कौंसलर व अधिकारियों की कमेटी करेगी पानी-सीवरेज के बिलों संबंधी विवादों का निपटारा

punjabkesari.in Sunday, Jul 08, 2018 - 05:18 PM (IST)

लुधियाना(हितेश): नगर निगम प्रशासन ने पानी-सीवरेज के बिलों की डबल एंट्री के मामलों के निपटारे के लिए अधिकारियों व पार्षदों की कमेटी बनाने का फैसला किया है। यहां बताना उचित होगा कि नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक पानी-सीवरेज के बकाया बिलों की वसूली योग्य राशि 200 करोड़ रुपए से भी ज्यादा है जिसकी रिकवरी न होने की बड़ी वजह वैसे तो अधिकारियों द्वारा डिफाल्टरों के खिलाफ  नियमों के अनुसार बनती नोटिस जारी करके कनैक्शन काटने की कार्रवाई न करना है, वहीं इन हालातों के लिए डबल बिल होने का हवाला भी दिया जाता है। जिसे लेकर विभाग द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के मुताबिक कई जगह पानी-सीवरेज का एक ही कनैक्शन लगा हुआ है लेकिन उस यूनिट के नाम पर रिकॉर्ड में 2 या उससे ज्यादा आई.डी. नंबर चल रहे हैं जो बकाया वसूली का आंकड़ा काफी ज्यादा होने की बड़ी वजह भी मानी जाती है। 

ऐसे मामलों में रिकॉर्ड ओर साइट रिपोर्ट के आधार पर एक यूनिट में एक कनैक्शन रखकर बाकी की डिमांड खत्म करने की प्रक्रिया अपनाई जा सकती है लेकिन यह सुविधा सिर्फ  मुलाजिमों के साथ सैटिंग करने या सिफारिश करवाने वालों को ही मिलती है। इसी बीच मेयर बलकार संधू ने बिना मंजूरी के चल रहे समबर्सीबल पंपों की धरपकड़ के लिए चल रही डोर-टू-डोर चैकिंग की मुहिम में पानी-सीवरेज के अवैध कनैक्शन व बिलों की अदायगी न करने वालों का डाटा भी तैयार करने के आदेश दिए हैं जिस पर अमल शुरू करने से पहले अधिकारियों ने एक बार फिर डबल कनैक्शन का मुद्दा उठाया है। इसके मुताबिक कई जगह पानी-सीवरेज का एक कनैक्शन होने के बावजूद ज्यादा बिल जा रहे हैं। इसके अलावा प्रापर्टी डीमोलिश या लॉक होने के बावजूद उसके नाम पर बिल जारी हो रहा है। 

इसके मद्देनजर योजना बनाई गई है कि पानी-सीवरेज के बिलों की अदायगी न करने वाले सभी डिफाल्टरों को नोटिस जारी किए जाएंगे उसके जवाब में जो लोग पहले से एक कनैक्शन का बिल जमा करवाने बारे एतराज दाखिल करेंगे उसके बारे में रिकॉर्ड व साइट की रिपोर्ट ली जाएगी। इसके अलावा जो बिल्डिंग मौजूद नहीं है या बंद पड़ी है, उसके बारे में अधिकारियों को अलग से रिपोर्ट तैयार करने के लिए बोला गया है। इस बारे में फैसला लेने के लिए अधिकारियों व कौंसलर की कमेटी बनाई जा रही है।

इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट व ग्लाडा को भी देने होंगे डिस्पोजल चार्जिस 
नगर निगम द्वारा अवैध रूप से चल रहे सबमर्सीबल पंप की चैकिंग बारे जो मुहिम चलाई जा रही है, उसका भले ही अकाली दल द्वारा विरोध किया जा रहा है लेकिन इस ड्राइव के तहत अब तक 11 हजार से ज्यादा बिना मंजूरी चल रहे सबमर्सीबल पंप पकड़ कर 4.50 करोड़ से अधिक की रिकवरी की जा चुकी है और बाकी लोगों को 8 साल का बकाया बिल जमा करवाने के लिए नोटिस भेजने का फैसला किया गया है। इस योजना में 15 जुलाई तक 20 हजार अवैध सबमर्सीबल पंप पकड़ कर 50 करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें डोमैस्टिकए इंडस्ट्रियल व कमर्शियल यूनिट के अलावा सरकारी विभागों को भी निशाना बनाया जा सकता है। इसकी शुरूआत इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट व ग्लाडा से की जाएगी। जिन दोनों विभागों ने अपनी कॉलोनियों व फ्लैट के सीवरेज के कनैक्शन नगर निगम की लाइन के साथ किए हुए हैं जिसके बदले उनसे डिस्पोजल चार्जेज की वसूली बनती है जिसके लिए इन दोनों विभागों को नोटिस जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

