3 की बजाय 5 सीटों पर दावा ठोकेगी भाजपा, अकाली दल के लिए खड़ी हो सकती हैं मुश्किलें

punjabkesari.in Wednesday, Dec 19, 2018 - 10:16 AM (IST)

जालंधर(रविंदर): लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा पंजाब में अकाली दल के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है। बरगाड़ी कांड व टकसाली नेताओं की नाराजगी के बाद बैकफुट पर चल रहे अकाली दल को पार्टी एक और जोर का झटका देने की तैयारी में है। भाजपा केंद्रीय हाईकमान पंजाब में इस बार 3 की बजाय 5 सीटों पर चुनाव लडऩे की योजना पर काम कर रही है।

अगर ऐसा होता है तो लोकसभा चुनाव से पहले अकाली दल के लिए और मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। भाजपा के बड़े नेताओं का मानना है कि अकाली दल की मौजूदा स्थिति को देखते हुए भाजपा 5 से कम सीटों पर समझौता करने को तैयार नहीं है। पंजाब की 13 लोकसभा सीटों पर लंबे समय से अकाली दल जहां 10 सीटों पर चुनाव लड़ता रहा है तो भाजपा के खाते में महज 3 सीटें गुरदासपुर, होशियारपुर व अमृतसर ही आती रही हैं। 2014 की बात करें तो भाजपा ने 3 में से 2 सीटें गुरदासपुर व होशियारपुर जीती थीं और अमृतसर की सीट भाजपा के दिग्गज नेता अरुण जेतली हार गए थे।


बाद में गुरदासपुर से पार्टी नेता विनोद खन्ना के देहांत के बाद उपचुनाव के दौरान भाजपा यह सीट भी बड़े मार्जिन से हार गई थी। दूसरी तरफ 10 सीटों पर चुनाव लडऩे वाले अकाली दल के खाते में 4 सीटें आई थीं। इनमें से खडूर साहिब से रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा, आनंदपुर साहिब से प्रेम सिंह चंदूमाजरा, फिरोजपुर से शेर सिंह घुबाया और बठिंडा से हरसिमरत कौर बादल जीते थे, मगर 4 सीटों पर पहली बार चुनाव लडऩे वाली आम आदमी पार्टी ने बाजी मार ली थी। 2017 विधानसभा चुनाव में अकाली दल प्रदेश में तीसरे नंबर पहुंच गया। अकाली दल की लगातार कमजोर होती स्थिति को भांपते हुए इस बार भाजपा 3 की बजाय 5 सीटों पर लोकसभा चुनाव लडऩे का दावा ठोकने जा रही है। यानी होशियारपुर, अमृतसर और गुरदासपुर के अलावा भाजपा जालंधर व लुधियाना सीटों पर मजबूत दावा ठोक रही है। भाजपा का साफ तर्क है कि इन दोनों सीटों पर अकाली दल लंबे समय से जीत नहीं पाया है और दोनों सीटों पर हिंदू वोट बैंक काफी ज्यादा है।

यानी अकाली दल की बजाय इन दोनों सीटों पर भाजपा मजबूत टक्कर दे सकती है। 2004 में शरणजीत सिंह ढिल्लों ने लुधियाना सीट अकाली दल के खाते में डाली थी। इसके बाद 2009 में कांग्रेस के मनीष तिवारी और 2014 में कांग्रेस के रवनीत बिट्टू ने बड़े मार्जिन से इस सीट को जीता था। जालंधर व लुधियाना दोनों सीटों पर जमीन तैयार करने के लिए भाजपा ने कवायद शुरू भी कर दी है। जालंधर में जहां देहाती स्तर पर वर्कर मुहिम शुरू की जा रही है तो संगठन को भी मजबूत किया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ लुधियाना में जमीन तैयार करने के लिए भाजपा बुधवार को कांग्रेस के खिलाफ राज्य स्तरीय धरना लगाने जा रही है। यह सब कुछ हाईकमान के इशारे पर हो रहा है। राजनीतिक पंडित भी कहते हैं कि भाजपा अगर अपनी 3 लोकसभा सीटों की तैयारी करती तो यह रा’य स्तरीय धरना वहीं लगाया जाता, मगर लुधियाना में राज्य स्तरीय धरने का साफ मतलब है कि यहां पर भाजपा अपने पांव मजबूत करना चाहती है।

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