अपनी आर्थिक तंगी दूर करने के लिए पंजाब सरकार ने काऊ सैस दबाया, फंड भी रोका

punjabkesari.in Saturday, Sep 21, 2019 - 08:58 AM (IST)

जालंधर(नरेंद्र मोहन): बेसहारा गाय और अन्य मवेशियों को लेकर उठ रहे विवाद में ये तथ्य प्रकट होने लगे हैं कि राज्य भर में इन बेसहारा मवेशियों को बेघर किया हुआ है जबकि उनकी अलाट हजारों एकड़ भूमि पर राजनीतिक नेताओं और प्रभावशाली लोगों ने कब्जे कर रखे हैं। केवल भूमि पर कब्जे ही नहीं, बल्कि पंचायत विभाग के कई अधिकारियों ने गौशालाओं में इन पशुओं के लिए बनने वाले शैड और चारे के लिए जारी किए अनुदान को भी गटक लिया है। यहां तक कि पंजाब सरकार ने अपनी आर्थिक तंगी दूर करने के लिए भी न सिर्फ  गाय के नाम पर लिए जाते काऊ सैस को खुद ही अपने पास जमा कर रखा है, बल्कि गौशालाओं के संचालन के लिए जारी की जाती राशि को भी 2 वर्ष से रोक कर रखा हुआ है। परिणामस्वरूप मवेशी सड़कों पर पेट भरने के लिए घूम रहे हैं। 

पंजाब के राजस्व विभाग के रिकार्ड में हजारों एकड़ भूमि ऐसी है जिनका इंतकाल गौशालाओं, गौ चरांद और गौचर भूमि के नाम पर पंजीकृत है। अतीत में आजादी से पूर्व महाराजा पटियाला, नाभा, फरीदकोट और कपूरथला ने गांवों में बेसहारा, किसानों द्वारा बेघर किए पशुधन को रखने, मवेशी चराने इत्यादि के लिए भूमि का आबंटन किया था। इस आबंटन में ऐसा स्पष्ट लिखा था कि यह भूमि किसी अन्य कार्य के लिए इस्तेमाल नहीं की जा सकेगी। अलाट की इस भूमि का अधिकतर हिस्सा गांवों में और पंचायतों के पास है। पंचायतें अब इस भूमि को अन्य शामलात, पंचायती और सरप्लस जमीन के साथ ही अपनी आय बढ़ाने के लिए ठेके पर देती है जबकि राज्य में अधिकतर स्थानों पर प्रभावशाली लोगों ने मवेशियों के लिए आबंटित करीब 15,000 एकड़ भूमि पर अवैध कब्जे कर रखे हैं। हालांकि राज्य सरकार इस कब्जे वाली भूमि को 3912 एकड़ और 6 कनाल बता रही है। इसके लिए तमाम जिलों के उपायुक्तों को इस मामले की जांच पूर्व की बादल सरकार के समय दी गई थी जिसकी रिपोर्ट अभी अधूरी है। 

कब्जा करने वालों में 3 पूर्व अकाली मंत्री, भाजपा व कांग्रेसी नेता भी शामिल 
दिलचस्प बात यह है कि मवेशियों की भूमि पर कब्जा करने वाले लोगों में अकाली सरकार में रहे 3 अकाली मंत्री भी शामिल हैं। इसके अलावा सैक्स स्कैंडल में शामिल रहे एक अकाली नेता, एस.जी.पी.सी. के एक पूर्व पदाधिकारी का नाम भी है। कांग्रेस के एक नामी ट्रांसपोर्टर व चंद अन्य कांग्रेसी नेता, भाजपा के एक नेता समेत करीब 4 दर्जन नेताओं के नाम पंजाब गौ कमीशन की रिपोर्ट में शामिल हैं जिन्होंने बेसहारा मवेशियों की भूमि सीधे तो अपने नाम नहीं करवाई परन्तु उनके किसी सेवादार, करीबी रिश्तेदार इत्यादि के नाम पर गिरदावरियां बोल रही हैं परन्तु यह कब्जे की भूमि इन नेताओं के फार्म हाऊस की भूमि में शामिल है और फार्म हाऊस की बाऊंड्री दीवार भी एक ही है।  रिकार्ड अनुसार मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के दादा द्वारा बेसहारा मवेशियों के लिए दान में दी 380 एकड़ भूमि में से 170 एकड़ भूमि पर भू-माफिया का कब्जा है। कपूरथला में पंजाब पुलिस का ट्रेङ्क्षनग केंद्र भी गौवंश की भूमि पर अवैध कब्जा करके बनाया गया है।

पूर्व बादल सरकार ने इन कब्जों को लेकर कार्रवाई शुरू की थी परन्तु नेताओं ने जांच ठप्प कर दी। मंत्री रहते हुए नवजोत सिंह सिद्धू ने भी इस मामले को विधानसभा में उठाया था जिसका परिणाम कुछ नहीं निकला। यह भी पूर्व की बादल सरकार थी जिसमें राज्य में प्रत्येक जिले में 15 से 25 एकड़ भूमि पर गौशालाओं के निर्माण की प्रक्रिया शुरू की गई थी और 40 करोड़ रुपए जारी किए गए थे, अर्थात प्रत्येक जिले के लिए 1.68 करोड़ रुपए आबंटित किए गए जिससे गौशालाओं में शैड, चारा इत्यादि खरीदा जाना था परन्तु 5 जिलों को छोड़कर अन्य जिलों में इस फंड के इस्तेमाल में घपला हुआ। होशियारपुर, नवांशहर, लुधियाना, अमृतसर, कपूरथला,  गुरदासपुर, रोपड़ और तरनतारन में ये आरोप अभी भी जांच की मांग कर रहे हैं।

