बाजवा ने कानून मंत्री के माध्यम से मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र पर फोड़ा नया लैटर बम

punjabkesari.in Thursday, Mar 05, 2020 - 10:08 AM (IST)

जालंधर(चोपड़ा): श्री गुटका साहिब हाथों में थाम कर 4 सप्ताह के भीतर पंजाब से नशे का खात्मा करने की सौगंध खाने वाले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह पर राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने अब एक नया लैटर बम फोड़ा है। इस बार सांसद बाजवा ने यह लैटर बम केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद के जरिए फोड़ा है, जिसमें राज्य में ड्रग्स पर नकेल कसने को पंजाब व केंद्र सरकार दोनों को फेल बताया गया है। 


सांसद बाजवा ने बताया कि आज भी पंजाब में ड्रग्स के कारोबार में राजनीतिज्ञों, पुलिस अधिकारियों व तस्करों का बड़ा नैक्सस काम कर रहा है और चाह कर भी इन कारोबारियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है। उन्होंने कानून मंत्री को लिखे पत्र में केंद्र व पंजाब सरकार को कठघरे में लाकर खड़ा किया है। ड्रग्स मामलों की जांच के लिए माननीय हाईकोर्ट ने सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय, प्रबोध कुमार और कुंवर विजय प्रताप सिंह की स्पैशल इंवैस्टीगेशन टीम (सिट) का गठन करके उन्हें राजनीतिज्ञों, पुलिस व तस्करों के नैक्सस की जांच सौंपी थी और कहा कि सिट की सीलबंद रिपोर्ट पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट को दी गई थी परंतु 2 वर्षों से माननीय हाईकोर्ट में उक्त सीलबंद रिपोर्ट को खोला नहीं जा सका है।सिट की रिपोर्ट में कई सीनियर राजनीतिज्ञों, वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों व बड़े ड्रग्स पैडलरों के नाम शामिल हैं, अगर रिपोर्ट समय रहते उजागर होती तो ड्रग्स नैक्सस में शामिल बड़े नामों का पर्दाफाश होता तो नशों के सौदागरों के साथ सांठगांठ करने वाले कुछ राजनीतिज्ञ व अधिकारी जेलों में जाते और जिम्मेवार अधिकारियों को नौकरी जाती। सांसद कहा कि कि पंजाब में ड्रग माफिया से जुड़ी जांच को सही तरीके से हैंडल नहीं किया जा रहा है।

पंजाब में निरंतर बढ़ते नशे व ड्रग्स से होने वाली मौतों का संज्ञान लेते हुए माननीय हाईकोर्ट ने 29 मार्च 2013 को पंजाब सरकार को जांच करने के निर्देश दिए थे। इस जांच में पुलिस, राजनीतिज्ञ व ड्रग माफिया के गठजोड़ पर रोशनी डाली थी। 28 नवम्बर 2017 को हाईकोर्ट ने स्पैशल टास्क फोर्स द्वारा पंजाब पुलिस में कार्यरत इंस्पैक्टर के खिलाफ चार्जशीट पर नोटिस लिया था, जो ड्रग तस्करों के साथ मिलकर कार्य कर रहा था। पंजाब सरकार ने हाईकोर्ट को बताया था कि इंस्पैक्टर को गिरफ्तार कर लिया गया है और मामले में तत्कालीन एस.एस.पी. मोगा का भी नाम आया है, जिस पर हाईकोर्ट ने हरप्रीत सिंह सिद्धू के नेतृत्व वाली स्पैशल टास्क फोर्स को मामले की जांच का मूल्यांकन करने को कहा था। इसके पश्चात एस.एस.पी. मोगा ने हरप्रीत सिंह सिद्धू पर पक्षपात का आरोप लगाकर उसे ट्रांसफर करने की अर्जी दी थी, जिस पर हाईकोर्ट ने सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय, प्रबोध कुमार और कुंवर विजय प्रताप सिंह पर आधारित सिट का गठन करके इंवैस्टीगेशन टीम ने सिट को 31 जनवरी 2018 तक सीलबंद लिफाफे में स्टेटस रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए थे। |


सिद्धार्थ ने 31 जनवरी 2018 को रिपोर्ट माननीय हाईकोर्ट में दाखिल करने के साथ-साथ सिट के कार्यकाल में 2 महीने की बढ़ौतरी मांगी थी जिसे हाईकोर्ट ने मंजूर कर लिया।15 मार्च को सीलबंद लिफाफे में दूसरी रिपोर्ट फाइल की और हाईकोर्ट से जांच पूरी करने को 6 सप्ताह का अतिरिक्त समय मांगा था। 23 मार्च 2018 को सिद्धार्थ ने अंतिम रिपोर्ट के साथ-साथ दूसरी स्वतंत्र रिपोर्ट भी पेश की। तब से यह सभी रिपोर्ट बंद लिफाफे में पड़ी है। इन रिपोर्टों को न तो खोला गया और न ही कोई एक्शन लिया गया। सांसद बाजवा ने कहा कि अगर इन रिपोर्ट को खोला जाए तो कई पुलिस अधिकारी, राजनेता व ड्रग्स तस्कर बेनकाब होंगे। उन्होंने कानून मंत्री से मांग की कि केंद्र सरकार इस मामले पर तुरंत एक्शन ले और बंद रिपोर्टों को जल्द से जल्द खुलवाए ताकि पंजाब की जवानी को बर्बाद करने वाले सफेदपोशों के नाम सामने आ सके। अगर कानून मंत्री के दिशा-निर्देशों पर माननीय हाईकोर्ट ने रिपोर्ट को खोलते हुए उसमें शामिल नामों को उजागर करते हुए कार्रवाई की तो बाजवा के इस धमाके का पंजाब की राजनीति पर दूरगामी असर दिखाई देगा।

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