कोरोना और कर्फ्यू बना ड्रग पीड़ितों के लिए संकट; नशामुक्ति केंद्र बंद, कइयों में दवाएं नहीं

punjabkesari.in Friday, Mar 27, 2020 - 08:32 AM (IST)

जालंधर(एन. मोहन): कोरोना वायरस की दहशत ने अब पंजाब के ड्रग पीड़ितों के लिए संकट खड़ा कर दिया है। पंजाब में कर्फ्यू उपरांत नशा छुड़ाओ केंद्र बंद हैं, अगर खुले भी हैं तो वहां दवाएं नहीं हैं। डॉक्टर कोरोना में व्यस्त हैं और कैमिस्ट शॉप भी बंद हैं। ऐसे में नशे की लत छोड़कर मुख्य धारा में आए लोग अब दवा के लिए परेशान हो रहे हैं। ऐसी स्थिति राज्य में 178 से अधिक स्थापित ‘ओट’ केंद्रों में हैं जहां 70,000 ड्रग पीड़ित अपना उपचार करवा रहे हैं।  

ड्रग उपचार केंद्रों में दवाओं के अभाव का मुद्दा पंजाब विधानसभा के बजट सत्र में भी उठा था। सरकार पर ऐसे आरोप लगे थे कि बुप्रेनोरफिन की गायब हुई 5 करोड़ गोलियों ने राज्य में नशा पीड़ितों की संख्या बढ़ा दी है और अपना उपचार करवा रहे लोग अब अन्य ड्रग का नहीं बल्कि बुप्रेनोरफिन से पैदा हुए नशे का उपचार करवा रहे हैं। विधानसभा में ये तथ्य भी रखे गए थे कि पंजाब सरकार की रिपोर्ट बताती है कि सरकारी तथा प्राइवेट नशामुक्ति केंद्रों में इलाज करवा रहे कुल 3.94 लाख नशा रोगियों में से 17 फीसदी बुप्रेनोरफिन की लत से पीछा छुड़वाने के लिए इलाज करवा रहे हैं।

अब संकट दोनों तरह का ही है। ड्रग उपचार केंद्र बंद पड़े हैं और जो खुले हैं उनमें दवाएं नहीं हैं और वहां मौजूद स्वास्थ्य अधिकारी यह कहकर दवाएं देने से इंकार कर रहे हैं कि अभी ड्रग उपचार की दवाएं देने की अनुमति नहीं है। इन पीड़ित लोगों के लिए कफ्र्यू भी किसी संकट से कम बनकर नहीं उतरा। रायकोट में आज भी सुबह गुरु नानक नशा छुड़ाओ केंद्र में पीड़ित दवा लेने आए थे। पीड़ितों का कहना था कि अब उनकी हालत न जिंदा लोगों में है न मुर्दा लोगों में। बताते हैं कि पीड़ित लोगों ने अन्य जुगाड़ू नशे लेने शुरू कर दिए हैं। हालांकि सरकार गायब हुई 5 करोड़ गोलियों के मामले की जांच करवा रही है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि वह इस मामले को गंभीरता से लेंगे और कल ही अधिकारियों से संपर्क कर कोई निर्णय लेंगे। सरकार ऐसा कदापि नहीं होने देगी कि जिन लोगों को नशे की दलदल से निकाला गया है वे दोबारा इसमें जाएं।

Vatika