इंसानियत शर्मसार! दर्द से 4 घंटे तक तड़पता रहा बुजुर्ग,नहीं पसीजा डाक्टरों का दिल

punjabkesari.in Wednesday, May 16, 2018 - 07:18 AM (IST)

अमृतसर(दलजीत): गुरु नानक देव अस्पताल के कुछ डाक्टरों में मरीजों प्रति इंसानियत खत्म हो गई है। अस्पताल की एमरजैंसी में एक 70 वर्षीय बुजुर्ग इलाज के लिए तड़पता रहा, लेकिन डाक्टरों ने इलाज करने की बजाय मरीज के परिजनों को अस्पताल में इलाज न होने का बहाना मारते हुए पल्ला झाड़ दिया। ऐसे में परिजन 4 घंटे तक परेशान होने के बाद मरीज की हालत अधिक खराब होने पर उसे पी.जी.आई. चंडीगढ़ ले गए।

वहीं अस्पताल के मैडीकल सुपरिटैंडैंट का कहना है कि प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों को कोई पूछता नहीं तो सरकारी अस्पतालों में आकर अधिक शोर मचाते रहते हैं। जसविन्दर सिंह गांव राहूवाल जिला गुरदासपुर ने बताया कि उसके पिता जगदीश सिंह (70) का 10 वर्ष पहले एक्सीडैंट हुआ था, तबसे वह बैड पर ही हैं। पिता को बाथरूम के लिए पेट में से एक पाइप डाली हुई है। विगत दिवस पिता को पेशाब नहीं आ रहा था और पेट में दर्द बढ़ती ही जा रही थी। इस पर आज सुबह 9:30 बजे जब वह पिता को लेकर गुरु नानक देव अस्पताल की एमरजैंसी में आए तो वहां मौजूद डाक्टरों ने मरीज की हालत देख कर कहा कि उनके पास इनका इलाज नहीं होना है। इन्हें सर्जरी विभाग के डाक्टरों के पास ले जाओ। जब सर्जरी विभाग पहुंचे तो वहां से आर्थो विभाग में भेज दिया गया। आर्थो विभाग ने यूरोलीजी विभाग में जाने के लिए कहा।

बिना स्टैचर से वह अस्पताल की 5वीं मंजिल पर अपने पिता को लेकर गए लेकिन वहां मौजूद डाक्टरों ने भी स्पष्ट कह दिया कि विभाग के डाक्टर 11 बजे के बाद आते हैं, आप अब मरीज को एमरजैंसी में सर्जरी विभाग वालों के पास ले जाओ। जसविन्दर ने कहा कि वह पिता को बाहों में उठा कर फिर से 5वीं मंजिल से एमरजैंसी में आया लेकिन डाक्टरों ने कोई देखभाल नहीं की। ऐसे में पिता की हालत समय गंभीर होती जा रही थी। उपचार के लिए करीब 4 घंटे तक भटकते रहने पर वह मजबूर होकर अब पी.जी.आई. चंडीगढ़ जा रहे हैं।

एमरजैंसी होती है विद्यार्थियों के हवाले
ऑल इंडिया एंटी करप्शन मोर्चे के राष्ट्रीय चेयरमैन महंत रमेशानंद सरस्वती ने कहा कि गुरु नानक देव अस्पताल की एमरजैंसी अधिकतर विद्याॢथयों के हवाले ही रहती है। कई बार सीनियर डाक्टर न होने के कारण विद्यार्थी को संबंधित बीमारी का मालूम नहीं चलता और आखिर में मरीज की मौत हो जाती है। अस्पताल के मैडीकल सुपरिटैंडैंट को भी इस संबंध में अवगत करवाया गया परन्तु उनके कानों पर आज तक जूं तक नहीं रेंगी। 

Anjna