पंजाब विधानसभा के मानसून सत्र पर संकट के बादल, विपक्ष के बिना हो सकता है सत्र

punjabkesari.in Thursday, Aug 27, 2020 - 09:33 AM (IST)

जालंधर (एन.मोहन): पंजाब विधानसभा के मानसून सत्र पर संकट के बादल नजर आने लगे हैं। कोरोना के चलते पंजाब विधानसभा के डिप्टी स्पीकर, 4 मंत्रियों और एक दर्जन विधायकों को कोरोना अपनी लपेट में ले चुका है। 25 अगस्त को शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी के विधायक दल की अलग-अलग बैठक हुई और दोपहर के खाने के बाद सत्र के भविष्य पर संकट बढ़ गया है। अकाली दल के विधायक दल की बैठक में विधायक गुरप्रताप सिंह वडाला भी शामिल थे।

इस बैठक के बाद विधायक ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं जिनमें पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल भी शामिल थे, के साथ भोजन किया था। बाद में विधायक वडाला ने विधानसभा सत्र के मद्देनजर कोरोना टैस्ट करवाया था। मंगलवार देर रात वडाला की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आ गई है।इसी प्रकार ‘आप’ के विधायक दल की बैठक दोपहर के खाने पर बुलाई गई थी जिसमें विधायक मनजीत सिंह बिलासपुर भी उपस्थित थे। बैठक के बाद सभी विधायकों ने एक साथ भोजन किया। मंगलवार देर रात बिलासपुर जब अपने निवास पर पहुंचे तो उन्हें सूचना मिली कि उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। कोरोना  को लेकर जारी निर्देशों के अनुसार पॉजिटिव व्यक्ति के संपर्क में आए लोगों को कम से कम 4 दिन और अधिकाधिक 12 दिन स्वयं एकांतवास में रहना होता है और एकांतवास से लौटने के बाद फिर से कोरोना टैस्ट करवाना होता है। ऐसे हालात में  दोनों विपक्षी पार्टियों के तमाम विधायकों के लिए एकांतवास में जाने का संकट पैदा हो सकता है। अगर ऐसा होता है तो पंजाब विधानसभा का आने वाला सत्र बिना विपक्षी दल के होगा। मैडीकल टीम और विधानसभा के अध्यक्ष इस बारे में कोई फैसला लेंगे। दोनों विपक्षी पार्टियों के कई विधायक पहले से ही कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं।


पंजाब में इस समय कई मुद्दे सरगर्म 
इस समय पंजाब के मुद्दे काफी गंभीर हैं जिन्हें विधानसभा में लाया जाना आवश्यक है। हालांकि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह इस बात को स्पष्ट कर चुके हैं कि मानसून सत्र संवैधानिक जरूरत के लिए ही बुलाया जा रहा है परंतु इसके बावजूद पंजाब में कई ज्वलंत मुद्दे सक्रिय हैं जिसमें नकली शराब से हुई मौतों और इस कांड में शामिल लोगों के खिलाफ  कार्रवाई की स्थिति जानने के लिए राज्य के लोग उत्सुक हैं। सत्ताधारी कांग्रेस पर इस अवैध शराब के धंधे को शह देने के आरोप लग रहे हैं। राज्य में किसान, व्यापारी और कर्मचारी आंदोलनरत हैं। ऐसा प्रभाव बन चुका है कि अक्सर ही सरकार विवाद खड़ा होने के बाद कार्रवाई करती है। नकली शराब कांड हुआ तो राज्य में पुलिस ने लाखों लीटर अवैध शराब बरामद की। इसी प्रकार लॉकडाऊन और कर्फ्यू में जब सरकार पर अवैध माइनिंग के आरोप लगने शुरू हुए तो पुलिस ने छापेमारी करके अवैध माइनिंग और रेत-बजरी की बरामदगी शुरू कर दी। राज्य की वित्तीय स्थिति और लिंक नहर का मुद्दा फिर से सरगर्म है जिसे लेकर सर्वपार्टी बैठक के लिए दबाव बन रहा है। सरकार ने पंजाब फार्मर्स कमीशन की रिपोर्ट भी मानसून सत्र में पेश करने का वायदा किया था जिसमें अमीर किसानों को मुफ्त बिजली बंद करने की बात थी। परंतु ऐसा प्रभाव बन रहा है कि मुद्दों से किनारा करने के लिए सरकार कोरोना की आड़ ले रही है।


एक दिन का सत्र करने से सरकार के प्रति रोष 
काबिलेजिक्र है कि पंजाब ऐसा प्रथम राज्य है जिसने कोरोना संकट के प्रारंभ में ही राज्य में कर्फ्यू लगा दिया था और स्वयं मुख्यमंत्री इस बात को कह चुके हैं कि पंजाब द्वारा लगातार सावधानी के चलते राज्य ने कोरोना संकट का मुकाबला किया है। परंतु अब विधानसभा सत्र को मात्र एक दिन का करने पर विपक्षी दलों के साथ-साथ राज्य के लोगों में भी सरकार के प्रति रोष है।


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