सड़कों पर घूम रहा सवा लाख गौवंश 
राज्य में 10 नगर निगमों और 156 नगर पालिकाओं के क्षेत्र में गाय रखने की अनुमति नहीं है। राज्य में मवेशियों के 850 से अधिक फार्म हाऊस हैं जिनमें गाय की संख्या 32 लाख के करीब है जोकि ग्रामीण क्षेत्रों में है और सहयोगी धंधे के रूप में अधिकतर किसानों के पास ही है। इन फार्म हाऊस में अधिकतर के पास विदेशी नस्ल वाली जर्सी गाय है। मवेशियों के प्रजनन के बाद अगर बच्चा नर होता है अथवा जो गाय दूध देना बंद कर दे और किसी काम की न होने के चलते उसे सड़कों पर छोड़ दिया जाता है। सड़कों पर घूम रहा पशुधन बुहतायत में जर्सी नस्ल का है। राज्य में प्रत्येक वर्ष बेसहारा मवेशियों के कारण होती सड़क दुर्घटनाओं में औसतन 225 लोग मौत का शिकार हो जाते हैं। एक सर्वे में पता चला कि अधिकतर दुर्घटनाएं नवम्बर, दिसम्बर और जनवरी में होती हैं जब सर्दी और गहरी धुंध पड़ती है। हालांकि राज्य में 512 गौशालाएं हैं और उनमें 3.80 लाख गौवंश है परन्तु सड़कों पर घूम रहे मवेशियों की संख्या करीब सवा लाख है।

पंचायत विभाग के अधिकारी को लौटाने पड़े थे हेराफेरी के 12.50 लाख रुपए 
पंजाब गौ आयोग के चेयरमैन कीमती लाल भगत ने बताया कि इस हेराफेरी की आयोग द्वारा की गई जांच में तो सिर्फ  दस्तावेजी पड़ताल में ही पंचायत विभाग के एक अधिकारी को 12.50 लाख रुपए लौटाने पड़े और होशियारपुर में भी एक अधिकारी ने साढ़े 4 लाख रुपए की राशि लौटाई। राज्य में गाय के नाम पर लिया जाता 70 करोड़ से अधिक सैस भी सरकार ने अपने पास अपनी आॢथक तंगी दूर करने के लिए रखा हुआ है। अभी यह तय नहीं हुआ कि सरकार गाय सैस के लिए वसूल रही राशि को गौशालाओं पर खर्च करेगी या नहीं।


गौशालाओं की भूमि पर अवैध कब्जों की जांच होगी : तृप्त बाजवा
राज्य के ग्रामीण एवं पंचायत विकास मंत्री तृप्त राजेन्द्र सिंह बाजवा का कहना था कि सरकार इस मामले को लेकर गंभीर है। गाय की देसी नस्ल को छोड़कर अन्य जर्सी नस्ल के गौवंश को या तो बूचडख़ानों में भेजा जा सकता है अथवा इसके लिए अतिरिक्त गौशालाओं का निर्माण किया जाएगा। गौशालाओं की भूमि पर अवैध कब्जों की जांच करवाई जाएगी। पंजाब गौ आयोग के चेयरमैन कीमती लाल भगत का कहना था कि अगर सरकार गाय के नाम पर सैस वसूल रही है तो उस सैस को गौवंश की संभाल के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए। सरकार आने वाले 3 माह नवम्बर, दिसम्बर और जनवरी माह में पडऩे वाली धुंध में बेसहारा मवेशियों से होती सड़क दुर्घटनाओं को रोक सकती है और सड़कों पर घूम रहे गौवंश को गौशालाओं में भेज सकती है। गौ सेवा मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी कृष्णानंद महाराज का कहना था कि पंजाब के कुछ मंत्रियों और कुछ विधायकों द्वारा बेसहारा गौवंश को बूचडख़ानों में भेजने के बयान दुर्भाग्यपूर्ण हैं। मां के रूप में गाय का दूध पीने वाले लोग गौवंश की हत्या की बात करके पाप से कम नहीं कर रहे।
 

सरकार द्वारा लिया जा रहा सैस

  •   बिजली पर 2 पैसे प्रति यूनिट
  •   सीमैंट पर प्रति बोरी 1 रुपया 
  •  अंग्रेजी शराब प्रति बोतल 10 रुपए
  •   देसी शराब व बीयर प्रति बोतल 5 रुपए
  •   मैरिज पैलेस ए.सी. प्रति फंक्शन 1000 रुपए
  •   मैरिज पैलेस नॉन-ए.सी. प्रति फंक्शन 500 रुपए।
  •  चार पहिया वाहन की बिक्री पर 1000 रुपए
  •   दोपहिया वाहन की बिक्री पर 200 रुपए

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