कोरोना संक्रमित हैल्थ वर्करों का आंकड़ा पहुंचा लाख के करीब

punjabkesari.in Friday, Sep 11, 2020 - 09:04 AM (IST)

चंडीगढ़(हरिश्चंद्र): जब देश में कोरोना ने दस्तक दी थी तब 22 मार्च को देशभर में लोगों ने ताली और थाली बजाई थी। यह सब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर एकजुट होकर जनता ने किया था। तभी कोरोना वारियर्स जैसा नया शब्द भी सामने आया था। फ्रंट फुट पर घातक बीमारी से लड़ रहे डाक्टरों, पैरा मैडीकल स्टाफ और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों, पुलिस बल आदि को सम्मान व सलामी देने के लिए तब ताली और थाली बजाई गई थी। इसके बाद 5 अप्रैल को एक बार फिर मोदी के कहने पर जनता ने रात 9 बजे घर के बाहर दीए, मोमबत्ती और कहीं-कहीं मोबाइल फोन की टार्च से रोशनी कर योद्धाओं का उत्साह बढ़ाया।

अगले माह यानी 3 मई को आर्मी बैंड की धुन देश के कई बड़े अस्पतालों में सुनाई दी तो कई जगह पर वायुसेना ने अस्पतालों पर पुष्प वर्षा कर उन्हें अपनी ओर से सलामी दी।इसके बाद क्या हुआ। कई रा’यों में कोरोना जांच के लिए गए स्टाफ के साथ न केवल धक्का-मुक्की बल्कि मारपीट तक की गई। मई के बाद महीना-दर महीना कोरोना के केस बढ़े, मौतों के आंकड़ों में इजाफा हुआ तो डाक्टरों-पैरा मैडीकल स्टाफ आदि की सुध लेने वाला कोई सामने नहीं आया। सूत्रों की मानें तो सितंबर के पहले सप्ताह के दौरान देशभर में संक्रमित स्वास्थ्य कर्मियों का आंकड़ा एक लाख के करीब पहुंच गया है। इंडियन मैडीकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजन शर्मा ने बताया कि अब तक कोरोना संक्रमित 352 डाक्टरों की मौत हो चुकी है। यह वह डाक्टर हैं जो आई.एम.ए. के साथ जुड़े हैं। इनमें करीब 200 जनरल फिजिशियन हैं, जो शुरूआती स्तर पर मरीजों को देखते हैं। 8 अगस्त तक देशभर में 196 डाक्टरों की कोरोना से मौत हुई थी जबकि बीते एक माह के दौरान 156 डाक्टर काल का ग्रास बने। सरकार ने शुरूआत में ऐलान किया था कि कोरोना की जंग में बलिदान देने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को शहीदों की तरह सम्मान दिया जाएगा, मगर इसमें भी भेदभाव किया गया। सरकारी डाक्टर की मौत पर 50 लाख देने की घोषणा हुई मगर कोरोना से जंग में शहीद निजी डाक्टरों के आश्रितों को सहायता से बाहर रखा गया। हमारे डाक्टरों की मेहनत ही है कि कोरोना से ज्यादा प्रभावित अन्य मुल्कों के मुकाबले मृत्यु दर बहुत कम है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े बताते हैं कि प्रति मिलियन आबादी पर अमरीका में 526, ब्राजील में 533 मौतों के मुकाबले भारत में 41 मौतें दर्ज की गई हैं।

पंजाब ने दिया डाक्टर को सम्मान
पंजाब में 30 अगस्त को अमृतसर सिविल अस्पताल के एस.एम.ओ. डॉ. अरुण शर्मा की कोरोना के कारण मौत हो गई थी। वह 18 अगस्त से अस्पताल में भर्ती थे। उनके निधन पर न केवल मुख्यमंत्री ने श्रद्धांजलि दी बल्कि अंतिम संस्कार के मौके पर स्वास्थ्य मंत्री खुद हाजिर रहे और परिवार को सांत्वना दी। आई.एम.ए. (पंजाब) के सचिव डॉ. परमजीत मान ने बताया कि पंजाब में अब तक 4 डाक्टरों की कोरोना के कारण मौत हो चुकी है। जिनमें अमृतसर के एस.एम.ओ. के अलावा & प्राइवेट डाक्टर, सुनाम के डॉ. सतपाल सिंगला, बटाला के डॉ. राकेश गुप्ता और  समराला के डॉ. प्रदीप अग्रवाल शामिल हैं। आई.एम.ए. पंजाब और केंद्र सरकार को कई बार आग्रह कर चुकी है कि सरकारी की तर्ज पर निजी डाक्टरों को कोरोना वारियर्स मानते हुए उनके आश्रितों को भी सरकारी मदद मुहैया करवाई जाए। मगर सरकार ने इस तरफ गंभीरता नहीं दिखाई।

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