कोरोना काल में खुद बीमार हुआ अवार्डी Hospital, उड़ाई जा रही सोशल डिस्टैंसिग की धज्जियां

punjabkesari.in Tuesday, Sep 15, 2020 - 04:36 PM (IST)

गुरदासपुर: (विनोद): कोरोना काल में शहर के अवार्ड जीतने वाले सिविल अस्पताल की हालत इतनी खस्ता हो गई है कि देखने वाले के मन में यह सवाल उठने लगता है कि इसे अवार्ड कैसे मिला? अस्पताल के महिला वार्ड स्वास्थ्य सुविधाएं बिल्कुल धराशाई हो चुकी है। जिस सरकारी अस्पताल मे बीते समय मे पंजाब का सफाई व रख रखाव संबंधी सबसे बेहतर अस्पताल चुना गया था उस अस्पताल की हालत देख कर लगता है कि या तो सर्वेक्षण करने आई टीम को धोखा हो गया था या कुछ समय के लिए सिविल अस्पताल गुरदासपुर को सफाई संबंधी चमका दिया गया था। क्योंकि आज जो हालत अस्पताल मे देखने को मिलते है उससे स्पष्ट होता है कि अस्पताल मे दाखिल होने वाली गर्भवती महिलाओं से खिलवाड़ हो रहा है।

क्या स्थिति है महिला वार्ड की
सिविल अस्पताल गुरदासपुर वैसे तो 100 बैड का अस्पताल है तथा कुछ साल पहले यह अस्पताल बनाया गया था। इस अस्पताल मे सबसे अधिक स्थिति महिला वार्ड की है। एक तो यह वार्ड बरामदे मे बनाया गया है तथा वार्ड के बीच से ही आम लोगों के लिए रास्ता बना हुआ है। इस वार्ड मे बच्चे को जन्म देने वाली तथा बच्चे को जन्म दे चुकी महिलाओं को रखा जाता है। पंरतु इस वार्ड मे लगे बैंड पर पड़ी चादरों को देखा जाए तो अधिकतर बैड पर सरकारी चादरें ही नही है तथा लोग अपने अपने घरों से चादरें आदि ले कर आते है। यदि कुछ बैड पर यह सरकारी चादरें पड़ी दिखाई देती है तो वह बहुत ही गंदी तथा फटी हुई है। जिस कारण इस वार्ड की हालत बहुत खराब है।इस वार्ड मे महिलाए तथा उनके साथ आऐ परिवारिक मैंबर जमीन पर बैंठे गप्पे हांकते तथा खाना आदि खाते आम देखे जाते है तथा इ वार्ड के पास शौचालय न होने के कारण महिलाओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

क्या स्थिति है अस्पताल मे सोशल डिस्टैंसिग की 
कोरोना महामारी के चलते लोगों को कई तरह के दिशा निर्देष की पालना करने के लिए सेहत विभाग जागरूक करने का दावा करता है।  पंरतु सिविल अस्पताल गुरदासपुर मे ओ.पी.डी.काफी रहती है तथा डाक्टरों के कमरों के बाहर भी भारी रश रहता है। हर माहिर डाक्टर के कमरे मे बाहर 20 से 25 लोग दिखाई देते है तथा वह भी एक झुंड मे दिखाई देते है। कही पर भी सोशल डिस्टैंसिग दिखाई नही देती। इस हालात मे यदि कौई कोरोना संक्रमित मरीज इस भीड़ मे आ जाता है तो वह कितनी खराबी करेगा यह सेहत विभाग से अधिक कौई नही जानता। 

रिश्वत खोरी का आरोप लगाते है लोग
माहिर डाक्टरों के कमरों के बाहर भारी रश हर समय देखने को मिलता है। लोगों ने आरोप लगाया कि हर डाक्टर के कमरे के बाहर प्राईवेट आदमी तैनात है जो मरीजों को कमरे मे प्रवेश करने की ईजाजत देता है। यदि तुरंत दिखाना हो तो कमरे के बाहर बैठे प्राईवेट व्यक्ति को माथा टेकना पड़ता है। गरीब लोग कई कई घंटे कमरे के बाहर बैठे अपनी बारी का इंतजार करते रहते है। दूसरा डाक्टरों द्वारा अधिकतर दवाई वह लिखी जाती है जो अस्पताल की बजाए बाजार से मिलती है तथा उनके दाम भी बहुत अधिक होते हैं। 

कोविड वार्ड तो बना परंतु उसका प्रयोग नही हुआ
ऐमरजैंसी के साथ एक कोविड(सारी)वार्ड बनाया गया है तथा उसमे आधुनिक समान भी लगाया गया है,पंरतु आज तक इस वार्ड मे किसी को दाखिल नही किया गया है। जिस कारण वार्ड किसी काम नही आ रहा है। 

क्या कहना है सिविल सर्जन डा.किश्न चंद का
सिविल सर्जन गुरदासपुर डा.किश्न चंद से जब बात की गई तो उन्होने कहा कि मै स्वंय अस्पताल मे जाकर स्थिति का जायजा लूंगा तथा जहां जहां सुधार की जरूरत होगी वहां सुधार करवाया जाएगा। उन्होने कहा कि डाक्टरों के कमरों के बाहर किसी प्राईवेट व्यक्ति को नही खड़ा होने दिया जाएगा तथा कोशिश होगी कि दवाईयां भी वह लिखी जाए तो अस्पताल मे ही मिलती है। उन्होने कहा कि कोरोना महामार के चलते सेहत विभाग को अधिक सर्तक रहने की जरूरत है। उन्होने कहा कि यदि किसी को किसी तरह की शिकायत हो तो वह उनसे सम्र्पक कर सकता है।


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