नशे ने किया पंजाब को तबाह, बुझा दिए कई घरों के चिराग

punjabkesari.in Monday, Mar 02, 2020 - 10:22 AM (IST)

श्री मुक्तसर साहिब(तनेजा): आजकल हर तरफ बस नशे से हुई मौत की खबर ही सुनने को मिलती है। राज्य के 22 जिलों में से कोई शहर, कस्बा या गांव ऐसा नहीं बचा जहां नशों का प्रयोग न हो रहा हो। लगभग हर क्षेत्र में नशों के कारण अनेक मौतें हुई हैं और अभी यह सिलसिला लगातार जारी है। नशा चाहे हर आयु वर्ग के व्यक्ति कर रहे हैं परन्तु युवा पीढ़ी में यह रुझान सबसे अधिक है। 

देखा जाए तो नशों ने पंजाब को घेर लिया है। इसके लिए हमारी सरकारें जिम्मेदार हैं। क्योंकि राज्य में सरकार चाहे कांग्रेस की हो चाहे अकाली-भाजपा की सभी ने जनता को मूर्ख बनाया है। नशों पर भी राजनीति हो रही है। राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने वास्तव में नशों के मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया। यदि नेता नशे बेचने वालों का पक्ष न लें और ईमानदारी से काम करें तो फिर नशों के रुझान को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।अकेले ‘नशामुक्त और तंदुरुस्त पंजाब’ का नारा लगाकर ही समाज को सुधारा नहीं जा सकता। सरकारों को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए। दूसरी तरफ पुलिस और कानून को सख्ती से नशा तस्करों पर नकेल डाली जा सकती है। अब कुछ पुलिस अफसर इस समस्या को पूरी गंभीरता से ले रहे हैं। पूरी पुलिस ईमानदारी से काम करे और जिम्मेदारी को समझे तो नशों की तस्करी कम हो सकती है। 

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चाहे सरकार, पुलिस प्रशासन, सिविल प्रशासन और कुछ समाजसेवी संस्थाओं की ओर से नशों की बुराइयों के खिलाफ सैमीनार करवाए जा रहे हैं और कैम्प लगवाए जा रहे हैं परन्तु सत्य यह है कि कई सैमीनार तो सिर्फ खानापूर्ति के लिए ही लगाए जा रहे हैं। जब नशे कम ही नहीं हुए तो फिर ऐसे सैमीनारों का अर्थ क्या रह जाता है। चाहे पंजाब सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने राज्य के कई सरकारी अस्पतालों में नशामुक्ति केंद्र बनवाए थे परन्तु ज्यादातर नशामुक्ति केंद्र सफेद हाथी ही साबित हो रहे हैं। क्योंकि जो सुविधाएं इन केन्द्रों में नशा छोड़ने आने वाले लोगों को मिलनी चाहिए, वे मिल नहीं रहीं। नशा छुड़ाने वाले माहिर डॉक्टरों की कमी खल रही है। 

यदि माहिर डाक्टर ही नहीं होंगे तो फिर इन सैंटरों में आने वाले मरीजों का इलाज कैसे होगा। डॉक्टरों के अलावा नशामुक्ति केन्द्रों में अन्य स्टाफ की भी कमी है। दवाइयां भी जरूरत अनुसार नहीं मिलतीं। सही इलाज न होने के कारण सरकारी अस्पतालों के नशामुक्ति केंद्र खाली पड़े रहते हैं परन्तु जो लाखों लोग अलग-अलग तरह के नशों के पक्के तौर पर आदी हो गए हैं उनका नशा छुड़वाने के योग्य प्रयास नहीं किए जा रहे। सबसे पहले सभी सरकारी अस्पतालों में आधुनिक सुविधाओं वाले नशामुक्ति केंद्र स्थापित किए जाएं और पूरे डॉक्टरों और दवाइयों का प्रबंध किया जाए। 

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यदि शहीद भगत सिंह और उसके साथियों के सपने पूरे करने हैं और एक अच्छे समाज का निर्माण करना है तो सभी वर्गों के लोगों को नशों की इस बुराई के खिलाफ आवाज उठाने की जरूरत है। समाज सेवी संस्थाएं भी अपना बनता योगदान डालें। इस गंभीर मामले को लेकर ‘पंजाब केसरी’ द्वारा इस हफ्ते की यह विशेष रिपोर्ट तैयार की गई है।

नशों से उजड़ चुके हैं कई घर
नशों के कारण कई घर टूट गए हैं और बहुत से स्थानों पर पति-पत्नी के रिश्तों में दरार आ चुकी है। कई शराबी नशा करके अपनी पत्नियों से मारपीट करते हैं और बिना किसी बात से परेशान करते हैं। रोजाना के क्लेश से तंग आकर लड़ाई-झगड़ा बढ़ जाता है और बात तलाक तक पहुंच जाती है। कई बच्चों का भविष्य तबाह हुआ है और उनकी पढ़ाई बीच में ही रह गई है।  

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रोजाना लाखों रुपए का नशा ले रहे लोग
परमिन्द्र सिंह भुल्लर कोड़ियांवाली, महेन्द्र सिंह शिन्दी, जसविन्दर सिंह, बेअंत सिंह बराड़, हरगोबिन्द कौर, डा. मनजीत कौर गिल, साधु सिंह रोमाना, जगजीत सिंह मान, प्रिंसीपल राकेश परूथी ने कहा कि राज्य पर एक नजर डालें तो रोजाना ही लाखों रुपए के नशे का लोग सेवन कर रहे हैं और अनेक घरों की हालत नशों के कारण कंगालों वाली बन चुकी है। 

नशों के कारण बड़े स्तर पर आर्थिक चोट लगी है। नशों के कारण लोगों की जमीनें, जायदादें, खेती यंत्र, घरों का सामान और यहां तक कि कइयों के घर भी बिक गए। कई युवक गलत रास्तों पर चल पड़े और नशे की डोज लेने के लिए वे लूटपाट, चोरियां कर रहे हैं जिससे राज्य में हालात बिगड़ रहे हैं।


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Edited By

Sunita sarangal

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