ब्यास दरिया मामले में CM सख्त, जांच के आदेश

punjabkesari.in Monday, May 21, 2018 - 01:25 PM (IST)

चंडीगढ़  (ब्यूरो): पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने ब्यास नदी में शीरा डलने के कारण पानी के दूषित होने के मद्देनजर राज्य के दक्षिणी हिस्सों में नहरों से होने वाली पेयजल सप्लाई की जांच करने और सख्त निगरानी रखे जाने के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने ये आदेश जल सप्लाई और सैनीटेशन, जल संसाधन, स्थानीय निकाय विभागों और पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को जारी करते हुए दक्षिणी पंजाब के कस्बों और गांवों को होती जल सप्लाई की विस्तृत जांच करने को कहा है। उन्होंने इन विभागों को पानी के मानक की जांच के लिए विशेष टीमें गठित करने और पीने वाले पानी को किसी भी तरह दूषित होने से रोकने के लिए सभी कदम उठाने को भी कहा है।

 


मुख्यमंत्री ने संबंधित जिलों के डिप्टी कमिश्नरों को कस्बों और गांवों की जल सप्लाई पर नजदीकी नजर रखने के लिए और किसी भी तरह की समस्या को तेजी से हल करने के निर्देश दिए हैं। डिप्टी कमिश्नरों को जल संसाधन विभाग के साथ नजदीकी तालमेल रखने को भी कहा है जिससे मारी गई मछलियों के कारण उनके संबंधित क्षेत्रों में स्वच्छ पीने वाला पानी यकीनी बनाया जा सके। राज्य के प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने जल सप्लाई और सैनीटेशन तथा स्थानीयनिकाय विभागों को पानी सप्लाई स्कीमों वाले स्थानों पर नजदीकी नजर रखने के लिए कहा है जिससे दूषित पानी को ब्यास दरिया में जाने से रोका जा सके। 

 


फरीदकोट, फाजिल्का, मुक्तसर और फिरोजपुर में वाटर वक्र्स के पास पानी का पर्याप्त भंडार है और वह किसी भी तरह की अस्थायी समस्या से निपटने के लिए समर्थ है। संबंधित एजैंसियों को कहा है कि वे एहतियात के तौर पर अगले एक हफ्ते के लिए अपनी संबंधित जल सप्लाई स्कीमों के मानक के लिए नियमित तौर पर पानी की जांच करें। वहीं हरिके से चलती नहरों में साफ पानी की सप्लाई अगले 24 घंटों में बहाल होने की संभावना है।

 

शीरा नहीं बहा, रूटीन से बहाया जा रहा था वेस्ट मैटीरियल

अमृतसर (इन्द्रजीत/वड़ैच): कीडी अफगाना स्थित शूगर मिल में शीरे के लीक होने के कारण ब्यास दरिया में लाखों मछलियों के मारे जाने का रहस्य गहरा गया है। इसमें जहां दरिया में बहे शीरे की बात कही जा रही है वहीं विभागीय सूत्रों का कहना है कि शीरा नहीं बहा, वेस्ट मैटीरियल रूटीन से बहाया जा रहा था। इसमें उस दिन बहे मैटीरियल का मात्रा 50 लाख लीटर से अधिक थी, वहीं प्रदूषण विभाग का कहना है कि शूगर मिल में टैंकर फट गया था जिसमें शीरा स्टोर किया गया था।


द्रव्य में नहीं था कैमिकल
प्रदूषण विभाग का कहना है कि दरिया में बहे द्रव्य में कैमिकल नहीं होता क्योंकि शीरे को इथाइल अल्कोहल में बदलने के लिए जीस्ट का मिश्रण बनाया जाता है क्योंकि 4 अल्कोहल जिसमें मिथाइल, इथाइल, प्रोफोमाइल, बोटाइल 
ऐसे अल्कोहल हैं जिनमें सिर्फ इथाइल ही मनुष्य के खाद्य पदार्थ में शामिल हो सकता है जबकि जीस्ट का कैमिकल एक्शन सिर्फ खमीर पैदा करता है, नेगेटिव कैमिकल रिएक्शन नहीं करता। इसलिए मछलियां कैमिकल के कारण नहीं मरी, बल्कि दम घुटने से उनकी मौत हुई है। 


