सख्ती के चलते मानसिक रूप से टूटने लगा जेलों का स्टाफ, Depression में जा रहे कर्मचारी!

punjabkesari.in Thursday, Apr 14, 2022 - 11:17 AM (IST)

लुधियाना(स्याल): पंजाब में सरकारी नौकरियों की चाहत रखने वाले पंजाब की युवा पीढ़ी अगर सरकारी विभागों की हालत और नौकरियों में सख्ती की हालत देख रहे तो शायद कोई इस हालत में सरकारी नौकरी में नियुक्ति होने की सोचेगा, क्योंकि अक्सर मोटे वेतन व सुविधाओं की बात की जाती है, लेकिन लगातार हो रही रिटायरमैंट व स्टाफ की कमी होने के चलते कई विभागों में सरकारी नौकरी की हालत ऐसी हो गई है कि वहां काम कर रहे अधिकारियों-कर्मचारियों की निजी व पारिवारिक जिंदगी भी प्रभावित होने लगी है। इस स्थिति का सामना पंजाब भर की जेलों का स्टाफ भी कर रहा है, जिन्हें दो दो माह छुट्टियां न मिलने व लंबे डयूटी घंटों की वजह से भारी मानसिक परेशानी झेलनी पड़ रही है और परिवार से भी दूरी बनी रहती है। लेकिन अब इस मामले की नई आम आदमी पार्टी से शिकायत होने की कवायद शुरू हो गई है, जिसकी शुरूआत लुधियाना की ताजपुर रोड की सैंट्रल जेल से हुई है, जिसमें एक अधिकारी ने जेल के उच्चाधिकारियों को पत्र लिखकर इस मामले से अवगत करवाया है और इसमें साफ तौर पर लिखा है कि 50-50 दिन लगातार डयूटी लेकर, जिसमें रविवार भी शामिल हैं, उनसे किस बात का सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। पत्र लिखने वाले अधिकारी ने नाम गुप्त रखने पर बताया कि पंजाब के बाकी सभी विभागों में कम से हर रविवार तो छुट्टी होती है और बाकी धार्मिक पर्वों पर भी छुट्टियां मिलती हैं, लेकिन जेल के स्टाफ से ऐसा सौतेला व्यवहार क्यों।

न दुख में जा सकते न सुख में, सगे नातियों से टूट रहे हैं संबंध
अधिकारी ने तो यह भी बताया कि इतनी कड़ी डयूटी से वह अपने नातियों व सगे संबंधियों से भी टूट रहे हैं, जो न दुख में जा सकते है और न सुख में। ऐसे में भले ही उनके पास सरकारी नौकरी तो है, लेकिन इसमें सामाजिक जिंदगी लगभग खत्म होती जा रही है।  यह हाल बाकी के स्टाफ व स्थानीय अधिकारियों का भी है, जिन्हें सरकारें जेल की अति सुरक्षा का हवाला देकर छुट्टी नहीं देते, लेकिन इससे उनके कामकाज व मानिकसता पर असर पड़ता है, क्योंकि जब बाकी के सरकारी विभाग हर रविवार व पर्व के दिन छुट्टी का आनंद ले रहे होते हैं, तो जेल विभाग का स्टाफ लगातार मुस्तैदी में रहता है।  

नये स्टाफ की भर्ती किये बिना नहीं हो सकता बोझ कम
दूसरी ओर यह स्थिति नई सरकार के लिए भी नई चुनौती के तौर पर सामने आ सकती है, क्योंकि जेल का स्टाफ इस समस्या इस समस्या से नया नहीं, बल्कि पिछले कई सालों से पीडि़त है। क्योंकि लगातार हो रही रिटायरमैंटों के चलते जेल विभाग में कई पद खाली पड़े हैं और नये स्टाफ की भर्ती किये बिना यह बोझ कम नहीं हो सकता। जबकि नये जेल मंत्री हरजोत सिंह बैंस के लिए भी यह मुद्दा विचारनीय है।  


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Vatika

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