शिअद संरक्षक प्रकाश सिंह बादल के साथ पंजाब केसरी की खास बातचीत

punjabkesari.in Wednesday, Feb 02, 2022 - 12:50 PM (IST)

जालंधर: देश के सबसे बुजुर्ग सियासतदान प्रकाश सिंह बादल 94 साल की उम्र में एक बार फिर से चुनावी मैदान में हैं। दर्जन बार चुनाव लडने और जीतने के बावजूद इस विधानसभा चुनाव में भी उनका उत्साह वैसा ही जैसे किसी उम्मीदवार को पहली बार टिकट मिला हो। बीती आधी सदी से पंजाब खासकर अकाली राजनीति की धुरी रहे प्रकाश सिंह बादल शिरोमणि अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन की जीत को यकीनी बनाने के लिए रणनीति बनाने में जुटे हैं। अपने बादल गांव स्थित आवास पर वह सुबह से देर सायं तक विरोधी दलों के लिए चक्रव्यूह रचने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे। 5 बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल के साथ चुनावी मसलों, विरोधी दलों और प्रमुख विपक्षी नेताओं के किरदार आदि पर बात की पंजाब केसरी, नवोदय टाइम्स, जग बाणी, हिंद समाचार से हरिश्चंद्र ने -

प्र: अकाली दल की चुनावी तैयारी कैसी है, भाजपा से अलग होकर चुनाव लड़ रहे हो, क्या बसपा उसकी भरपाई कर पाएगी?
उ:
अकाली-बसपा गठबंधन एक कुदरती गठबंधन है और यह एक सामाजिक सांझ है। अकाली-बसपा जब भी इकट्ठा हुए हैं, क्लीन स्वीप जीत हासिल हुई है। इस बार भी दीवार पर साफ लिखा है कि यह गठजोड़ सूपड़ा साफ करके एक बार फिर जीत का डंका बजाएगा।

प्र: बेअदबी के मामले में जांच किसी सिरे नहीं चढ़ पाई, 5 साल में भी कांग्रेस सरकार दोषियों का पर्दाफाश नहीं कर पाई। क्या यह बस चुनावी मुद्दा था?
उ:
दरअसल, हमारे विरोधियों की असली दोषियों को पकडने में कोई रुचि थी ही नहीं, न बेअदबी के और न ही नशों के दोषियों को पकडने में। इनका एकमात्र मकसद सिर्फ पंथ को दोफाड़ करके अकाली दल को कमजोर करना था। यह सारा कुछ गैर-पंजाबी और पंजाब नफरत करने वाले इनके आकाओं की साजिश का नतीजा था, जिसका पर्दाफाश हो रहा है और अभी आगे भी होगा।

प्र: नशे को लेकर हाल ही में बिक्रम मजीठिया पर सरकार ने पर्चा दर्ज किया था। क्या इससे अकाली दल की इमेज पर असर नहीं पड़ा?
उ:
अकाली दल के नेताओं के खिलाफ झूठे पर्चों की राजनीति कोई नई बात नहीं है। इसमें से शिरोमणि अकाली दल हमेशा की तरह और भी तगड़ा होकर निकला है। इस बार भी वैसे ही हो रहा है। पहले बेअदबी बारे और अब नशों के बारे में झूठे इल्जाम पर हमारे विरोधियों को हर फ्रंट पर मुंह की खानी पड़ रही है। अब हमारे विरोधियों के काडर में निराशा क्यों है, कभी सोचा है?

प्र: नवजोत सिद्धू और बिक्रम मजीठिया में 36 का आंकड़ा है, क्या सिद्धू के दबाव में चन्नी सरकार ने यह केस किया है?
: गुरु साहिबान कह गए हैं कि किसी भी अहंकारी को मारने के लिए उसका अहंकार ही काफी है। मैं सिद्धू साहब बारे कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता।

प्र: अकाली दल ने नवजोत सिद्धू के खिलाफ बिक्रम मजीठिया को चुनाव मैदान में उतारा है। इसके पीछे राजनीतिक कारण हैं या निजी खुन्नस?
उ:
लोगों के उत्साह का नतीजा है कि अकाली दल के बच्चे ने उनके प्रधान को उसी के घर में जाकर ललकारा है।

प्र: चन्नी पंजाब में पहले दलित सी.एम. बने। थोड़े से समय में अपने कामों से हरेक की जुबान पर छा गए हैं। बतौर मुख्यमंत्री बड़ी तेज स्पीड से काम किए उन्होंने। आप इस बारे क्या कहेंगे?
उ:
चन्नी साहब की कोई एक प्राप्ति गिना दो, सिर्फ ऐलान ही ऐलान हैं। चलो इतना ही बता दो कि रेत 5 रुपए के हिसाब से मिल रही है? और भी महंगी हो गई है। क्यों हुई है, उसका भी सच सबके सामने आ गया है न।

प्र: सी.एम. चन्नी अपनी चमकौर साहिब सीट के अलावा अब भदौड़ से भी चुनाव लड़ रहे हैं। क्या वह सेफ सीट देख रहे हैं?
उ:
बिक्रम मजीठिया अपनी सीट से बाहर जाकर कांग्रेस नेता को उसी के घर जाकर ललकार रहा है, और चन्नी साहब अपना घर छोड़ कर और जगह भाग रहे हैं। आप समझ रहे हो न कि पंजाब का माहौल क्या बता रहा है? क्या अभी भी और कुछ कहने की जरूरत बाकी है।

प्र: कैप्टन अमरिंदर ने इस उम्र में आकर नई पार्टी बनाई है। भाजपा से मिलकर चुनाव भी वह लड़ रहे हैं। क्या लगता है, वह कोई करिश्मा कर पाएंगे?
उ:
इसका जवाब लोग देंगे। वैसे, जवाब सबको साफ नजर आ रहा है। मैंने इस पर टिप्पणी क्या करनी है?