शूगर मिल में चलती है शराब की फैक्टरी
प्रदूषण विभाग का मानना है कि शूगर मिल में ही एक शराब की फैक्टरी चलती है जिसके लिए शीरा स्टोर किया जाता है। इसमें शीरा स्टोर करने के बाद शीरे के बीच मौजूद इथाइल अल्कोहल को निकाल लिया जाता है जिससे शराब बनती है।

 

शूगर मिल में टैंकर फटा : पन्नू 
पंजाब प्रदेश प्रदूषण विभाग के चेयरमैन काहन सिंह पन्नू ने स्वीकार किया है कि चड्ढा शूगर मिल में शीरे का टैंकर फट गया था, ऐसा तेज गर्मी के चलते हो जाता है। इसमें किसी की आपराधिक भावना नहीं थी। यह आम तौर पर नहीं होता है, इसे एक दुर्घटना माना जा सकता है।


24 घंटों तक सभी नहरों का टेलों तक साफ हो जाएगा पानी
 

पंजाब के पर्यावरण मंत्री ओ.पी. सोनी ने कहा है कि ब्यास नदी में कीड़ी अफगाना की चीनी मिल से शीरा लीक होने के कारण पैदा स्थिति पर राज्य सरकार निरंतर नजर रखे हुए है। उन्होंने कहा कि पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और सिंचाई विभाग के वरिष्ठ अधिकारी व डिप्टी कमिश्नर स्थिति का जमीनी स्तर पर जायजा ले रहे हैं। 24 घंटों तक नहरों की टेलों तक पानी साफ हो जाएगा। लोगों से नहर के पानी को प्रयोग न करने की अपील की गई है। 

 

वन्यजीव विभाग ने खटखटाया कोर्ट का दरवाजा


चंडीगढ़, (अश्वनी): चड्ढा शूगर मिल के खिलाफ पंजाब वन्यजीव विभाग ने बटाला कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। ब्यास में फैले प्रदूषण को लेकर वन्यजीव विभाग ने पुलिस को शिकायत दी थी लेकिन पुलिस ने एफ.आई.आर. दर्ज नहीं की। उलटा पुलिस ने वन्यजीव विभाग की शिकायत पर ही कई ऑब्जैक्शन लगा दिए। हालांकि कोर्ट सोमवार को तय करेगा कि मामले पर सुनवाई करनी चाहिए या नहीं। वन्यजीव विभाग के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन कुलदीप कुमार के मुताबिक यह अर्जी वाइल्ड लाइफ प्रोटैक्शन एक्ट  की धारा-32, धारा-36, धारा-50 व धारा-51 के तहत वन्यजीव विभाग की पठानकोट डिवीजन के रेंज ऑफिसर द्वारा दायर की गई है।


सैक्शन-51 में 3 साल की सजा का है प्रावधान 

वाइल्ड लाइफ प्रोटैक्शन एक्ट के सैक्शन-51 में आरोप साबित होने पर 3 साल की सजा व जुर्माने का प्रावधान है। आरोप में अगर यह साबित हो जाए कि शैड्यूल-1 या शैड्यूल-1 के तहत संरक्षित वन्यजीव को मारा गया है तो यह सजा 7 
साल तक भी बढ़ सकती है। शूगर मिल को हुआ 10 करोड़ का नुक्सान: सरना चड्ढा शूगर मिल की मालकिन व पौंटी चड्ढा की बहू जसदीप कौर चड्ढा के रिश्तेदार परमजीत सिंह सरना ने एक बार फिर इस मामले को हादसा बताया है। शूगर मिल में जो शीरा रखा हुआ था उसकी कीमत करीब 10 करोड़ रुपए थी जिससे आगे 40 करोड़ रुपए का सामान तैयार होना था।  

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