Lockdown में कोरोना न्यूज़ नहीं पॉर्न देख रहे हैं भारतीय, सोशल-मीडिया पर धड़ल्ले से हो रहा आदान-प्रदान

punjabkesari.in Saturday, Apr 18, 2020 - 01:24 PM (IST)

लुधियाना (महेश): लॉकडाऊन के दौरान लोगों को घर पर रखने के लिए सोशल मीडिया व इंटरनैट पर पोनोग्राफी वैबसाइटों एवं पेर्न वीडियो क्लिपस की बाढ़ आ गई है, जिसमें लोगों को जायज व नाजायज ढंग से अश्लीलता परोसी जा रही है। इसमें चिंताजनक बात यह है किन पोर्नोग्राफी बैबसाइटों पर विजिट करने वाले युवा वर्ग की मात्रा अधिक है। एक संस्था ने माना है कि लॉकडाऊन के दौरान पोनोग्राप्ती वैबसाइटों पर विजिट करने वालों में एकाएक 95 प्रतिशत उछाल आया है।

यही नहीं फेसबुक, यू-ट्यूब व मोबाइल एप्स पर पहले कामुकता भरे हैडिंग के साथ अश्लील अर्द्धनग्र वीडियो क्लिप परोसे जाते थे, लेकिन अब सीधे आपस में सेक्स संबंध बनाते हुए युवा, टीनएजर और वृद्ध लोगों के सैक्स वीडियो की खुलेआम भरमार है। हाल ही में करवाए गए एक अध्ययन में रहस्य उजागर हुआ है कि पोर्न वेबसाइटों पर विजिट करने वालों में 90 प्रतिशत पुरुष, 1 प्रतिशत महिलाएं व शेष के बारे में पता नहीं चल पया है। ज्यादातर लोग व्हाट्सएप पर भी अश्लील, सैक्स संबंध बनाते हुए वोडियो क्लिप का आदान प्रदान कर रहे हैं। इसमें सभ्य लोग भी शामिल है और महिलाओं की संख्या में भी इसमें कमी नहीं है। इन पोर्न वीडियो का मोबाइल गुपों में धड़ल्ले से आदान-प्रदान किया जा रहा है। इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फंड ने चिंता प्रकट करते हुए कहा है कि इसमें लाखों पीडोफाइल, बाल बलात्कारी और पोर्नोग्राफिक एडिक्टस को ऑनलाइन ऐसी सामग्री की आपूर्ति हो रही है।

बच्चे व टिनएजर अब ज्यादा समय नैट पर व्यतीत करते हैं जिसके चलते ऐसे लोग नैट पर ज्यादा सक्रिय हो गए हैं, जो टिनएजर व बच्चों को भावनात्मक तर पर अपने साथ जोड़ते हैं और उनको मनोवैज्ञानिक तौर पर तैयार करते हैं कि वे अपनी साथी सहेली या दोस्त के साथ लाइव होकर सैक्स करें या अश्लील छेड़छाड़ करें। जब वे ऐसा करने के लिए तैयार हो जाते हैं तो यह उसकी रिकार्ड कर लेते हैं और उसे वायरल कर देते हैं।कई मां-बाप को इस समय अपने बच्चों की हरकतें असाधारण लग रही हैं, जिनमें उन्माद भरा हुआ नजर आ रहा है। जब ऐसे बच्चों को उनके मां-बाप द्वारा वॉच किया गया तो उन बच्चों ने कम्प्यूटर व लैपटाप को छोड़कर मोबाइल हैंडसैट पर पोर्न देखना जारी रखा है। कुछ ऐसी पोर्न साइटें जो कम्प्यूटर व लैपटाप पर नहीं खुलती वे मेवाइल नैटवर्क पर आसानी से खुल रही हैं। अब तो मोबाइल पर ऑनलाइन चैट के माध्मय से युवा वर्ग व टिनएबर को सैक्स परोसा जा रहा है। केंद्र सरकार ने कुछ ऐसी साइटें बैन कर दी थी जो गूगल पर अब नहीं देखी जा सकती। इस समय लॉकडाऊन के दौरान सोशल मीडिया पर चल रही पोर्नेग्राफी वैबसाइट्स लोगों को घर में टिका कर एक अच्छा काम कररही है या कानून व सामजिक तौर पर यह एक अपराध है।


चाइल्ड हेल्पलाइन पर 92,000 एमरजेंसी कॉल आई
फंड की प्रवक्ता निवोदिता आहूजा का कहना है कि लोंकडाऊन के दौरान चाइल्ड हैल्पलाइन पर 92000 एमरजैसी कॉल आई हैं। यह कॉल 11 दिन के अंतराल के दौरान आई जिसमें अधिकतर शिकायतें हिंसा यौन अपराध की है। इससे बच्चों के प्रति होने वाले यौन अपराध में पोर्नाग्राफी वैबसाइट व पोर्न वीडियो की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि ऐसी वैबसाइटों को तत्काल प्रभाव से बैन किया जाए। 


मनोवैज्ञानिक डाक्टरों के पास आ रही टीनएजर की शिकायतें
नैट पर पोर्नोग्राफी वैबसाइटों व पोर्न वीडियो देखते रहने के कारण टिनएजर के स्वभाव में असाधारण तौर पर बदलाव हुए हैं। वह एक उन्मादी और उत्तेजित व्यक्ति की तरह व्याहार कर रहे हैं। डी.एम.सी. मनोवैज्ञानिक चिकित्सक विभाग के मुखी प्रोफैसर डी.पी. मिश्रा के अनुसार लॉकडाऊन के दौरान उनको फोन पर अभिभावकों ने कई ऐसी शिकायतें बताई हैं। इन शिकायतों की मात्रा लोकडाऊन के दौरान बहुत बढ़ गई है। डाक्टर ने माना है कि इस समय हर उम्र के लोग घर पर रहते हैं और टी.वी. पर चलने वाले कार्यक्रम और कोरोना वायरस की खबरों को देखकर ऊब चुके है। इस कारण बड़ी ही आसानी से उनका झुकाव अश्लीलता की तरफ हो जाता है जिसमें हर वर्ग के लोग हैं। इंटरनेट मानव जीवन में अंदर तक घुसपैठ कर चुका है। इसके फायदे और नुक्सान भी है। उन्होंने सुझाव दिया कि बच्चों का ध्यान ऐसी गतिविधियों से हटाने के लिए परिवार को सामूहिक गेम्स, योग, डांस, एरोबिक्स आदि एक्टीविटी करनी चाहिए।

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