पुलिस व अधिकारियों की छवि धूमिल करने वालों के खिलाफ कानूनी एक्शन : DGP

punjabkesari.in Friday, Jul 20, 2018 - 08:23 AM (IST)

चंडीगढ़ (रमनजीत) : दुर्भावनापूर्ण और आधारहीन अभियान चलाकर पंजाब पुलिस और अधिकारियों की छवि धूमिल करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी ताकि मनोबल टूटने से बचाया जा सके। यह बात पंजाब के डी.जी.पी. सुरेश अरोड़ा ने पत्रकारों के साथ बातचीत में कही। वह उनके और अधीनस्थ अधिकारियों पर लग रहे आरोपों संबंधी सवालों का जवाब दे रहे थे।

उन्होंने कहा कि आरोपों के बावजूद पुलिस किसी भी कीमत पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र की भ्रष्टाचार और ड्रग्स के खिलाफ जीरो टॉलरैंस नीति में समझौता नहीं करेगी और मनोबल बनाए रखेगी ताकि अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रखी जा सके। एक सवाल के जवाब में डी.जी.पी. ने कहा कि काफी समय से बनाई चुप्पी तोडऩे को मजबूर होना पड़ा है ताकि 36 वर्ष के पुलिस करियर में कमाई ईमानदारी और विश्वसनीयता पर आंच नहीं आए। उन्होंने कभी किसी ऐसे पुलिस अधिकारी या कर्मचारी का समर्थन नहीं किया, जो आपराधिक या भ्रष्ट गतिविधि में शामिल रहा हो। पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में विशिष्ट आरोपों संबंधी पूछने पर टिप्पणी से इन्कार करते हुए उन्होंने कहा कि मामला सब-ज्यूडियस था, लेकिन अब बोलने के लिए मजबूर होना पड़ा है क्योंकि आरोप सिर्फ उन पर नहीं लग रहे थे, बल्कि पूरी फोर्स का मनोबल तोडऩे की मंशा जाहिर हो रही थी। डी.जी.पी. ने कहा कि 35 वर्षों से अधिक की ईमानदारी और कड़ी मेहनत कुछ निहित हितों की वजह से धूमिल करने का प्रयास किसी व्यक्तिगत लाभ के लिए किया जा रहा है।

उन लोगों को बताना चाहता हूं कि वह अपने नाम, अपनी प्रतिष्ठा और पुलिस बल का दृढ़ता से बचाव करने के लिए जो कुछ भी करना पड़ेगा, करेंगे और इस संबंध में सभी कानूनी विकल्पों का पता लगाएंगे।डी.जी.पी. अरोड़ा ने कहा कि आधे-अधूरे व अपरिपक्व आरोपों को गलत हितों की पूर्ति के लिए प्रकाशित-प्रसारित करने से जहां पुलिस की छवि को धूमिल किया जा रहा है, वहीं प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी गंभीर प्रभाव पड़ा है। यह तथ्य इसलिए भी अहम और अधिक प्रासंगिक है क्योंकि पंजाब अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थित राज्य है। पड़ोसी देश लगातार राज्य और देश में व्यवधान, विद्रोह और अस्थिरता का कारण बनने की कोशिश कर रहा है। स्वयं के बेदाग रिकॉर्ड का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि राज्य में कठिन समय दौरान कई जिलों में एस.एस.पी. के रूप में कार्य किया था, जिसमें ऑप्रेशन ब्लैक थंडर दौरान एस.एस.पी. अमृतसर की तैनाती भी शामिल है।  आरोपों के बचाव में चुप्पी तोडऩे वाले डी.जी.पी. ने स्पष्ट किया कि बलपूर्वक किसी भी अधिकारी के पक्ष में या अधिकारी को टारगेट करने से बचेंगे। अरोड़ा ने कहा कि उन्होंने अधीनस्थ अधिकारियों के काम का आकलन करने के लिए कभी भी संकुचित नजरिया नहीं अपनाया, लेकिन फिर भी मौजूदा दौर में अधिकारियों के मीडिया ट्रायल के बिल्कुल खिलाफ हैं।

उन्होंने कहा कि मौजूदा फ्री-टू-आल-मीडिया के दौर में सभी को आजादी देनी चाहिए। डी.जी.पी. अरोड़ा ने कहा कि हालांकि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है, लेकिन अस्पष्ट और असंबद्ध आरोपों के खिलाफ अधिकारियों की रक्षा करना भी अनिवार्य है। ये वही अधिकारी हैं, जो अपनी व अपने परिवारों की जान जोखिम में डालकर आतंकवादी ताकतों से लड़ते हैं। पंजाब जैसे सीमावर्ती राज्य, जिसके पड़ोस में स्थित देश अतिसक्रियता से गड़बड़ी फैलाने में लगा हो, के पुलिस अधिकारियों को बेखौफ होकर आतंकवाद से लडऩे के लिए सुरक्षित माहौल उपलब्ध कराना जरूरी है। उसी तरह यह भी गलत होगा कि एक अधिकारी को देश के न्यायिक तंत्र व कानून के अधीन मिलने वाला मौका न उपलब्ध कराया जाए। विशेष रूप से मोगा के पूर्व एस.एस.पी. राजजीत सिंह के बारे में पूछे जाने पर कहा कि उन्होंने कभी भी अधिकारी के साथ काम नहीं किया था।यह मुद्दा 2013 से संबंधित था, जब वह डी.जी.पी. भी नहीं थे। उन्होंने इन्कार किया कि राजजीत उनके चहेते अधिकारी थे और स्पष्ट किया कि अधिकारी किसी आपराधिक गतिविधि में शामिल पाया गया, तो कानून के तहत परिणामों का सामना करना पड़ेगा। हालांकि, डी.जी.पी. ने स्पष्ट कर दिया कि नशे और अन्य गंभीर अपराधों पर मुख्यमंत्री की शून्य सहनशीलता नीति को हर कीमत पर कायम रखने के लिए किसी भी परिस्थिति में समझौता नहीं किया जाएगा।  

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