कृषि विधेयकों पर केंद्र के साथ टकराव बढ़ा: संसद के निकट ‘धरने पर बैठी पंजाब सरकार’

punjabkesari.in Thursday, Nov 05, 2020 - 09:21 AM (IST)

नई दिल्ली(सुनील पाण्डेय): कृषि कानूनों के मुद्दे पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा मुलाकात का समय नहीं देने से नाराज पंजाब कांग्रेस एवं पंजाब सरकार बुधवार को सड़क पर उतर आई। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह की अगुवाई में पंजाब के विधायकों, सांसदों व पार्टी नेताओं ने संसद सेचंद कदम की दूरी पर स्थित जंतर-मंतर पर धरना दिया। इससे पहले मुख्यमंत्री ने राजघाट पर जाकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धा के फूल भेंट किए। कैप्टन के साथ सभी वरिष्ठ कांग्रेसी नेता भी मौजूद रहे। इस मौके पर कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने पंजाब के किसानों की रक्षा के लिए दिल्ली में राजघाट से मिशन का विधिवत आगाज भी किया। कृषि बिलों को लेकर पंजाब और केंद्र सरकार में टकराव की स्थिति बन गई है। 

राजघाट पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार का पंजाब के प्रति सौतेला व्यवहार पूरी तरह गलत है। राज्य को मार्च महीने से जी.एस.टी. की अदायगी नहीं की गई और संवैधानिक गारंटी का 10,000 करोड़ रुपए अभी भी बकाया है। उन्होंने कहा कि केंद्र की तरफ से आपदा राहत फंड भी बंद किया जा चुका है। हमारे पास पैसा नहीं है, हमारे कोयले के भंडार खत्म हो गए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में हम कैसे बचे रह सकते हैं? मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति द्वारा उन्हें और पंजाब के विधायकों को मिलने के लिए समय देने से इंकार करने पर अफसोस जाहिर किया। उन्होंने कहा कि राज्य से जुड़े गंभीर मसलों को राष्ट्रपति के ध्यान में लाना था। वह राष्ट्र के प्रमुख हैं और हम पंजाब में मौजूदा स्थिति के बारे में उनको बताना चाहते थे। हमें उम्मीद थी कि राष्ट्रपति हमारे मुद्दों पर केंद्र सरकार से बात करेंगे। उन्होंने कहा कि मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र्र मोदी से समय नहीं मांगा है लेकिन मैं उचित समय पर पहुंचूंगा।

इस अवसर पर किसान विरोधी कानून वापस लो, मजदूर किसान एकता जिंदाबाद व मोदी सरकार मुर्दाबाद के नारे भी लगाए गए। प्रदर्शन में सांसद मनीष तिवारी, सांसद संतोख चौधरी, गुरजीत सिंह औजला, रवनीत सिंह बिट्टू के अलावा कई कांग्रेसी नेता भी मौजूद थे। ढींडसा, बैंस, खैहरा की पार्टी शामिल हुई, ‘आप’ दूर रही : जंतर-मंतर पर हुए धरना-प्रदर्शन में कांग्रेसी संसद सदस्यों और विधायकों के अलावा लोक इंसाफ पार्टी के विधायक सिमरजीत सिंह बैंस के साथ-साथ पंजाबी एकता पार्टी के विधायक सुखपाल खैहरा और शिरोमणि अकाली दल (डैमोके्रटिक) के विधायक परमिंदर सिंह ढींडसा भी शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने कहा कि आम आदमी पार्टी पर धरने में शामिल नहीं होने का दबाव था क्योंकि दिल्ली में उनकी सरकार द्वारा किसानों के हितों की रक्षा के लिए संशोधन बिल पास नहीं किए गए।

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