फिरोजपुर सीट से सुखबीर बादल के लिए दोहरी चुनौती, जानिए कैसे

punjabkesari.in Thursday, Apr 11, 2019 - 07:29 PM (IST)

जलालाबाद(सेतिया): लोकसभा चुनावों के मद्देनजर शिरोमणि अकाली दल राज्य के अंदर हर दाव सोच समझ कर खेल रहा है परन्तु राजनीतिक मुकाबलों में पिछड़ रहे शिरोमणि अकाली दल के लिए इस बार हर राह मुश्किल लग रही है। इसकी ताजा मिसाल फिरोजपुर लोकसभा क्षेत्र से भी लगाई जा सकती है जहां शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष के चुनाव मैदान में आने की संभावना है। शाायद एक दो दिनों तक टिकटों का ऐलान भी हो जाएगा। परन्तु इससे पहले चुनाव मैदान में यदि मुकाबला शेर सिंह घुबाया के साथ होता है तो अपने पीछे बिरादरी का वोट बैंक लेकर चलने वाले शेर सिंह घुबाया शिअद के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं।

यहां बताने योग्य है कि कांग्रेस पार्टी भी इस बार एक-एक सीट पर मंथन कर रही है और लोगों में इस बात की चर्चा भी है कि कहीं टिकटों में हो रही देरी फिरोजपुर सीट पर फ्रैडली मैच की तैयारी तो नहीं। परन्तु यह विचार तो कांग्रेस पार्टी की तरफ से घोषित की जाने वाली टिकट से ही लग जाएगा कि आखिरकार कांग्रेस पार्टी शिरोमणि अकाली दल का गढ़ मानी जाने वाली फिरोजपुर की सीट पर अकाली दल में ही गए शेर को उतारती है या फिर कांग्रेस पार्टी किसी ओर को मौका देगी। 

उधर, शिरोमणि अकाली दल हर हालत में इस सीट को जीतना चाहता है और राजनीति में सब-कुछ जायज होता है। यदि सुखबीर सिंह बादल चुनाव मैदान में उतरते हैं तो कहीं न कहीं राय सिख बिरादरी भी सोचने के लिए मजबूर हो जाएगी पर अंदरूनी तौर पर बिरादरी के लिए घुबाया पहली पसंद बनते जा रहे हैं। परन्तु यह बात भी तय है कि सुखबीर सिंह बादल जलालाबाद से विधायक हैं जबकि बार्डर पट्टी के लोग और भी विधानसभा हलकों में आते हैं। 

इसके इलावा जलालाबाद विधानसभा हलका की बागडोर बतौर इंचार्ज शिअद की तरफ से सतिन्दरजीत सिंह मंटा को सौंपी हुई है परन्तु मौजूदा हलातों में कुछ टकसाली अकाली समर्थक सतिन्दरजीत सिंह मंटा से नाराज हैं और उन्होंने मीडिया के द्वारा अपनी नाराजगी भी जाहर की है। इसी तरह कई और पार्टी वर्कर हैं जो सतिन्दरजीत सिंह मंटें से अंदरूनी तौर पर नाराज हैं परन्तु सामने नहीं आ रहे हैं। इस का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सुखबीर सिंह बादल की तरफ से 2009 में उपचुनाव करीब 82500 वोटों के साथ जीता गया था और इसके बाद 2012 में यह लीड 50000 रह गई और इसके बाद अब दो साल पहले 2017 की मतदान में यह लीड ओर भी कम होकर 18500 रह गई। ऐसे हालातों में सुखबीर सिंह बादल के लिए लोकसभा की रास्ता आसान नहीं होगा।

दूसरी और कंग्रेसी वोटरों की बात की जाए तो शेर सिंह घुबाया अपनी बिरादरी साथ-साथ दूसरी बिरादरियों का भी समर्थन लेकर चलते हैं क्योंकि कई विधानसभा हलकों अंदर कांग्रेस के नेता पार्टी जीत के लिए लिए खड़े हैं। ऐसी हालत में बादल परिवार के लिए पहली चुनौती तो फिरोजपुर लोकसभा सीट को जीतने की होगी और दूसरी तरफ यदि शिअद सीट जीत भी लेती है तो दूसरी बड़ी चुनौती जलालाबाद विधानसभा के वारिस की होगी क्योंकि अकाली दल के पास अभी प्रभावशाली चेहरा नहीं है जो जलालाबाद की बागडोर को संभाल सके।

Vaneet