CT Campus रेड: अगर कहीं हो जाता विस्फोट तो ...

punjabkesari.in Thursday, Oct 11, 2018 - 10:27 AM (IST)

जालंधर (रविंदर) : खुदा न खास्ता अगर कश्मीरी आतंकी अपने मकसद के अनुरूप 1 किलो विस्फोटक का प्रयोग करने में कामयाब हो जाते तो जालंधर समेत पंजाब के बाशिंदे लंबे समय तक इसका खामियाजा भुगतते, क्योंकि कश्मीरी आतंकियों का टारगेट 'ज्यादा से ज्यादा जान व माल का नुकसान' करने का था, लेकिन जे. एंड के. और पंजाब पुलिस की सक्रियता से आतंकी अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सके। पकड़े गए आतंकी सीरियल ब्लास्ट को भी अंजाम दे सकते थे। सीरियल ब्लास्ट में जान-माल का बहुत ज्यादा नुकसान हो सकता था। 

ये स्थान बन सकते थे निशाना
संभावना जताई जा रही है कि उनके टारगेट पर शहर का मॉडल टाउन इलाका, भीड़भाड़ वाला ज्योति चौक, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, सुच्ची पिंड ऑयल डिपो, सूरानुस्सी  हथियार डिपो, कैंटोनमेंट एरिया, शिक्षण संस्थान, एम.बी.डी. मॉल, वीवा कोलाज, क्यूरो मॉल के अलावा धार्मिक स्थल भी हो सकते थे। 

हो सकता था जान-माल का भारी नुकसान
आइए, यह भी जानते हैं कि त्योहारी सीजन में या संडे मार्केट के दौरान अगर ज्योति चौक में एक किलोग्राम विस्फोटक सामग्री से विस्फोट किया जाता तो जान-माल का कितना नुकसान हो सकता था। विशेषज्ञों की मानें तो एक स्क्वेयर मीटर में 2.5 के करीब लोग भीड़भाड़ वाले इलाके में कवर होते हैं। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि एक किलोग्राम आर.डी.एक्स. से अगर विस्फोट किया जाए तो इसका कवरिंग एरिया एक किलोमीटर के करीब होगा, मगर किलिंग कैपेसिटी 100 मीटर के एरिया में होगी, यानी 100 मीटर के एरिया में खड़े 250 के करीब लोग एक किलोग्राम विस्फोटक सामग्री से टारगेट किए जा सकते थे। इससे 1 किलोमीटर के एरिया तक की बिल्डिंगों के शीशे टूट सकते थे। 

धराशायी हो सकती थी कोई बड़ी इमारत
इसी तरह, अगर यही विस्फोट किसी शिक्षण संस्थान या मॉल में होता तो और जान-माल का ज्यादा नुकसान हो सकता था, क्योंकि मॉल में विस्फोट के दौरान पूरी की पूरी बिल्डिंग धराशायी हो सकती थी। इसी तरह अगर सूरानुस्सी ऑयल डिपो को यह आतंकी अपना निशाना बनाते तो आधे के करीब शहर इसकी चपेट में आ सकता था। अगर ये आतंकी इन सब प्रमुख स्थलों को अपना टारगेट सीरियल ब्लास्ट के जरिए बनाते तो यह कभी न भूलने वाला बहुत ही भयावह मंजर हो सकता था। लेकिन जे. एंड के. और पंजाब पुलिस ने आतंकियों के मंसूबे को बुरी तरह नाकाम कर दिखाया।

खुफिया एजेंसियों के रडार पर आतंकियों की फ्रेंड लिस्ट और शस्त्र-कारतूस मुहैया करवाने वाले
शहर के संदिग्ध आतंकियों की फ्रेंड लिस्ट की एजेंसियां बारीकी से जांच कर रही हैं। इसके पीछे उनके साथियों का एक ग्रुप के सक्रिय होने की आशंका बताई जा रही है, जिसने फिर से शहर में पांव पसारना शुरू कर दिया है। सूत्र बताते हैं कि शहर से नक्सली और आतंकी गतिविधियों में शामिल लोगों को शस्त्र से लेकर कारतूस तक एजेंटों के माध्यम से मुहैया कराए जा रहे हैं।

कुछ दिन पहले तीनों कश्मीर फेस्टिवल में हिस्सा लेने गए थे
सूत्रों ने बताया कि सी.टी. इंस्टीट्यूट से पकड़े गए तीनों विद्यार्थी जो कुछ दिन पहले मुस्लिम फेस्टिवल में हिस्सा लेने के लिए इकट्ठे गए थे, जिनमें से 2 सी.टी. के विद्यार्थी थे और तीसरा दूसरे कॉलेज का है, जो इनके साथ ही जम्मू-कश्मीर गया था। इसके बाद दूसरी बार ये 2 दिन पहले होस्टल में रहने के लिए आए। इस संबंधी गेट के रजिस्टर पर एंट्री थी, जिसकी जांच पुलिस कर रही है। पुलिस ने कॉलेज में लगे सीसीटीवी कैमरों से बैकअप और रजिस्टर अपने कब्जे में लिए हैं।

सारा दिन सिर्फ एक पुलिसकर्मी और 4 कमांडो ने दिया पहरा
उल्लेखनीय है कि सी.टी. से 3 आतंकी पकड़े जाने के बावजूद सरकार ने उचित कदम नहीं उठाए। कॉलेज परिसर के बाहर सिर्फ एक पुलिसकर्मी और 4 कमांडो की ड्यूटी लगाई गई है।   

पुलिस के अनुमान के मुताबिक, ज्योति चौक के आसपास लगने वाले संडे बाजार में व्यस्ततम समय में करीब  5 से 8 हजार लोग होते हैं। अगर उस समय ब्लास्ट होता तो जान-माल का बहुत ज्यादा नुकसान होता।
पुलिस के मुताबिक, मॉडल टाऊन क्षेत्र में संडे के दिन करीब 2.5 से 5 हजार लोग बाजार में शॉपिंग के लिए आते हैं। अगर उस समय ब्लास्ट होता तो यहां भी जबरदस्त नुकसान होता।

बड़े सवाल

  • अगर विस्फोट होता तो क्या एम्बुलेंस समय पर पहुंच पाती? अगर पहुंचती तो कितनी देर में? 
  • अगर विस्फोट होता और भगदड़ मचती तो क्या पुलिस सही समय पर एक्शन में आ पाती?
  • अगर भगदड़ मचती तो लोगों को सुरक्षित निकलने के लिए कौन-सा रास्ता होता? 
  • ब्लास्ट होने के दौरान अगर भगदड़ मच जाती तो इतनी भारी भीड़ में फायर ब्रिगेड की गाड़ियों और एम्बुलेंसों का पहुंचना भी एक तरह से नामुमकिन हो जाता।
  • आतंकी असाल्ट राइफल से भी भीड़भाड़ वाले स्थानों पर नुकसान पहुंचा सकते थे। 
  • पकड़े गए आतंकियों के पास से पुलिस ने 51 राउंड व 2 मैगजीन बरामद की है। विशेषज्ञों का मानना है कि असाल्ट राइफल के एक राउंड से एक जान का जाना तय है। इस तरह से 51 राउंड से 51 जानें जानी तय थीं।

 

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