लीडरों में पार्टी बदलने का दौर जारी, रवनीत बिट्टू के बाद इस नेता पर टिकी नजरें

punjabkesari.in Wednesday, Mar 27, 2024 - 11:54 AM (IST)

लुधियाना (हितेश): लोकसभा चुनाव से पहले मौजूदा व पूर्व सांसदों, मंत्रियों, विधायकों या अन्य बड़े नेताओं द्वारा पार्टियां बदलने की मुहिम पूरे जोरों पर है। ऐसे में कांग्रेस तिनका-तिनका बिखर रही है। इस लिस्ट में मंगलवार को लगातार 3 बार कांग्रेस के सांसद रहे रवनीत बिट्टू का नाम भी शामिल हो गया है। इससे पहले 14 मार्च को पंजाब की एक और सीनियर कांग्रेस सांसद परनीत कौर ने भी भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। हालांकि कैप्टन अमरेंद्र सिंह के कांग्रेस छोड़ने के बाद से यह इंतजार किया जा रहा था कि उनकी पत्नी कब आधिकारिक तौर पर भाजपा में शामिल होंगी लेकिन बिट्टू ने किसी को कानों कान खबर नहीं होने दी जिसके बाद सबकी नजरें पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस के आनंदपुर साहिब के सांसद मनीष तिवारी पर लग गई हैं जिन्हें लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। इससे पहले यह कहा जा रहा था कि कांग्रेस द्वारा बिट्टू को आनंदपुर साहिब व तिवारी को वापस लुधियाना भेजा जा सकता है।

इसके अलावा तिवारी को लेकर यह भी चर्चा सुनने को मिल रही थी कि चंडीगढ़ या लुधियाना से चुनाव लड़ने के लिए वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं लेकिन अब बिट्टू के भाजपा में शामिल होने के बाद लुधियाना का मुद्दा खत्म हो गया है और चंडीगढ़ के मामले में तिवारी की संभावना अभी भी बरकरार है जिसे लेकर तस्वीर आने वाले दिनों में भाजपा व कांग्रेस द्वारारा पंजाब के उम्मीदवारों की घोषणा के बाद ही साफ हो सकती है।

लुधियाना के लिए पूर्व मंत्री आशु का नाम भी आया चर्चा में

बिट्टू के भाजपा में शामिल होने के बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि अब लुधियाना से लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस का उम्मीदवार कौन होगा। इनमें अगर मनीष तिवारी लुधियाना न आए या भाजपा में शामिल हो गए तो कांग्रेस की टिकट के लिए पूर्व मंत्री भारत भूषण आशु का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में आ गया है जिसकी वजह आशु की गांधी परिवार के साथ नजदीकियों को माना जा रहा है। वह 2 बार विधायक रह चुके हैं और इस समय पंजाब कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हैं।

गुरकीरत कोटली का अगला कदम क्या होगा

बिट्टू के भाजपा में शामिल होने के बाद अब सियासी गलियारे में एक ही चर्चा सुनने को मिल रही है कि उनके भाई गुरकीरत कोटली का अगला कदम क्या होगा। वह बिट्टू से पहले राजनीति में सक्रिय रहे हैं और खन्ना से 2 बार विधायक व मंत्री रहे हैं, उन्हें कांग्रेस द्वारा ऑल इंडिया का सैक्रेटरी बनाया गया है।

अब सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या बिट्टू ने भाजपा में शामिल होने से पहले गुरकीरत को विश्वास में नहीं लिया या फिर उन्हें इसकी जानकारी पहले से थी, क्योंकि जब बिट्टू दिल्ली में भाजपा में शामिल हो रहे थे तो उस समय गुरकीरत लोकसभा चुनाव के लिए रणनीति बनाने के लिए चंडीगढ़ में हो रही पंजाब कांग्रेस के आला नेताओं की मीटिंग में मौजूद थे।

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News Editor

Urmila