पंजाब एल्कलीज एंड कैमिकल्स लिमिटेड में करोड़ों के स्कैम का मामला, हाईकोर्ट ने DGP व विजिलैंस को जारी किए आदेश

punjabkesari.in Thursday, Jan 19, 2023 - 10:29 AM (IST)

चंडीगढ़: नया नंगल रूप नगर में स्थित पंजाब एल्कलीज एंड कैमिकल्स लिमिटेड (पी.ए.सी.एल.) को विनिवेश करने की साजिश के तहत निजी हाथों में सौंप दिया गया जबकि कंपनी करोड़ों के लाभ में चल रही थी। विनिवेश की आड़ में 1000 करोड़ से भी अधिक का स्कैम होने के आरोप लगाते हुए कई बर्खास्त कर्मियों ने पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। कोर्ट में याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस राजेश भारद्वाज ने पंजाब के डी.जी.पी. और विजिलेंस ब्यूरो प्रमुख को 16 फरवरी तक स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करने के आदेश जारी किए हैं।

कंपनी को सरकार ने आर्थिक मदद रोक कर वर्ष 2020 में कर दिया था 2 परिवारों के हवाले

याचिका में बताया गया कि नियमों के तहत सिर्फ घाटे में या बीमार हो चुकी यूनिट्स या कंपनी का ही विनिवेश किया जा सकता है जबकि पी.ए.सी.एल. लाभ में चल रही थी, जिसे 2018-19 में 55.86 करोड़, 2019-20 में करीब 9 करोड़ व 2020-21 में सवा करोड़ रुपए का लाभ हुआ था, जोकि रिकार्ड में है। एडवोकेट बिनत शर्मा ने सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया कि प्रबंधकों व राजनीतिज्ञों ने साजिशन कंपनी को आर्थिक रूप से कमजोर दिखाकर निजी कंपनी का विनिवेश करवाया। विनिवेश की प्रक्रिया से पहले ही सैंकड़ों कर्मियों को मार्कफैड में स्थानांतरित कर दिया गया लेकिन मार्कफैड ने अतिरिक्त बोझ बता कर कर्मियों को वापस भेज दिया, जिन्हें डैपुटेशन पर दिखाकर कुछ समय बाद ही टर्मिनेट कर दिया गया।

कोर्ट को बताया गया कि साजिश में पी.ए.सी.एल. के प्रबंध निदेशक नवीन चोपड़ा का बहुत बड़ा हाथ रहा, जिनका वेतन विनिवेश होते ही 2021 में 28.68 करोड़ सालाना हो गया जोकि 2020 में 45 लाख सालाना था यानी एक बार में ही 6279 प्रतिशत की वेतन वृद्धि जोकि शायद पूरे विश्व में न हुई हो। विनिवेश के बाद कंपनी ने कांट्रैक्ट पर काम कर रहे अधिकांश कर्मियों को निकाल दिया या उन्हें कंपनी छोड़ने पर विवश किया गया। नए प्रबंधकों ने नए व सस्ते कर्मी भर्ती किए, जिसके चलते कई बार क्लोरीन गैस लीक होने के कई मामले सामने आए क्योंकि नए कर्मियों को प्लांट चलाने का अनुभव नहीं था। 

याचिका में बताया गया कि विनिवेश के बाद पंजाब सरकार ने ही कंपनी में 356 करोड़ का निवेश दिखाया, जिसमें से 116 करोड़ तो सर्व कम्पनी नवीकरण पर खर्च दिखाया गया। विनिवेश के बाद कंपनी ने 40 लाख शेयर जारी किए, जिसमें से 17 प्रतिशत शेयर कंपनी के एम.डी. नवीन चोपड़ा ने होल्ड करवाए, जिनकी मार्कीट वैल्यू 500 करोड़ से अधिक आंकी गई है। सरकार ने विनिवेश के बाद निजी प्रबंधकों को आर्थिक पैकेज दिए। बिजली दर में विशेष छूट दी गई। वर्षों के लिए जी.एस.टी. में 25 प्रतिशत की छूट का ऐलान किया गया जोकि भ्रष्टाचार को दर्शाता है। याचिकाकर्ता अरविन्द कुमार, अश्वनी कुमार, राजेंद्र कुमार व हिमाल चांद आदि ने हाईकोर्ट से मांग की है कि इस पूरे स्कैम व साजिश की जांच आला पुलिस अधिकारी के नेतृत्व में एस.आई.टी. गठित कर करवाई जाए या मामला विजिलैंस या सी.बी.आई. को सौंपा जाए। मामले में अब अगली सुनवाई 16 फरवरी को होगी। 

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News Editor

Urmila