केवल ‘फॉर्मेलिटी’ बन चुका है जालंधर निगम का पार्षद हाऊस
punjabkesari.in Saturday, Jan 07, 2023 - 11:07 AM (IST)

जालंधर: बाकी शहरों के निगमों का तो पता नहीं परंतु जालंधर नगर निगम का पार्षद हाऊस इस समय केवल फॉर्मेलिटी बन चुका है। हाऊस की बैठकें केवल खानापूर्ति या दिखावे मात्र के लिए होती हैं ताकि प्रशासनिक मंजूरियों इत्यादि को समय रहते पूरा किया जा सके।
पिछले 5 साल रहे कांग्रेस के राज दौरान जालंधर निगम के पार्षद हाऊस की इतनी दुर्गति हुई कि अब पार्षद भी हाऊस में दिलचस्पी नहीं लेते। कभी समय था जब निगमों के पार्षद हाऊस को ‘सुप्रीम’ कहा जाता था। तब बड़े से बड़ा धाकड़ अफसर भी पार्षद हाऊस का सामना करने से घबराता था। हाऊस दौरान हुई चर्चा में अगर किसी निगम कर्मचारी या अधिकारी का नाम आ जाता था तो उस अफसर के चेहरे पर आया पसीना देखने लायक होता था परंतु अब जालंधर निगम और चंडीगढ़ बैठी लोकल बॉडीज की अफसरशाही चुने हुए प्रतिनिधियों पर इतनी हावी हो चुकी है कि अफसर पार्षद हाऊस में ही पार्षदों को आंखें तक दिखाने लग गए हैं।
पिछले सालों दौरान एक उच्च अफसर की शह पर निचले दर्जे के अफसरों ने पार्षद हाऊस का बायकाट तक किया और यह फैसला भी लिया कि हाऊस में सीधे रूप से पूछे गए पार्षदों के सवालों के जवाब अफसर नहीं देंगे। पार्षदों को लिखित में प्रश्न पूछने होंगे। अब तो ऐसा समय आ गया है कि पार्षद हाऊस अगर किसी विषय पर सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास करता है तो पहले तो जालंधर निगम के अधिकारी ही उसे हल्के में लेते हैं और चंडीगढ़ में बैठे लोकल बॉडीज के अफसर तो उस प्रस्ताव को मानो रद्दी की टोकरी में ही फैंक देते हैं। यही कारण है कि वर्तमान नगर निगम के पार्षद हाउस की आखिरी बैठक जो 7 जनवरी को बुलाई गई है, उसे लेकर सभी दलों के पार्षदों में कोई खास उत्साह नहीं है और माना जा रहा है कि आधे पार्षद भी इस बैठक में मौजूद नहीं होंगे।
एडवर्टाइजमेंट और एल.ई.डी को लेकर पार्षद हुए अच्छे खासे बेइज्जत
पार्षद का चुनाव सबसे कठिन माना जाता है और एक समय था जब पार्षद चुना जाना किसी के लिए भी गौरव का क्षण हुआ करता था। तब पार्षद को ‘नगर पिता’ तक का दर्जा दिया जाता था परंतु अब कई कारणों की वजह से पार्षद पद की वैल्यू निरंतर कम होती जा रही है जिसके चलते कई वर्तमान पार्षदों ने तो भविष्य में पार्षद का चुनाव लड़ने से ही तौबा कर ली है। कभी ऐसा भी समय था कि पार्षद के दफ्तर आते ही निगम के अधिकारी सीट से उठ जाया करते थे परंतु अब तो ज्यादातर अफसर पार्षद को कुर्सी पर बैठने तक के लिए नहीं कहते। पिछले समय दौरान कांग्रेस के राज में जालंधर निगम के पार्षद हाऊस ने विज्ञापन स्कैंडल और एल.ई.डी. स्ट्रीट लाइट स्कैंडल को लेकर दो विशेष बैठकें आयोजित कीं और सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करके दोषी अधिकारियों और ठेकेदारों पर कड़ी कार्रवाई और विजिलेंस जांच तक की मांग की परंतु हाउस द्वारा पास प्रस्तावों को चंडीगढ़ में फाइलों में ही दफन कर दिया गया।
पिछले समय दौरान पार्षदों ने टूटी सड़कों, बंद सीवरेज, गंदे पानी, खराब स्ट्रीट लाइटों और आवारा कुत्तों की समस्या इत्यादि को लेकर जितने भी मुद्दे हाऊस में उठाए, उनमें से ज्यादातर का कोई हल नहीं निकला और कई पार्षद भी मात्र इसी से ही संतुष्ट हो गए कि उन द्वारा वार्ड से संबंधित मुद्दे उठाने के समाचार वार्ड निवासियों ने पढ़ लिए है।
आम आदमी पार्टी की कारगुजारी को लेकर हो सकता है हंगामा
वैसे तो 7 जनवरी को होने जा रही पार्षद हाऊस की बैठक में हंगामे का कारण बन सकता कोई खास प्रस्ताव नहीं है परंतु ज़ीरो आवर में आम आदमी पार्टी की कारगुजारी (परफॉर्मेंस) का मुद्दा उठ सकता है जो हंगामे का कारण भी बन सकता है । गौरतलब है कि इस समय जालंधर निगम में कोई भी पार्षद आम आदमी पार्टी से नहीं है परंतु पिछले महीनों दौरान डिप्टी मेयर हरसिमरनजीत सिंह बंटी, कांग्रेसी पार्षद मिंटू गुर्जर, मिंटू जुनेजा, भाजपा पार्षद श्वेता धीर, चंद्रजीत कौर संधा और वीरेश मिंटू इत्यादि ने आम आदमी पार्टी ज्वाइन कर ली है इसलिए यह पार्षद ‘आप’ का बचाव करते दिख सकते हैं। अब कांग्रेस तथा भाजपा के पार्षद भी हाऊस में आम आदमी पार्टी को लेकर आक्रामक नहीं होंगे क्योंकि उन्हें पंजाब की ‘आप’ सरकार का डर सताता रहेगा इसलिए माना जा रहा है कि आज को होने जा रही बैठक कमोबेश जल्दी समाप्त हो जाएगी ।
हाऊस के पूरे एजेंडे में स्मार्ट सिटी का कोई जिक्र नहीं
वैसे तो इस बार हो रही पार्षद हाऊस की बैठक के ज्यादातर प्रस्ताव मात्र हाऊस की अनुमति लेने के लिए डाले गए हैं और ज्यादातर विकास कार्य भी संपन्न हो चुके हैं परंतु हैरतअंगेज बात यह है कि पूरे 50 पेज के एजैंडे में स्मार्ट सिटी का कोई जिक्र नहीं है। पिछली बैठकों दौरान स्मार्ट सिटी को लेकर अच्छा खासा हंगामा होता आया है और स्मार्ट सिटी के ज्यादातर प्रोजैक्ट भी विजिलेंस जांच के तहत हैं। ज्यादातर पार्षद स्मार्ट सिटी के कामों से काफी परेशान और दुखी हैं परंतु इसके बावजूद एक प्रस्ताव में भी स्मार्ट सिटी का जिक्र नहीं किया गया। लगता है कि इस बार फिर पार्षदों को स्मार्ट सिटी के कामों पर चर्चा करने के योग्य नहीं समझा गया।
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