पूर्व अकाली-भाजपा सरकार द्वारा किए बिजली समझौतों का इंटर्नल आडिट करे मुख्यमंत्री

punjabkesari.in Tuesday, Feb 11, 2020 - 07:28 PM (IST)

जालंधर(रमनदीप सोढी): पंजाब में पूर्व अकाली-भाजपा सरकार द्वारा किए गए बिजली समझौतों को जारी रखने के कारण विपक्ष के निशाने पर आई कांग्रेस के भीतर से भी अब इन समझौतों पर आवाज उठने लगी है। हालांकि पार्टी ने इस पूरे मसले पर अगले विधानसभा सत्र में व्हाइट पेपर लाने की बात कही है लेकिन पार्टी के जालंधर कैंट से विधायक परगट सिंह ने कहा है कि इस मसले पर व्हाइट पेपर लाने से कुछ नहीं होगा, सरकार को इसका इंटर्नल आडिट करना चाहिए।

पंजाब केसरी के साथ बातचीत के दौरान परगट ने कहा कि इन एग्रीमैंट्स के कारण पंजाब को हर साल एक हजार करोड़ रुपए का घाटा हो रहा है लेकिन यह बात मेरी समझ से बाहर है कि सरकार को इस मामले में इंटर्नल आडिट करने से कौन रोक रहा है। यदि इसका इंटर्नल आडिट होता है तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा। परगट सिंह ने कहा कि यह एग्रीमैंट पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल की तानाशाही का नतीजा है क्योंकि एग्रीमैंट के तहत पंजाब बिजली कम्पनियों को 83 हजार करोड़ रुपए की अदायगी करेगा जबकि कम्पनियों ने बिजली परियोजनाओं पर 25 हजार करोड़ रुपए का ही निवेश किया है।

परगट ने कहा कि पंजाब में सर्दियों के महीनों में 3500 मैगावाट बिजली की जरूरत होती है और यह राज्य की मांग का न्यूनतम स्तर है जबकि धान की बुआई के सीजन में पंजाब में अधिकतम मांग करीब 14 हजार मैगावाट रहती है लेकिन पंजाब साल भर के लिए पैदा की जाने वाली 14 हजार मैगावाट बिजली के लिए ही अदायगी कर रहा है। पंजाब अपनी सरप्लस बिजली बाहरी राज्यों में नहीं बेच सकता क्योंकि बाहरी राज्यों में पंजाब के मुकाबले बिजली सस्ती है। इन सारे मुद्दों पर इंटर्नल आडिट हुआ तो तस्वीर साफ हो जाएगी क्योंकि अन्य राज्यों ने भी ऐसे एग्रीमैंट किए हुए हैं लेकिन उनमें राज्य सरकारों ने बिजली कम्पनियों को अपनी आने वाली बिजली की मांग 3 महीने पहले बताने की बात लिखी है जबकि पंजाब में हुए बिजली समझौतों में यह क्लाज नहीं डाला गया।

परगट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पंजाब के खिलाफ फैसला दिया लेकिन हमारी सरकार इस पर मजबूती से पक्ष नहीं रख सकी। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पंजाब को 18 हजार करोड़ रुपए और अदा करने होंगे। बिजली कम्पनियों के साथ समझौते के मुताबिक उन्हें 65 हजार करोड़ रुपए की अदायगी होनी है और पंजाब को यह समझौता 83 हजार करोड़ रुपए में पड़ेगा। इस समझौते के मुताबिक हर साल पंजाब में बिजली के रेट 1.56 रुपए प्रति यूनिट बढ़ेंगे जिससे पंजाब में बिजली 25 रुपए यूनिट तक पहुंच सकती है। ऐसे में पंजाब में इंडस्ट्री लगाने कौन आएगा।

अब तो लोग भी कहने लगे हैं कि मैच फिक्स है
परगट ने कहा कि अब तो लोग भी कहने लगे हैं कि अकाली दल और कांग्रेस में सांठगांठ होने के कारण इस मामले में कार्रवाई नहीं हो रही और जनता में यह संदेश जा रहा है कि या तो हम नालायक हैं या हम इस मामले से निपटने में सक्षम नहीं हैं। हमें एक सख्त फैसला लेते हुए इस मामले में कड़ी कार्रवाई करनी पड़ेगी। परगट ने कहा कि मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह ने 1984 के दौर में सांसद पद से इस्तीफा देकर और अपनी पिछली सरकार में पानियों का समझौता रद्द करके अपनी मजबूत छवि बनाई है और अब इसी छवि को कायम रखने के लिए बिजली समझौतों के मामले में भी कड़ा रुख अख्तियार करने की जरूरत है क्योंकि अब अकाली दल द्वारा किए गए इस गलत समझौते की गाज कांग्रेस पर गिरने लगी है।

उन्होंने कहा कि रेत के अवैध खनन के मामले में भी अब कांग्रेस बदनाम हो रही है और संदेश यह जा रहा है कि सरकार अवैध खनन को रोकना नहीं चाहती जिससे लोगों को महंगी रेत मिल रही है। मैं इस मामले में अपना पक्ष पार्टी में भी रख चुका हूं क्योंकि मुझे लगता है कि लोगों ने हमें सिर्फ सत्ता का सुख भोगने के लिए ही विधानसभा में नहीं भेजा बल्कि हमें जनता की आवाज को भी सरकार तक पहुंचाने की जिम्मेदारी दी है जिससे हम भाग नहीं सकते।

जाखड़ का स्टैंड सही
विधायक ने कहा कि कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील जाखड़ द्वारा इस मामले में लिया गया स्टैंड बिल्कुल सही है क्योंकि बतौर पार्टी प्रधान उन्हें भी वर्करों और आम लोगों के बीच जाकर जवाब देना होता है। परगट ने कहा कि कई निजी थर्मल प्लांट पंजाब में प्रदूषण फैला रहे हैं और इस प्रदूषण के कारण लोगों को जानलेवा बीमारियां घेर रही हैं।

सिद्धू ने कही ठीक बातें
नवजोत सिंह सिद्धू की चुप्पी पर बोलते हुए परगट ने कहा कि सिद्धू को अब बाहर आना चाहिए और मामले का समाधान आपसी बातचीत के जरिए कर लेना चाहिए। हालांकि परगट ने नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा उठाए गए मसलों का समर्थन करते हुए कहा कि सिद्धू भवावेश में कई बार ज्यादा बोल जाते हैं लेकिन उनकी बात सही होती है, हमें उनकी बात के तर्क में जाना चाहिए और दोनों पक्षों को मिल-बैठ कर मसले का समाधान करना चाहिए क्योंकि इससे पंजाब का ही नुक्सान हो रहा है।

Edited By

Sunita sarangal