विजिलेंस के पास पहुंची नगर निगम में अब इस घोटाले की शिकायतें, कई बड़े चेहरों पर गाज गिरना तय!
punjabkesari.in Monday, Dec 01, 2025 - 10:42 AM (IST)
जालंधर (खुराना): पंजाब सरकार द्वारा नगर निगम कमिश्नरों को ट्रांसपेरेंसी एक्ट के तहत आपात स्थिति में दिए गए 5 लाख रुपए तक के काम बिना टैंडर और सिर्फ सैंक्शन कोटेशन के आधार पर करवाने का अधिकार जालंधर नगर निगम में भारी घोटाले का कारण बन गया है। पिछले दो-अढ़ाई वर्षों में इस एक्ट का खुला दुरुपयोग करते हुए करोड़ों रुपए के काम सिर्फ 8-10 चहेते ठेकेदारों के माध्यम से करवाए गए।
ट्रांसपेरैंसी एक्ट के अनुसार केवल एमरजैंसी नेचर के काम ही इस प्रावधान के तहत किए जा सकते थे लेकिन जालंधर में कई गैर-जरूरी और चुने हुए काम भी इसी श्रेणी में डालकर लाखों के सैंक्शन जारी कर दिए गए। नियमों के मुताबिक अधिकारियों को बाजार से कोटेशन एकत्र कर सबसे कम रेट वाले ठेकेदार को काम देना था, मगर निगम के किसी भी अधिकारी ने मार्केट जाना मुनासिब नहीं समझा।
स्पाइरल और डेकोरेटिव लाइट्स में हुआ सबसे बड़ा खेल
जालंधर नगर निगम में सबसे बड़ा घोटाला स्पाइरल और डेकोरेटिव लाइट्स लगाने के कामों में सामने आ रहा है। 5-5 लाख रुपए के कई एस्टीमेट ब्रांडेड स्पाइरल लाइट के बनाए गए, बिल भी नामी कम्पनियों के लगे लेकिन फील्ड में जाकर सस्ती चीनी लाइटें लगा दी गईं। आज हालात यह हैं कि करोड़ों की लागत से लगाई गई स्पाइरल लाइटें शहर के पोलों से गायब हैं और उनकी जांच तक संभव नहीं।
एक-एक ठेकेदार को दिए गए तरह-तरह के काम
सुपर सक्शन, हॉर्टिकल्चर, ब्यूटीफिकेशन, बी एंड आर, ओ एंड एम और स्ट्रीट लाइट्स जैसी शाखाओं में भी टैंडर प्रक्रिया को दरकिनार कर सिर्फ सैंक्शन कोटेशन के जरिए करोड़ों रुपए के काम ठेकेदारों को बांट दिए गए। एक-एक ठेकेदार को तरह-तरह के काम देकर स्पष्ट कर दिया गया कि कामों की गंभीरता को नहीं बल्कि ठेकेदार की निकटता को ध्यान में रखा गया।
टैंडरों में 30 प्रतिशत डिस्काऊंट, सैंक्शन में सिर्फ 1–2 फीसदी पर हुए काम
निगम प्रशासन ने हाल ही में आदेश जारी किया है कि अब सैंक्शन के काम टैंडर में आए डिस्काऊंट के अनुसार ही होंगे। सवाल यह है कि जब टैंडरों में 30 प्रतिशत तक डिस्काऊंट मिलता रहा तो वही काम चहेते ठेकेदारों को सैंक्शन पर मात्र 1-2 प्रतिशत में कैसे आवंटित कर दिए गए? इससे निगम के इन चुनिंदा 8-10 ठेकेदारों को करोड़ों रुपए का अतिरिक्त लाभ पहुंचा। बदले में उन्होंने किसे-किसे कितनी कमीशन दी, यह जांच का विषय है।
जी.एस.टी., परचेज और बिलिंग में भी बड़े घोटाले की आशंका
सूत्रों के अनुसार सैंक्शन/कोटेशन आधारित काम करने वाले ठेकेदारों द्वारा जी.एस.टी. भुगतान, परचेज और बिलिंग में भी भारी अंतर सामने आ सकता है। इस मामले में ताजा शिकायतें राज्य विजिलैंस ब्यूरो तक पहुंच गई हैं। कई कामों में जाली कोटेशन लगाने के प्रमाण भी विजिलैंस विभाग तक पहुंच चुके हैं। यदि निष्पक्ष जांच होती है तो केवल जे.ई. और एस.डी.ओ. स्तर के कर्मचारी ही नहीं, बल्कि उच्च स्तर के अधिकारी भी कार्रवाई के दायरे में आ सकते हैं, क्योंकि इन सभी फाइलों पर इनके हस्ताक्षर मौजूद हैं।
पंजाब सरकार हाल ही में एक नगर निगम कमिश्नर पर कड़ी कार्रवाई कर चुकी है, जिससे साफ संदेश है कि अब लोकल बॉडीज में भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जालंधर निगम में हुए इन सैंक्शन कोटेशन घोटालों की जांच शुरू होते ही कई बड़े चेहरों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है।
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