हैरोइन और चिट्टे पर पर सालाना 6300 करोड़ खर्च देते हैं पंजाब के नशेड़ी

punjabkesari.in Monday, Sep 02, 2019 - 04:34 PM (IST)

जालंधर (सूरज ठाकुर): 80 के दौर में आतंकवाद के बाद पंजाब में ड्रग्स का काला कारोबार दूसरा बड़ा घाव है जो भरने का नाम नहीं ले रहा है। आतंकवाद से तो पंजाब किसी तरह बाहर आ गया लेकिन अब नशाखोरी इसे नासूर बनकर खोखला कर रही है। एक सर्वेक्षण के आंकड़ों का यदि हिसाब लगाएं तो पता चलता है कि पंजाब में नशे की गिरफ्त में फंसे युवा एक दिन में करीब 17 करोड़ रुपए चिट्टे और हैरोइन पर खर्च कर डालते हैं। साल में यह राशि 6,300 करोड़ रुपए के करीब बनती है। 

हैरोइन और चिट्टा न मिलने पर मार्फिन का प्रचलन, 78 की मौत 
पंजाब में बीते कई सालों से ड्रग्स रैकेट की चेन को तोडऩे के लिए सरकार हाथ-पांव मार रही है जबकि हालात पूरी तरह से काबू में नहीं हैं। कैप्टन सरकार के कार्यकाल की बात करें तो बीते 23 महीनों में ड्रग्स की ओवरडोज से 78 युवकों की मौत हुई है। इनकी विसरा रिपोर्ट में पाया गया कि इनकी मौत मार्फिन के ओवरडोज इंजैक्शन से हुई है। ऐसा माना जा रहा है कि हैरोइन और चिट्टे के रैकेट की चेन तोडऩे में सरकार जहां थोड़ी-बहुत सफलता हासिल कर रही है, वहीं इसकी जगह मार्फिन ने लेनी शुरू कर दी है। मार्फिन फार्मा इंडस्ट्री का प्रोडक्ट है जो सरकार के लिए फिर से एक नई सिरदर्दी है। 

2015 में शुरू हुआ था सर्वेक्षण 
2015 में पंजाब के ऑपियॉइड फार्मा प्रोडक्ट्स, ड्रग्स आश्रित व्यक्तियों की संख्या जानने के लिए भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय (एम.ओ.एस.जे.ई.) ने एक अध्ययन शुरू किया था। यह सर्वेक्षण सोसायटी फॉर प्रोमोशन ऑफ  यूथ एंड मास (एस.पी.वाई.एम.) और नैशनल ड्रग्स डिपैंडैंस ट्रीटमैंट सैंटर एन.डी.डी.टी.सी. एम्स, नई दिल्ली से शोधकत्र्ताओं की एक टीम ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के सहयोग से पंजाब सरकार द्वारा आयोजित किया था। इस सर्वेक्षण में भटिंडा, फिरोजपुर, जालंधर, कपूरथला, गुरदासपुर, होशियारपुर, पटियाला, मोगा और तरनतारन जिलों को शामिल किया गया था। इस सर्वेक्षण के बाद 2018 में भारत सरकार ने नशीली दवाओं के दुरुपयोग के आकलन के लिए राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण करने के लिए भी मंजूरी दे रखी है जो अभी पब्लिक डोमेन पर सामने नहीं आई है।

80 में से 30 फीसदी ही पाते हैं नशामुक्त होने का उपचार 
पंजाब में ड्रग्स का इस्तेमाल करने वालों की संख्या 2,32,856 है। सर्वेक्षण में दावा किया गया है कि 53 फीसदी यानी 1,23,413 लोग हैरोइन और चिट्टे का सर्वाधिक नशा कर रहे हैं। हैरोइन और चिट्टे का नशा करने के लिए औसतन एक युवा को 1,400 रुपए की प्रतिदिन आवश्यकता पड़ती है। पंजाब के ड्रग्स के आदी लोगों में से 76 फीसदी 18 से 35 की उम्र के हैं। सर्वेक्षण में यह भी सामने आया है कि ड्रग्स का सेवन करने वाले 89 फीसदी पढ़े-लिखे हैं। 83 फीसदी नशे के साथ-साथ नौकरियां भी कर रहे हैं। नशा करने वालों की 56 फीसदी तादाद गांव से संबंध रखती है। हैरोइन और चिट्टे के अलावा जो अफीम और फार्मास्यूटिकल ऑपियॉइड का इस्तेमाल कर रहे हैं उनका प्रतिदिन औसतन खर्च 300 रुपए के करीब है। पंजाब सर्वेक्षण में यह भी पाया गया है कि 80 से अधिक ड्रग्स को छोडऩे का प्रयास करते हैं लेकिन वास्तव में उनमें से लगभग 30 लोग सहायता या उपचार प्राप्त कर पाते हैं।

ड्रग्स के बड़े कारोबारियों पर हाथ क्यों नहीं
पंजाब में नशाखोरी को खत्म करने के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट अहम भूमिका निभा रहा है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट नशों के मामलों को लेकर सरकार को लगातार लताड़ लगाकर दिशा-निर्देश जारी कर रहा है। सरकार है कि कोई न कोई नया फलसफा लेकर कोर्ट में खड़ी हो जाती है। इस सारी कारगुजारी में पंजाब सरकार पर कई सवालिया निशान खड़े हो जाते हैं कि ड्रग्स के बड़े कारोबारियों पर हाथ क्यों नहीं डाला जा रहा। नशा सरेआम बिक रहा है, सारा पंजाब जानता है। करोड़ों की खेप के साथ तस्कर पकड़े जा रहे हैं, सबको पता है। सिर्फ  सारे नैटवर्क के किंगपिन का ही पता नहीं है। पंजाब में तेजी से फैल रहे नशे के कारोबार और लगातार हो रही युवाओं की मौत को लेकर सरकार आज तक कोई ठोस नीति नहीं बना पाई।

नशे पर पाया जा सकता था 70 फीसदी नियंत्रण: हाईकोर्ट
जनवरी 2019 में इसी साल पंजाब में नशे के कारण युवाओं की हो रही खराब हालत को लेकर हाईकोर्ट ने कैप्टन सरकार को 25 दिशा-निर्देशों पर अमल करने को कहा था जिस पर सरकार अमल ही नहीं कर पाई। हैरत की बात तो यह है कि सरकार की और पुलिस प्रशासन हाईकोर्ट के निर्देशों को अमल में लाने के लिए ढिलाई बरतता रहा। करीब 7 माह बाद जब अमृतसर में एक महिला के ड्रग एडिक्ट होने और उसे बेडिय़ों में जकड़ कर घर में कैद करने का मामला सामने आया तो हाईकोर्ट ने सरकार और पुलिस प्रशासन की जमकर खिंचाई की और कहा कि यदि कोर्ट के आवश्यक दिशा-निर्देशों को सरकार ने लागू किया होता तो काफी हद तक नशे पर नियंत्रण पाया जा सकता था।

क्या सरकार के पास है कोई ठोस नीति 
पंजाब में आए दिन नशे की ओवरडोज से युवक मर रहे हैं। कई नशे की गर्त में डूब कर मौत के मुहाने पर खड़े हैं। यहां प्रश्न यह है कि क्या कोई ऐसी ठोस नीति है जो पंजाब के युवाओं को नशे की गर्त से बाहर निकाले और अरबों रुपए के काले कारोबार पर अंकुश लगा सके।

 

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