त पर बहाल किया जाता है कि वह विजीलैंस विभाग की तरफ से चल रहे कोर्ट केस में होने वाले फैसले को मानने के पाबंद होंगे। 

वहीं दूसरी तरफ चेयरमैन आहलूवालिया सीनियर सहायक संजीव कालिया के खिलाफ भ्रष्टाचार होने का स्टैंड लेते हुए निकाय विभाग को डी.ओ. लैटर लिखते हैं कि मेरे द्वारा पत्र लिखने पर कालिया की बदली जालंधर ट्रस्ट से करतारपुर ट्रस्ट कर दी गई थी परंतु आप द्वारा विगत दिन जारी की गई लिस्ट में क्रमांक नं.-13 में कालिया की बदली पुन: करतारपुर से जालंधर कर दी गई है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि इस कर्मचारी के ट्रस्ट जालंधर में भ्रष्टाचार में लिप्त होने के कारण ट्रस्ट को वित्तीय नुक्सान पहुंचने के कारण ही मेरे द्वारा इसकी बदली कहीं अन्य ट्रस्ट में करने का लिखा गया था परंतु यह कर्मचारी बार-बार किसी न किसी तरीके से अपनी बदली इस ट्रस्ट में करवा लेता है क्योंकि इसके द्वारा किए गए भ्रष्टाचार का खुलासा न हो सके या दबाया जा सके। 

चेयरमैन दलजीत सिंह आहलूवालिया के पत्र के बाद विभाग ने संजीव कालिया का तबादला एक बार फिर से करतारपुर ट्रस्ट कर दिया परंतु एक सीनियर सहायक के खिलाफ चेयरमैन आहलूवालिया द्वारा लिए स्टैंड के बाद बड़ा सवाल पैदा हो गया है कि अगर एक सीनियर सहायक जालंधर ट्रस्ट में तैनात रहकर अपने खिलाफ भष्टाचार के मामले को दबा सकता है तो जिस ई.ओ. को वह खुद जालंधर ट्रस्ट में लेकर आए हैं उसके खिलाफ ट्रस्ट में चल रही जांच क्या प्रभावित नहीं होगी? क्या इस मामले में चेयरमैन आहलूवालिया को भ्रष्टाचार नहीं दिखा? ऐसे ही संबंधित कई मामलों का खुलासा पंजाब केसरी अपने पाठकों के समक्ष आने वाले दिनों में करेगी। 

Edited By

Sunita sarangal