कालोनियों व कमर्शियल  यूनिटों को देने होंगे शेयर चार्ज
इस मामले का एक अहम पहलू यह भी है कि जो कॉलोनियां या कमर्शियल यूनिट भले ही आऊट ऑफ लिमिट बने हुए हैं। उन पर शेयर चार्ज वसूलने की कार्रवाई शुरू हो सकती है, क्योंकि उन कॉलोनियों के अलावा हॉस्पिटल, मैरिज पैलेस, होटल ने जिस सीवरेज लाइन के साथ कनैक्शन किया है वो नगर निगम के ट्रीटमैंट प्लांट में जाकर गिरता है, उस पानी को साफ  करने पर आने वाले खर्च के रूप में इन यूनिट से शेयर चार्ज वसूलने के नियम हैं।

रेलवे स्टेशन के पार्किंग घोटाले की गूंज पहुंची रेल मंत्रालय
लुधियाना(सहगल): रेलवे स्टेशन पर लगभग डेढ़ वर्ष तक चले पार्किंग घोटाले की गूंज रेलवे मंत्रालय तक पहुंच गई है। स्थानीय रेलवे अधिकारी उच्चाधिकारियों व पूर्व ठेकेदार के कारिंदों की मदद से साइकिल स्टैंड के ठेके को चलाते रहे और किसी अन्य ठेकेदार को उक्त ठेका नहीं लेने दिया। फलस्वरूप रेल विभाग की आमदनी काफी कम हो गई लेकिन बंदरबांट जोरों पर चलती रही।

सूत्रों की मानें तो प्रतिदिन 12 से 18 हजार के बीच रकम जमा करवाई जाती रही परंतु जैसे ही यह ठेका मार्च 2018 में नए ठेकेदार को दिया गया तो एकाएक रेल विभाग की आमदनी 50,000 रुपए रोजाना तक पहुंच गई। आमदनी में इतने बड़े अंतर को देखकर रेलवे उच्चाधिकारियों का माथा ठनका। 

रेल विभाग के सूत्रों का कहना है कि डेढ़ वर्ष तक रेल अधिकारी 11 से 20 हजार रुपए रोजाना जमा करवाते रहे। इसी बीच जाली नंबर की पर्चियां  छपवाने से लेकर कई अन्य हेरा-फेरी भी सामने आती रहीं। फिरोजपुर में बैठे रेल अधिकारी इस मामले को दबाते रहे लेकिन अब इसकी परतें खुलने की संभावना है। 

उच्च स्तरीय जांच से घबराकर रेल अधिकारियों ने नए ठेकेदार को तंग करना शुरू कर दिया है ताकि वह ठेका छोड़कर भाग जाए और वे कह सकें कि आमदनी कम होने के कारण ठेकेदार ने ठेका छोड़ दिया है। इसी कारण ठेकेदार के विरुद्ध फर्जी शिकायतों का क्रम शुरू हो गया है।

दूसरी ओर लोगों ने रेल विभाग को पत्र लिखकर अपने वाहनों के खड़े करने संबंधी जगह न होने पर रोष व्यक्त किया है। बताया जाता है कि नए ठेकेदार द्वारा रेल अधिकारियों से सम्पर्क किया गया है परंतु उसकी एक नहीं चलने दे रही। अब देखना है कि इस साइकिल स्टैंड पर रेल विभाग आमदनी करता है या माफिया फिर से इस स्टैंड पर कब्जा जमाने में कामयाब हो जाता है।

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