सफाई में बठिंडा, पटियाला, मुक्तसर, मोहाली व लुधियाना से पिछड़ा जालंधर

punjabkesari.in Thursday, Mar 07, 2019 - 08:19 AM (IST)

जालंधर(खुराना): कुछ साल पहले तक जालंधर को पंजाब का सबसे सुंदर शहर माना जाता था।  पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने भी अपने भाषण में स्वीकार किया था कि जालंधर पंजाब का सबसे साफ-सुथरा व सुंदर शहर है। उनके इस कथन के बाद जालंधर को शायद किसी की नजर ही लग गई और सफाई के मामले में यह शहर लगातार पिछड़ता चला गया।इस बार केन्द्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय ने देश के सभी शहरों में जो स्वच्छता सर्वेक्षण-2019 करवाया था, उसके घोषित नतीजों में जालंधर शहर को 166वीं रैंकिंग प्राप्त हुई है। पंजाब की बात करें तो बठिंडा शहर राज्य के शहरों की सूची में टॉप पर है। सफाई के मामले में जालंधर न केवल बठिंडा बल्कि पटियाला, मुक्तसर, मोहाली और लुधियाना से भी पीछे है।

गौरतलब है कि जालंधर शहर की आबादी आज चाहे 12 लाख से भी ज्यादा हो चुकी है परंतु शहर से हर रोज निकलने वाले 500 टन से ज्यादा कूड़े को ठिकाने लगाने का कोई इंतजाम नगर निगम के पास नहीं है। आज से 20 साल पहले वरियाणा गांव में कूड़े से खाद बनाने का कारखाना लगा परंतु वह भी सफल नहीं हुआ, उसके बाद जिंदल कम्पनी ने कूड़े से बिजली बनाने का प्लांट लगाने का टैंडर लिया, काफी समय तक निगम का कूड़ा भी उठाया परंतु प्लांट लगाने को लेकर राजनीतिक विरोध के चलते जिंदल कम्पनी को काम छोड़कर जाना पड़ा। आज जालंधर में एक किलो कूड़ा भी निगम से प्रोसैस नहीं हो पा रहा और सारा वरियाणा डम्प पर जा रहा है, जहां इस समय 10 लाख टन कूड़े के पहाड़ खड़े हो चुके हैं। हर रोज निकलने वाले कूड़े को लेकर निगम बार-बार प्लाङ्क्षनग बनाता रहता है परंतु उसका कोई भी प्रयास अभी तक सिरे नहीं चढ़ा जिस कारण निगम हर बार राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग में पिछड़ जाता है।

ट्रीटमैंट प्लांट न होने से कटे नम्बर
जनवरी, 2019 में हुए स्वच्छता सर्वेक्षण में अच्छी रैंकिंग प्राप्त करने के लिए जालंधर निगम के सैनीटेशन विभाग से जुड़े अधिकारियों ने काफी प्रयास किए और जोड़-तोड़ लगाकर शहर को ओ.डी.एफ. भी घोषित करवा लिया परंतु सबसे ज्यादा नम्बर शहर में सॉलिड वेस्ट ट्रीटमैंट प्लांट न होने के कारण कटे। सैग्रीगेशन यानी गीले और सूखे कूड़े को अलग-अलग करने हेतु निगम ने चाहे कई अभियान चलाए परंतु वे सब खानापूॢत साबित हुए। सिटीजन फीडबैक दिखाने हेतु निगम ने लोगों से स्वच्छता एप डाऊनलोड करवाए परंतु वह अभियान भी खानापूर्ति बन गया क्योंकि ज्यादातर लोगों ने उस एप का इस्तेमाल ही नहीं किया जिसने एप पर शिकायत की भी, उसे भी खास रिस्पांस नहीं मिला। मशीनरी की कमी के कारण भी निगम मुख्य सड़कों पर खुले में पड़े डम्प स्थानों का हल नहीं निकाल पाया। इन्हीं कारणों की वजह से निगम को 5000 में से ठीक आधे यानी 2499.85 अंक मिले।

2018 के मुकाबले सुधरी रैंकिंग
जालंधर निगम प्रशासन केवल इस बात पर संतोष कर सकता है कि 2018 के मुकाबले इसकी स्वच्छता रैंकिंग में कुछ सुधार हुआ है। पिछले साल जालंधर नगर निगम को 215वीं रैंकिंग मिली थी। पिछले साल भी बठिंडा ने पंजाब के शहरों में टॉप किया था और इस बार भी बाजी इसी शहर ने मारी है।

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