सिटी सैंटर घोटाले में दूध के धुले निकले कैप्टन, अन्य आरोपियों को भी अदालत ने किया बरी

punjabkesari.in Wednesday, Nov 27, 2019 - 08:21 PM (IST)

लुधियानाः पंजाब के तथाकथित करोड़ों के सिटी सैंटर लुधियाना घोटाले में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह व अन्य पर चल रहे केस को बंद करवाने के लिए अदालत में दायर की गई क्लोजर रिपोर्ट पर फैसला आ गया है।

जिला एवं सैशन जज गुरबीर सिंह की अदालत ने कैप्टन अमरेंद्र सिंह सहित सभी आरोपियों केस से बरी कर दिया है। इस मौके पर कैप्टन ने पत्रकार वार्ता के दौरान संबोधित करते कहा कि उन पर झूठा मामला दर्ज किया गया था। उन्हें अदालत पर पूरा विश्वास था। आज फैसला उनके पक्ष में ही आया है। आपको बता दें कि यह केस 12 सालों से अदालत में विचारधीन है। इस केस में कैप्टन सहित 36 अन्य व्यक्ति नामजद थे। सभी आरोपियों को अदालत ने बरी कर दिया है।

क्या है सिटी सैंटर घोटाला
पंजाब की राजनीति में भूचाल लाने वाले 1144 करोड़ रुपए के सिटी सैंटर प्रोजैक्ट में घोटाले की बात सितंबर 2006 में कैप्टन सरकार के कार्यकाल के दौरान सामने आई थी। अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार ने 23 मार्च, 2007 को इस मामले में केस दर्ज करके जांच शुरु की। मामले में लुधियाना के तत्कालीन एस.एस.पी. (विजिलैंस) कंवलजीत सिंह ने एफ.आई.आर. दर्ज की था। जांच के बाद दिसंबर 2007 में 130 पेज की चार्जशीट दाखिल की गई थी, जिसमें कैप्टन अमरेंद्र सिंह सहित 36 को आरोपी बनाया गया था।

यह था सिटी सैंटर प्रोजेक्ट
लुधियाना में सिटी सैंटर प्रोजैक्ट बनाने की योजना 1979 में बनाई गई थी। इसके लिए 26.44 एकड़ भूमि आरक्षित की गई थी। कई साल लटकने के बाद 2005 में प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप (पी.पी.पी.) के तहत इस प्रोजैक्ट तैयार करने का फैसला लिया गया। इस सिटी सैंटर में मल्टी प्लेक्स, मॉडर्न शापिंग मॉल, सुपर मार्किट, ऑफिस, ट्रेड सैंटर, फूड प्लाजा, सिटी म्यूजियम, रीक्रिएशन सैंटर, आई.टी. सैंटर, हैल्थ सैंटर, बैंक, रिवॉल्विंग रेस्टोंरेंट, एस.सी.ओ. (शॉप कमऑफिस) बनाए जाने थे। सिटी सैंटर साइट का कुल एरिया 10 लाख 70 हजार 553 वर्ग फुट है, जिसमें पार्किंग सहित 26 लाख 89 हजार 604 वर्ग फुट भूमि पर निर्माण कार्य होना था।इसमें 2300 कारों की पार्किंग की व्यवस्था भी की जानी थी। जैसे-तैसे सिटी सैंटर का निर्माण कार्य शुरू हुआ और विवाद के चलते रूक भी गया।  
 

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