जालंधर सीट पर 14 बार रहा है कांग्रेस का कब्जा, पढ़े पूरी खबर

punjabkesari.in Thursday, Apr 04, 2019 - 06:39 PM (IST)

जालंधर: पंजाब के दोआबा क्षेत्र की महत्वपूर्ण सीट जालंधर पर कांग्रेस का दबदबा रहा है तथा वह यहां से 14 बार चुनाव जीती है। इस बार यहां वकीलों के बीच दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा। कांग्रेस ने यहां चौधरी संतोख सिंह को दोबारा चुनाव मैदान में उतारा है। शिरोमणि अकाली दल (बादल) के उम्मीदवार चरणजीत अटवाल ने 25 साल तक कानून का अभ्यास किया। आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार जस्टिस जोरा सिंह (सेवानिवृत) भी वकालत के क्षेत्र से हैं। यहां तक कि बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार बलविंदर कुमार भी कानून की शिक्षा ले रहे हैं। यह सीट लंबे समय से कांग्रेस की झोली में रही है। पिछले चार लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने यह सीट जीती है।
 
कांग्रेस ने 1989 के बाद से किसी भी विजेता उम्मीदवार को दोबारा टिकट नहीं दिया था मगर इस बार उसने चौधरी संतोख सिंह पर विश्वास जताया। वह फिल्लौर से कई बार विधायक और कांग्रेस सरकार में मंत्री रह चुके हैं। उन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद अकाली दल के पवन कुमार टीनू को लगभग 71 हजार मतों से पराजित किया था। यहां 1951 के पश्चात अब तक दो उपचुनावों सहित 18 बार हुए लोकसभा चुनावों में कुल 14 बार कांग्रेस का कब्जा रहा है। 

जनता दल और शिरोमणि अकाली दल बादल को दो-दो बार जीत प्राप्त हो सकी है। जालंधर संसदीय हलके में कुल नौ विधानसभा क्षेत्र पड़ते हैं जिनमें फिल्लौर (एससी), नकोदर, शाहकोट, करतारपुर (एससी) जालंधर पश्चिम, जालंधर उत्तरी, जालंधर केन्द्रीय, जालंधर छावनी और आदमपुर शामिल हैं। इस क्षेत्र में कुल 1551497 मतदाता हैं। पहले संसदीय चुनाव में कांग्रेस के अमर नाथ ने शिअद के अजीत सिंह को 344581 मतों से पराजित किया था। उस समय अमर नाथ को 100103 तथा अजीत सिंह को 65645 वोट पड़े थे। इसके पश्चात 1957 में हुए चुनाव में कांग्रेस के साधू राम 18452 मतों से जीते। उसी वर्ष हुए उपचुनाव में कांग्रेस के स्वर्ण सिंह ने शिअद के चरन सिहं पर जीत प्राप्त की थी। 

वर्ष 1962 में कांग्रेस के स्वर्ण सिंह ने 154474 मत प्राप्त कर एसडव्लयुए के करतार सिंह को पराजित किया। अपनी विजय यात्रा जारी रखते हुए उन्होंने एक बार फिर 1967 में एसडव्लयुए के एसपी सिंह को पराजित किया। वर्ष 1971 में स्वर्ण ने शिअद के इकवाल सिंह ढिल्लों को 93469 मतों से हराया। आपातकाल के बाद 1977 में हुए चुनाव में शिअद के इकवाल सिंह ढिल्लों ने अपनी हार का बदला लेते हुए कांग्रेस के स्वर्ण सिंह को 118108 मतों से हराया। वर्ष 1980 में राजिंदर सिंह स्पैरो ने जेएनपी के सरार को 72321 मतों के अंतर से हराया। 
इसके पश्चात 1985 में कांग्रेस के राजिंदर सिंह स्पैरो शिअद के प्रीतम सिंह को हरा कर सांसद बने।  

जनता दल के इंदर कुमार गुजराल ने 1989 में कांग्रेस के उम्मीदवार को 80358 मतों से पराजित किया था। कांग्रेस के यश ने 1991 में भाजपा के जुगल महाजन को 113813 मतों से पराजित किया था। वर्ष 1993 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के उमराओ सिंह ने शिअद के कुलदीप सिंह बडाला को हराया लेकिन वह वर्ष 1996 में हुए आम चुनाव में कांग्रेस के उमराव सिंह शिअद के दरवारा सिंह से हार गए। इसके बाद 1998 में भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। जनता दल के उम्मीदवार इंदर कुमार गुजराल ने 131016 मतों के अंतर से कांग्रेस के उमराव सिंह को हराया। 

गुजराल को 58.50 प्रतिशत 380785 मत प्राप्त हुए थे जबकि उमराव सिंह को 249769 मत मिले थे। एक वर्ष बाद ही 1999 में कांग्रेस के बलवीर सिंह ने शिअद की प्रभजोत कौर को 34566 मतों से पराजित किया था। साल 2004 में कांग्रेस के राणा गुरजीत सिंह ने शिअद के नरेश गुजराल को 33467 मतों से पराजित किया। साल 2009 में इस सीट से कांग्रेस के मोहिंदर सिंह केपी ने शिरोमणि अकाली दल के उम्मीदवार तत्कालीन राज गायक हंस राज हंस को 36445 मतों से हराया था।  
 

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