ढींडसा का शक्ति प्रदर्शन,कहा सुखबीर लेता है अकाली दल के सारे फैसले

punjabkesari.in Wednesday, Dec 18, 2019 - 01:34 PM (IST)

संगरूर(विवेक सिंधवानी, गोयल,बेदी): अकाली दल में बगावती सुर अख्तियार करने के बाद संगरूर में अपनी रिहायश पर पहुंचे सुखदेव सिंह ढींडसा द्वारा रखी गई वर्कर मिलनी विशाल रैली का रूप धारण कर गई। जो आने वाले दिनों में जिला संगरूर व बरनाला में बड़ी उथल पुथल होने का संकेत दे रही थी। सुखदेव सिंह ढींडसा ने कहा कि अकाली दल की स्थापना सरकार बनाने के लिए नहीं हुई थी, बल्कि गुरुद्वारों को आजाद करवाने के लिए हुई थी।

मास्टर तारा सिंह, संत लौंगोवाल जैसी हस्तियां अकाली दल की प्रधान रही हैं, परंतु अब अकाली दल को सुखबीर सिंह बादल ने निजी जायदाद बना लिया है। 70-70 उपाध्यक्ष, 25-30 महासचिव अकाली दल की ओर से बनाए गए हैं, परंतु पावर किसी को भी नहीं दी गई। वह केवल नाम के ही पदाधिकारी हैं। 2017 के विधानसभा चुनावों में अकाली दल की करारी हार हुई थी। अकाली दल की करारी हार के बाद मैंने सुखबीर सिंह बादल से इस्तीफे की मांग की थी। कांग्रेस से हर वर्ग दुखी है, परंतु अकाली दल भी उस पोजीशन में नहीं कि पंजाब में फिर से सुरजीत हो सके। हमें जरूरत है फिर से अकाली दल को सुरजीत करने की। जो लोग अकाली दल को छोड़कर दूसरी पार्टियों में चले गए हैं, उनको साथ जोडऩे की जरूरत है। मैंने अकाली दल में रहकर ही लड़ाई लड़ी है। अब भी अकाली दल में रहकर ही लड़ाई लड़ूंगा। मैंने पद से इस्तीफा नहीं दिया। 

अकाली दल की प्राथमिक सदस्यता मेरे पास अब भी है। पार्टी में लोकतंत्र की जरूरत है पहले डैलीगेटों का चुनाव होना चाहिए। फिर सर्कल प्रधान, फिर जिला प्रधान, फिर पंजाब प्रधान परंतु अब अकाली दल तबाही की राह चल पड़ा है। पार्टी में मनमर्जी चल रही है। प्रकाश सिंह बादल के कहने पर ही सुखबीर सिंह बादल को पार्टी का प्रधान बनाया गया था। प्रकाश सिंह बादल का कहना था कि अब मैं बुुजुर्ग हो गया हूं। पार्टी की बागडोर किसी युवा को दे दी जाए। उनके कहने पर ही मैंने सुखबीर सिंह बादल का नाम पार्टी प्रधान के लिए प्रपोज किया था, परंतु अब अकाली दल पुराना अकाली दल नहीं रहा। 1920 में अकाली दल की स्थापना हुई थी। अगले वर्ष इसकी 100वीं शताब्दी मनाने के लिए वर्करों की ड्यूटियां भी लगाई गई हैं। 

सुखदेव ढींडसा को सिख कौम का नेतृत्व करना चाहिए : जत्थेदार धनौला 
स्त्री अकाली दल की जिला प्रधान सुनीता शर्मा व जिला देहाती स्त्री अकाली दल की जिला प्रधान परमजीत कौर ने कहा कि हमें बैठक में आने से पहले धमकियां मिली थीं कि यदि तुम बैठक में गईं तो तुम्हारे पद छीन लिए जाएंगे। हमें पदों की कोई परवाह नहीं। हम आज ही अपने पदों से इस्तीफा देती हैं। जत्थेदार भरपूर सिंह धनौला ने कहा कि बादल परिवार ने हमेशा ही सिख पंथ से धोखा किया है। अपने पद लेने के  लिए सिख पंथ को बेचा है। कहीं अपनी पुत्रवधू को केन्द्र में मंत्री बनाने के लिए वह घुटने टेकते हैं। मैं ढींडसा परिवार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा हूं। ढींडसा साहिब को आगे होकर सिख कौम का नेतृत्व करना चाहिए। 

परमिंद्र ढींडसा की अनुपस्थिति बनी चर्चा का विषय 
सुखदेव सिंह ढींडसा की बैठक में उनके पुत्र परमिंद्र सिंह ढींडसा की अनुपस्थिति चर्चा का विषय बनी रही। वर्करों में यह चर्चा चलती रही कि परमिंद्र ढींडसा अपने पिता के साथ जाएंगे या सुखबीर बादल के साथ। अब  शिअद ने 21 दिसम्बर को पटियाला में रैली रखी है जिसकी  बागडोर परमिंद्र ढींडसा के कंधों पर है। इसके अलावा कई नेता फोन करके बैठक की जानकारी लेते रहे कि कौन-कौन आया व ढींडसा ने क्या बयान दिया। इस संबंधी ढींडसा ने कहा कि आज यहां वर्कर अपने आप पहुंचे हैं। उन्होंने किसी को स्पैशल न्यौता नहीं दिया था। 

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