पर्चा दर्ज होने के बाद प्रसिद्ध प्राइवेट अस्पतालों के डाक्टर हुए अंडरग्राऊंड

punjabkesari.in Tuesday, Oct 06, 2020 - 09:52 AM (IST)

अमृतसर (दलजीत): एक्स सॢवसमैन कंट्रीब्यूटरी हैल्थ स्कीम (ई.सी.एच.एस.) में लाखों की ठगी का मामला सामने आने के बाद शहर के प्रसिद्ध प्राइवेट अस्पतालों के 16 डाक्टरों सहित 27 व्यक्ति अंडरग्राऊंड हो गए हैं और अपने मोबाइल स्विच ऑफ कर लिए हैं। पुलिस प्रशासन की ढील के कारण घोटाले में शामिल डाक्टरों की जहां 72 घंटे से अधिक समय बीतने के बाद भी गिरफ्तारी नहीं हो पाई है, वहीं कानून के शिकंजे से निकलने के लिए कई डाक्टर राजनेताओं की शरण में पहुंच गए हैं। अलग-अलग राजनीतिक पाॢटयों के कई नेता अपने चहेते डाक्टरों को बचाने के लिए पुलिस के उच्चाधिकारियों पर फिर से जांच करने का दबाव बना रहे हैं।

जानकारी के अनुसार ई.सी.एच.एस. स्कीम के अंतर्गत जिले के नामवर प्राइवेट अस्पतालों को भारतीय सेना द्वारा शामिल किया गया है। कई अस्पतालों द्वारा स्कीम का दुरुपयोग करते हुए सही लोगों का फर्जी इलाज करके सरकारी खजाने को चूना लगाकर भारतीय सेना की आंखों में धूल झोंकी जा रही थी। यह गोरखधंधा कई वर्षों से बदस्तूर जारी था, परन्तु कुछ अस्पतालों की शिकायत के बाद सेना के अधिकारियों द्वारा इस मामले का पर्दाफाश करने के लिए सख्त एक्शन लेते हुए संबंधित अस्पतालों के डाक्टरों पर मामले दर्ज करवाए गए हैं।

सेना के ब्रिगेडियर एम.डी. उपाध्याय की 204 पेज की रिपोर्ट के आधार पर पुलिस द्वारा प्राइवेट अस्पतालों के डाक्टरों, पूर्व फौजियों और कुछ एजैंटों पर मामले दर्ज किए गए हैं। दर्ज मामले में भाजपा और आम आदमी पार्टी के मुख्य नेता कहलाने वाले डाक्टरी पेशे के साथ जुड़े डाक्टर भी शामिल हैं। कुछ डाक्टर ऐसे भी हैं जो दावा कर रहे हैं पुलिस प्रशासन जल्द ही मामले की फिर जांच करेगा। 

पंजाब में पहली बार सरकारी खजाने को चूना लगाने का यह मामला सामने आने के बाद सरकारी योजनाओं के साथ जुड़े दूसरे डाक्टरों के भी होश उड़ गए हैं।बताया गया कि मामले की जांच के लिए डाक्टरों का एक विशेष वफद पुलिस कमिश्नर को मिला है।

भविष्य में दूसरे प्राइवेट अस्पतालों पर हो सकती है कार्रवाई
सूत्रों से पता चला है कि ई.सी.एच.एस. स्कीम में शामिल कुछ अस्पतालों की ओर से शिकायतें सेना के पास पहुंची हैं, मामले की जांच चल रही है और आने वाले समय में दूसरे अस्पतालों में भी कार्रवाई हो सकती है। सेना की तरफ से पिछले समय दौरान स्कीम को चलाने वाले कई अस्पतालों में खामियां पाए जाने पर भविष्य में उनको स्कीम में शामिल नहीं किया जा रहा। मामला बेहद नाजुक है और आने वाले समय में कई हैरानीजनक खुलासे हो सकते हैं।

पैसों के लालच में पूर्व फौजियों को अस्पताल में करते थे दाखिल
पुलिस ने जिन डाक्टरों पर मामले दर्ज किए हैं, उनमें कई डाक्टर ऐसे हैं, जो पैसों का लालच देकर पूर्व फौजियों और उनके पारिवारिक सदस्यों का इलाज करते थे। पूर्व फौजियों से हैल्थ कार्ड ले लेते थे व उनको 5 से 10 हजार रुपए देकर बाकी के दस्तावेज लेकर रिकार्ड के साथ छेड़छाड़ करते थे। इन दस्तावेजों के आधार पर फर्जी बिल तैयार करके सेना के अधिकारियों के पास भेजे जाते थे और बाद में इन बिलों के आधार पर ही फर्जी इलाज की पास हुई रकम अस्पताल के खातों में आ जाती थी। पूर्व फौजियों को पैसे देने के बाद स्पष्ट किया जाता था कि यदि कोई जांच के लिए फोन आए तो वे कह दें कि उनका संबंधित अस्पताल में इलाज हुआ है।

सेना के पूर्व अधिकारियों पर क्या होगी कार्रवाई?
सेना के ब्रिगेडियर उपाध्याय द्वारा इस गोरखधंधे को तोडऩे के लिए की गई कार्रवाई के लिए हर तरफ प्रशंसा हो रही है, परन्तु बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिरकार प्राइवेट अस्पताल अकेले इस बड़े मामले को अंजाम नहीं दे सकते। सेना के पूर्व अधिकारी भी इस मामले में शामिल हो सकते हैं। सेना द्वारा यदि खुद अपने अंदरूनी अधिकारियों के कार्यकाल की गंभीरता के साथ जांच करवाई जाए तो इस गोरखधंधे में सेना के पूर्व अधिकारी भी सामने आ सकते हैं।

आई.पी.एस. अधिकारी करेगा मामले की जांच
पुलिस कमिश्नर डा. सुखचैन सिंह गिल ने कहा कि सेना की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया गया है। मामले की जांच के लिए आई.पी.एस. अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। इससे जो तथ्य सामने आएंगे उसके अनुसार कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

Tania pathak