सी.एम. चेहरे का ऐलान कांग्रेस आलाकमान के लिए साबित हो सकता है दो धारी तलवार?

punjabkesari.in Saturday, Feb 05, 2022 - 04:18 PM (IST)

जालंधर (नैशनल डैस्क): कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव राहुल गांधी 6 फरवरी को पंजाब का सी.एम. चेहरा घोषित करने जा रहे हैं। कांग्रेस द्वारा करवाए जा रहे सर्वेक्षण में सूत्रों के हवाले से यही बात सामने आ रही है कि सी.एम. चरणजीत सिंह चन्नी रेस में आगे चल रहे हैं। जानकारों की मानें तो कांग्रेस द्वारा सी.एम. चेहरा घोषित करना दो धारी तलवार के समान है। राजनीति के माहिरों का कहना है कि मौजूदा समीकरण ऐसे हैं कि सी.एम. चरणजीत चन्नी के चेहरे के साथ चुनाव जीतना इतना आसान भी नहीं है और उन्हें सी.एम. चेहरा घोषित नहीं किया जाता है तो उनके बिना कांग्रेस हार भी सकती है।

दूसरा संकट यह है कि हाल ही के पंजाब दौरे में जब राहुल गांधी ने सी.एम. कैंडीडेट की घोषणा का ऐलान किया था तो इससे पहले नवजोत सिद्धू ने एक चेतावनी के साथ कहा था कि कांग्रेस को सी.एम. कैंडीडेट घोषित करना चाहिए क्योंकि वह बिना शक्ति के दर्शनीय घोड़ा नहीं बनना चाहते। दूसरा वह यह भी कहते हैं कि पंजाब में कांग्रेस को कांग्रेस ही हरा सकती है। मतलब साफ है कि सी.एम. चेहरा घोषित होते ही कांग्रेस के सियासी समीकरण बिगड़ने की प्रबल संभावना है।


कांग्रेस की चुनावी संभावनाएं हो सकती हैं प्रभावित

मान, सिद्धू, कैप्टन और शिअद के सुखबीर बादल सहित जाट सिखों की भीड़ में चन्नी एकमात्र ऐसे सी.एम. हैं जिनको पंजाब की 32 फीसदी अनुसूचित जाति का समर्थन प्राप्त होने की उम्मीद है। चन्नी-सिद्धू सत्ता-द्वंद के बीच दर्जनों आंतरिक उलझनें अगर तुरंत नहीं सुलझाई गई तो ये कांग्रेस की चुनावी संभावनाओं को बहुत प्रभावित कर सकती हैं। नए जनादेश की मांग करने वाले इसके विधायकों के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर है और जो छूट गए हैं वे निर्दलीय या अन्य पार्टी के टिकट पर मैदान में हैं। पार्टी के लिए वास्तविक समय का पूर्वानुमान धुंधला दिखाई देता है। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान सिद्धू के साथ कई मामलों में असहमत हो सकती हैं, लेकिन वह सही है जब वह कहते हैं कि पंजाब अकेले कांग्रेस खुद को हरा सकती है।


सी.एम. चेहरे के बाद क्या कांग्रेस में रहेगा 'आल इज वैल'

नवजोत सिंह सिद्धू ने यह भी वादा किया है कि जिसे भी आलाकमान सी.एम. कैंडीडेट घोषित करेगी उन्हें स्वीकार होगा। सी.एम. चेहरे की महत्वाकांक्षा को लेकर सी.एम. चन्नी भी आलाकमान का हुक्म बजाने की बात करते हैं, लेकिन सिद्धू के बयान बड़ा सवाल खड़ा करते हैं कि सी.एम. कैंडिडेट घोषित होने के बाद पंजाब कांग्रेस में 'आल इज वेल' रहेगा कि नहीं? राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो सी.एम. कैंडिडेट घोषित करना वास्तव में 2017 के चुनाव की नकल होगी, जब पूर्व सी.एम. कैप्टन अमरिंदर सिंह को चुनाव प्रचार अभियान के अंतिम चरण में सी.एम. उम्मीदवार बनाया गया था जबकि इस बार अलग-अलग कारणों से कार्रवाई में देरी हुई है। पिछले चुनावों में कैप्टन शीर्ष पद के एकमात्र दावेदार थे, हालांकि अब ऐसा नहीं है। चन्नी को पार्टी के चेहरे के रूप में नामित करने से सिद्धू खेमे को झटका स्वाभाविक होगा, भले ही उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व के फैसले को स्वीकार करने के लिए सार्वजनिक रूप से वादा किया है। स्वीकृति का वचन देते समय उन्होंने दर्शनीय घोड़ा न बनने की भी एक चेतावनी बातों ही बातों में दी है।


चन्नी को ही सी.एम. चेहरा घोषित करने के बाद क्या होगा!

सिद्धू की दृढ़ता, टिकट वितरण और पार्टी घोषणापत्र के निर्माण में वह शासन के लिए अपने 'पंजाब मॉडल' को बेहतर रूप में दिखाते हैं। पंजाब को पहला दलित सी.एम. देने के बाद अब चन्नी को ही सी.एम. चेहरा घोषित कर दिया जाता है तो कांग्रेस के सामने बड़ा सवाल यह है कि क्या क्रिकेटर से राजनेता बने नवजोत सिंह सिद्धू इस पार्टी के साथ तालमेल बिठाने के लिए परिपक्व होंगे या नहीं। माझा में कांग्रेस के एक उम्मीदवार ने कहा कि इस समय चन्नी को दरकिनार करना आत्मघाती होगा। हमारे पास एकमात्र बल गुणक है। उनके सी.एम. बनने पर उच्च श्रेणी के मतदाताओं को छोड़कर अधिकांश वर्गों को खुशी हुई है। पार्टी आलाकमान की संभावित सी.एम. पसंद का एक अग्रिम संकेतक दो निर्वाचन क्षेत्रों से चन्नी को मैदान में उतारने का निर्णय है। उनकी पारंपरिक सीट चमकौर साहिब जो दोआबा की सीमा पर है और मालवा की भदौड़ सीट पर वह आम आदमी पार्टी को उनके गढ़ में चुनौती देने वाले हैं। इसके उलट सिद्धू अमृतसर (पूर्व) में बंध गए हैं, जहां उन्हें शिअद नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने कड़ी चुनौती दी है।


सिद्धू को कैसे हो सकता है नुक्सान और फायदा

शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम मजीठिया ने अपनी पत्नी गनीव कौर के पक्ष में अपनी मजीठा सीट छोड़ने की सिद्धू की चुनौती स्वीकार कर ली, ताकि कांग्रेस नेता के गढ़ में सीधा आमना-सामना हो सके। अमृतसर के एक कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर सिद्धू को सी.एम. चेहरा नहीं बनाया जाता है, तो उनके कुछ फ्रंटलाइन समर्थक मजीठिया के प्रति निष्ठावान हो सकते हैं। जानकार मानते हैं कि खनन में गड़बड़ी के आरोप में एक रिश्तेदार पर प्रवर्तन निदेशालय की छापेमारी के बाद चन्नी की सार्वजनिक प्रोफाइल में गिरावट आई है, जबकि इसके विपरीत सिद्धू की चमक कम नहीं हुई है। वहीं व्यक्तिगत ईमानदारी के मामले में 'आप' के भगवंत मान के खिलाफ वह एक अच्छा सी.एम. चेहरा साबित हो सकते हैं। जबकि राजनीति के और भी कई पहलू हैं जिनमें सामाजिक पहचान सबसे महत्वपूर्ण है।

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Content Writer

Subhash Kapoor

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