प्र: आपको क्या लगता है कि अमरिंदर से बेअदबी और नशे के मामलों की जांच सिरे न चढ़ाने के कारण विधायक नाराज थे या कुछ नेताओं की महत्वाकांक्षाएं कुछ ज्यादा बढ़ गई थीं?
उ:
सच्ची बात तो यह है कि साढ़े 4 साल यही लोग अमरिंदर को भगवान बताते आए हैं। उसके फार्म हाऊस में बैठकर हर शाम रंगीन करते रहे। आखिर में जब इन्हें लगा कि लोग कांग्रेस से नफरत कर रहे हैं, तो इन्होंने लोगों की आंखों में धूल झोंकने के लिए यह नाटक रचा, वह भी उल्टा पड़ गया। जो चीज सभी पंजाबियों को छह महीनों में ही नजर आ गई थी, क्या इनको वह देखने-समझने में साढ़े 4 साल लग गए? 5 साल का कुल समय था। ये पूरा समय चन्नी साहब मंत्री बने रहे, छोड़ देते। सिद्धू भी अढ़ाई साल मंत्री बने रहे, बाद में इस्तीफा नहीं दिया बल्कि उनसे वजीरी छीनी गई। फिर आज यह कैसे लोगों को यकीन दिला सकते हैं कि साढ़े 4 साल की बर्बादी में यह बराबर के हिस्सेदार नहीं हैं।

प्र: लंबे समय तक आपके साथी रहे सुखदेव सिंह ढींडसा इस बार कई सीटों पर आपके उम्मीदवारों के खिलाफ खड़े हैं। आपने उनके बेटे को भी विधानसभा में ग्रुप लीडर बनाया था, फिर ऐसे क्या कारण रहे हैं उनकी नाराजगी के?
उ:
मैं तो सभी का सत्कार करता हूं। मैंने तो पार्टी में सबसे बड़ा ओहदा और सबसे सम्मान वाली जगह उन्हें दी, बल्कि उनके बेटे को भी अजीज समझा और वित्त मंत्री बनाया जो मुख्यमंत्री के बाद सबसे अहम महकमा होता है। तब उन्होंने कभी कोई नाराजगी नहीं दिखाई। फिर सरकार जाने के बाद उनकी कौन सी मजबूरी हो गई, यह तो वही बता सकते हैं। मेरे मन में तो किसी के लिए कोई रंजिश नहीं। सभी के लिए प्यार और सत्कार ही है।

प्र: कैप्टन अमरिंदर को जिस तरह मुख्यमंत्री पद से हटाया गया, उस बारे क्या कहेंगे? क्या किसी खास नेता को एडजस्ट करने के लिए पार्टी को अपने पुराने और सीनियर नेता को इस तरह हटाना चाहिए था?
उ:
यह कांग्रेस पार्टी का पुराना स्टाइल है, लोगों को पता है। लोगों को संजीदगी की मांग है, ड्रामेबाजी या नौटंकी नहीं। कांग्रेस पार्टी और आम आदमी पार्टी की नौटंकी मंडली को मेरी विनती है कि बहुत हो गया, पंजाब पर रहम करो और कोई संजीदा बात करो।

प्र: भाजपा यह दावा कर रही है कि अगली सरकार पंजाब में वही बनाएगी। भाजपा में रोजाना ही कई नेता शामिल हो रहे हैं, क्या इस तरह वह अपने हक में हवा नहीं बना रही?
उ:
हरेक को दावा करने का हक है। भाजपा को शिरोमणि अकाली दल की मदद के बिना पंजाब में कभी भी 4-5 से ज्यादा सीट नहीं मिलीं। ये सभी जानते हैं।

प्र: आपकी उम्र भी काफी हो गई है और अभी-अभी कोरोना से भी पीड़ित रहे हैं, तो क्या सोचते हैं कि चुनाव प्रचार में कितना लोगों तक पहुंच कर पाएंगे?
उ:
जिंदगी में बात उम्र की नहीं बल्कि लगन, जोश और वचनबद्धता की होती है। जितनी देर अकाल पुरख बल बख्शेगा, मैं सेवा में मगन रहूंगा। मेरा गुरु साहिबान में और अकाल पुरख की मेहर में अटूट भरोसा है और यह शक्ति मुझे युगों-युग अटल श्री गुरु ग्रंथ साहिब से मिलती है।

प्र: कांग्रेस के साथ तो आपका लगातार कई वर्षों से मुकाबला रहा है, लेकिन इस बार मैदान में कई राजनीतिक दल हैं, ऐसे में चुनाव के नतीजे को कैसे देखते हैं?
उ:
जितने ज्यादा विरोधी होंगे, शिरोमणि अकाली दल को उतना ही ज्यादा फायदा मिलेगा। उतनी ही अधिक शक्ति अकाल पुरख देता आया है और देता रहेगा। सूबे में भारी बहुमत के साथ अकाली-बसपा सरकार बनने जा रही है और झूठ व फरेब की कमर तोड़ हार होने जा रही है। इस चुनाव के बाद न केजरीवाल साहब ढूंढे मिलेंगे और न ही चन्नी साहब। अकाल पुरख की मेहर के साथ सिर्फ सत्य का डंका बजेगा और अकाली-बसपा सरकार पंजाब की भरपूर सेवा करेगी।

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News Editor

Kalash

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