अपने प्रवक्ताओं की कमजोरी के चलते भाजपा के चक्रव्यूह में फंसती जा रही है कांग्रेस!

punjabkesari.in Wednesday, Jul 18, 2018 - 08:07 AM (IST)

जालंधर(वरिंदर सिंह): जिस प्रकार से 2019 के लोकसभा चुनावों को लेकर भाजपा की रणनीति स्पष्ट होने लगी है तथा कांग्रेस उसके सामने बेबस-सी दिखाई दे रही है।  उससे इस बात की चर्चा होने लगी है कि क्या कांग्रेस भाजपा के चक्रव्यूह में फंसती जा रही है। बात 3 तलाक की हो, हलाला की हो, कांग्रेस की इफ्तार पार्टी की हो, कांग्रेस मुस्लिम पार्टी है की हो या फिर राम मंदिर की, जिस प्रकार से इन मुद्दों को भाजपा द्वारा उठाया जा रहा है, से यह स्पष्ट दिखाई देने लगा है, की भाजपा 2019 का चुनाव हिन्दू-मुस्लिम मुद्दे तथा राम मंदिर के मुद्दे पर लडने की तैयारी कर चुकी है।


भाजपा को इस बात का आभास है कि वह अपने चुनावी घोषणा पत्र में किए किसी भी वायदे को पूरा नहीं कर पाई है। इसके अतिरिक्त जितने सपने देश की जनता को दिखाए गए थे, उनमें से एक भी सपना मोदी सरकार ने पूरा नहीं किया है, इसलिए उन वायदों का उल्लेख तक भाजपा कहीं नहीं कर रही है। भाजपा जानती है कि अगर 5 वर्षों के रिपोर्ट कार्ड पर चुनाव होता है तो भाजपा 21 न होकर 19 ही रहेगी, इसलिए वह अपने काम के दम पर मैदान में नहीं उतरना चाहती। इसके अतिरिक्त भाजपा कांग्रेस के कार्यकाल की विफलताओं को भी एक बार फिर से भुनाने के चक्कर में है इसलिए कभी कश्मीर, कभी एमरजैंसी, कभी 84 के दंगे, कभी बोफोर्स, कभी 2-जी, कभी कोयला घोटाला तो कभी शशि थरूर, मणिशंकर अय्यर तथा दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं के विवादास्पद बयानों को उछाला जा रहा है।


ऐसे में राजनीति को बारीकी से समझने वाले लोगों का मानना है कि कांग्रेस के रणनीतिकार भाजपा की नीति के आगे बेबस दिखाई दे रहे हैं तथा जो जाल भाजपा द्वारा बिछाया गया है, कांग्रेस उसमें फंसती दिखाई दे रही है। राजनीतिक पंडित मानते हैं कि कांग्रेस के प्रवक्ता भाजपा के प्रवक्ताओं के सामने इन मुद्दों पर कमजोर पड़ते दिखाई देते हैं क्योंकि उनके पास सटीक उत्तर नहीं है। जब भी कभी भाजपा वाले एमरजैंसी के नाम पर कांग्रेस को घेरते हैं तो कांग्रेस के प्रवक्ताओं को कहना चाहिए के एमरजैंसी तथा उसमें हुई ज्यादतियों के लिए जिस व्यक्ति को जिम्मेदार माना गया वह संजय गांधी थे तथा उनकी पत्नी मेनका गांधी भी उनके साथ सक्रिय थीं। वही मेनका गांधी तो आज भाजपा की सरकार में मंत्री हैं तथा उनका बेटा वरुण गांधी भी भाजपा से सांसद है।


जब एमरजैंसी लगाई गई थी, तब राजीव गांधी या सोनिया गांधी तो राजनीति में ही नहीं थे, फिर राहुल गांधी को कैसे एमरजैंसी के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। न तो चुनाव पूर्व वायदों का मामला कांग्रेस प्रवक्ता उठा पा रहे हैं और न ही कांग्रेस कोई जन आंदोलन ही भाजपा के चुनाव घोषणा पत्र में किए वायदों को लेकर छेड़ पाई है। हिन्दू-मुस्लिम, हिन्दू-मुस्लिम करके भाजपा न केवल अपने वायदों की ओर से जनता का ध्यान हटाने में सफल हुई है बल्कि उसने नोटबंदी तथा जी.एस.टी. से हुई परेशानी को भी भुला दिया है। 

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