पंजाब में एक बार फिर 1996 वाले मोड़ पर कांग्रेस

punjabkesari.in Monday, Sep 20, 2021 - 10:55 AM (IST)

पटियाला (राजेश पंजौला): चरनजीत सिंह चन्नी को पंजाब का मुख्यमंत्री घोषित करने के बाद एक बार फिर से पंजाब में बेअंत सिंह की शहादत के बाद वाले हालात बन गए हैं। 31 अगस्त 1995 को बेअंत सिंह की शहादत के बाद पंजाब में लीडरशिप का संकट पैदा हो गया था। कांग्रेस हाईकमान ने उस समय हरचरन सिंह बराड़ को मुख्यमंत्री बना दिया था। उन्होंने कुछ महीने काम किया परंतु जब हाईकमान को लगा कि बराड़ फेल मुख्यमंत्री साबित हो रहे हैं तो चार महीने बाद रजिन्द्र कौर को पंजाब का मुख्यमंत्री बना दिया था। 

कांग्रेस हाईकमान ने महसूस किया कि मौजूदा समय में कैप्टन अमरेंद्र सिंह बतौर मुख्यमंत्री फेल साबित हो रहे हैं, जिस कारण उनको इस्तीफा देने के आदेश जारी कर दिए। कांग्रेस हाईकमांड ने रविवार को विधायक दल की मीटिंग रखी थी परंतु वह भी कैंसिल करनी पड़ी। रविवार शाम को सुखजिन्द्र सिंह रंधावा का नाम फाइनल होने के बारे अंतिम खबर आ गई, जिसके बाद नवजोत सिद्धू फिर नाराज हो गए और कांग्रेस ने अंत में दलित पत्ता खेलते हुए चरनजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित कर दिया।

दूसरी तरफ पंजाब कांग्रेस की राजनीति एक बार फिर से 1996 वाले मोड़ पर पहुंच गई है। जब चुनाव से 4 महीने पहले रजिन्द्र कौर को मुख्यमंत्री बनाया था। जब 1997 के शुरू में चुनाव हुए तो कांग्रेस पार्टी को 117 सीटों में से सिर्फ 14 सीटों ही हासिल हुई। अब 4 महीने पहले फिर से कांग्रेस पार्टी ने नया मुख्यमंत्री बना दिया है। इतनी गुटबाजी के बाद दबाव में आए हाईकमान ने चन्नी को सी.एम. तो बना दिया है परंतु 2022 का रास्ता मुश्किल हो गया है, क्योंकि कांग्रेस में चन्नी से कहीं सीनियर नेता बैठे हैं। पंजाब का जाट सिख भाईचारा अपने आपको अनदेखा महसूस कर रहा है। पंजाब की परम्परा रही है कि यहां जाट सिख ही मुख्यमंत्री बनते रहे हैं। पहली बार कांग्रेस पार्टी ने इस परम्परा को तोड़ा है। अब यह आने वाला समय बताएगा कि कांग्रेस पार्टी को 1997 वाले नतीजे मिलेंगे या फिर दलित पत्ता खेल कर कांग्रेस फिर से सरकार बनाने में सफल हो जाएगी।

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Content Writer

Tania pathak