सैन्य पृष्ठभूमि व देशसेवा के जज्बे ने सुखजिंदर को बनाया लैफ्टीनैंट

punjabkesari.in Saturday, Jun 23, 2018 - 11:29 PM (IST)

दीनानगर(कपूर): ‘मंजिल उन्हें मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौंसलों से उड़ान होती है’, इन पंक्तियों को चरितार्थ करते हुए 22 वर्षीय सुखजिंदर सिंह को सेना में लेफ्टीनैंट बन गया। 
उनकी इस उपलब्धि पर शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद ने तारागढ़ मोड़ स्थित भारतीय स्टेट बैंक की शाखा में परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की की अध्यक्षता में एक समारोह आयोजित कर उन्हें गौरव सम्मान से नवाजा।  

स्थानीय कृष्ण नगर कैंप निवासी लैफ्टीनैंट सुखजिंदर ने परिषद के सदस्यों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनके पिता सूबेदार सुरिंदर सिंह कुछ समय पहले ही सेवा निवृत्त हुए हैं। घर में सैन्य माहौल होने के कारण बचपन में जब वह पिता को यूनिफार्म में देखते तो उनके मन में भी सेना में अफसर बनने की लालसा हिलोरे लेने लगती। इसी लक्ष्य को सामने रखकर उसने 2012 में लिटल फ्लॉवर कॉन्वैंट स्कूल से मैट्रिक करने के बाद सेना में अफसर बनने के लिए कोचिंग लेनी शुरु कर दी। अपनी अथाह मेहनत व लगन से एकैडमी में वह पहले स्कॉलरशिप होल्डर बने। इसके लिए उन्हें बैस्ट कैडेट का सम्मान भी मिला। 

सुखजिंदर ने बताया कि 2014 में उसने प्रथम प्रयास में ही एन.डी.ए. की परीक्षा पास कर खड़कबासला (पुणे) में प्रवेश किया, 3 साल की कठिन ट्रैनिंग के बाद 2017 में आई.एम.ए. देहरादून में अंतिम ट्रैनिंग के लिए पहुंचे तथा 9 जून 2018 को वहां से पास-आऊट होकर सेना की 3 जैक राइफल यूनिट जो आज-कल जम्मू कश्मीर में तैनात है, में बतौर लैफ्टीनैंट उनकी नियुक्ति हुई है। उन्होंने कहा कि इस सपने को साकार करने में उनके दादा रत्न सिंह जो 2 बार पार्षद रह चुके हैं, दादी बलबीर कौर, पिता सूबेदार सुरिंदर सिंह, माता पूर्व पार्षद कुलबीर कौर का सहयोग व आशीर्वाद रहा है। 

मंजिल तक पहुंचने के लिए लक्ष्य निर्धारित करें : कुंवर विक्की
परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की ने कहा कि जीवन में किसी भी मंजिल पर पहुंचने के लिए लक्ष्य निर्धारित करना आवश्यक है तथा मेहनत की सीढ़ी से हर मंजिल को हासिल किया जा सकता है। 
उन्होंने कहा कि क्षेत्र के युवाओं को सुजिंदर की मेहनत व लगन से प्रेरणा लेनी चाहिए, क्योंकि वर्तमान में युवा नशे के दल-दल में फंस कर अपना जीवन बर्बाद कर रहे हैं। एक समय था जब सेना में भर्ती होने वाले ज्यादातर युवा पंजाब के होते थे, मगर अब इनकी संख्या कम हो रही है, इस लिए युवाओं को चाहिए कि नशों से दूर रहकर देश सेवा के लिए अपने अंदर सेना में भर्ती होने का सपना पालें।   

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