अवैध शराब के कारोबार में कांग्रेसी विधायकों का हाथ : मजीठिया

punjabkesari.in Monday, Aug 03, 2020 - 09:46 AM (IST)

चंडीगढ़(अश्वनी): शिरोमणि अकाली दल ने अवैध शराब के कारोबार में कांग्रेसी विधायकों की भागेदारी का आरोप लगा जिम्मेदार कांग्रेसी विधायकों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की है। आबकारी और गृह मंत्री को तत्काल पद से इस्तीफा देना चाहिए। पत्रकारों से बातचीत में पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा कि घटना के लिए कांग्रेसी विधायक, पुलिस अधिकारी और शराब माफिया जिम्मेदार हैं। छोटे स्तर के अधिकारियों को निशाना बनाने की बजाय तीनों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।

यह भी मांग की कि घटना के बाद अमृतसर ग्रामीण में स्थानांतरित पूर्व एस.एस.पी. तरनतारन दहिया पर हत्या का केस दर्ज किया जाए। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के कई लोगों ने एस.एस.पी. से संपर्क कर अवैध शराब बनाने वालों और संरक्षण की शिकायत की थी। अवैध शराब के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कारों और स्कूटरों के नंबर के साथ तस्करों के फोन नंबर भी भेजे थे। बावजूद इसके एस.एस.पी. ने आंखें मूंद ली। इसलिए धारा 302 के तहत केस दर्ज किया जाना चाहिए।मुख्यमंत्री के मैजिस्ट्रियल जांच के आदेशों को खारिज कर मजीठिया ने कहा कि पूरी घटना बारे उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश या सी.बी.आई. से जांच करवानी चाहिए। उन्होंने कहा कि दशहरा हादसे में मैजिस्ट्रियल जांच का नतीजा देखा है। उन्होंने मांग की कि जांच में मुख्यमंत्री के धार्मिक सलाहकार परमजीत सिंह सरना के परिवार सहित डिस्टिलरी की भूमिका को भी ध्यान में रखा गया है, जिन्हें उनके परिवार की चीनी मिल से अवैध शराब का एक ट्रक पकड़ा था। बेहिसाब एकस्ट्रा न्यूट्रल एल्कोहल (ई.एन.ए.) अन्य दूसरी भट्ठिों से भी आए थे।

मजीठिया ने असली दोषियों को पकडऩे की मांग करते हुए कहा कि पहले जब्त राजपुरा अवैध डिस्टलरी के लिए जिम्मेदार कांग्रेसी नेताओं के खिलाफ उचित कार्रवाई की होती तो 101 मौतें न होतीं। कुछ कांग्रेसी विधायकों के नाम पीड़ित परिवारों ने लिए हैं। कांग्रेसी नेता अश्विनी सेखड़ी ने भी खुलासा किया है कि कैसे सत्तारूढ़ पार्टी के कुछ नेता पुलिस अधिकारियों के माध्यम से सब कुछ नियंत्रित करते हैं। मजीठिया ने कहा कि मुख्यमंत्री को आबकारी लूट के मुद्दे पर तब कार्रवाई करनी चाहिए थी जब पूर्व मुख्य सचिव अवतार सिंह आबकारी विभाग की लूट का मामला ध्यान में लाए थे और मंत्रियों को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा कि कार्रवाई की जगह समझौता करवा दिया और सरकारी खजाने को 5600 करोड़ का घाटा पड़ा तथा सैंकड़ों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।


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