शिक्षा विभाग ने केंद्र से मांगा 2 लाख अतिरिक्त बच्चों के लिए राशन और फंड

punjabkesari.in Monday, Aug 24, 2020 - 04:14 PM (IST)

लुधियाना(विक्की): कोविड-19 के कारण हुई तालाबन्दी के बावजूद पंजाब के सरकारी स्कूलों में प्राइमरी और अपर प्राइमरी कक्षाओं के दाखिलों में बड़ी वृद्धि दर्ज की गई है। बच्चों की बढ़ी हुई संख्या को ध्यान में रखते हुए पंजाब सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग ने केंद्र सरकार से मिड-डे मील के लिए पहले से आ रही राशि और राशन की अपेक्षा 2 लाख अधिक विद्याॢथयों के मिड-डे मील के लिए राशन और इस से संबंधित फंड्स की मांग की है। 

16 लाख का आंकड़ा पार कर चुकी है स्टूडैंट्स की गिनती
केंद्र द्वारा सैशन 2020-21 के लिए प्राइमरी और अपर.प्राइमरी 14.05 लाख विद्याॢथयों के दोपहर के खाने के लिए 304 करोड़ रुपए की राशि और 46,396 मीट्रिक टन अनाज की स्वीकृति दी गई है, परन्तु अब तक प्राइमरी और प्री-प्राइमरी में 16.08 लाख बच्चे दाखिला ले चुके हैं तथा अभी भी नए दाखिले जारी हैं जिस कारण नए दाखिल हुए बच्चों के लिए मिड-डे मील के लिए राशन और राशि की स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा मांग की गई है।

कुकिंग कॉस्ट और मेहनताने के रूप में 55 करोड़ जारी 
शिक्षा विभाग के अधिकारी ओ.एस.डी. टू डी.जी.एस.ई. आई.पी.एस. मल्होत्रा ने बताया कि पंजाब सरकार प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों के बच्चों के मिड-डे मील के लिए 31 जुलाई 2020 तक मिड-डे मील कुकिंग कॉस्ट 44 करोड़ रुपए और मिड-डे मील वर्कर्स का मेहनताना 11 करोड़ रुपए पंजाब सरकार द्वारा भेजे जा चुके हैं। मल्होत्रा ने बताया कि विद्याॢथयों की संख्या या हाजिरी बढऩे के कारण फंड्स या राशन की पंजाब द्वारा की गई मांग के संबंध में केंद्र सरकार द्वारा मामले पर विचार किया जा रहा है।

14.45 लाख स्टूडैंट्स के लिए पहले ही मिल चुकी है अप्रूवल
वर्णनीय है कि राज्य सरकार ने दाखिले शुरू होने से पहले प्राइमरी के पहली से 5वीं और अपर प्राइमरी के छठी से 8वीं कक्षाओं तक के 19,735 स्कूलों के 14.45 लाख विद्याॢथयों के मिड-डे मील और इस से संबंधित फंड्स के लिए प्रस्ताव भेजा था। 26 जून 2020 को प्रोग्राम अप्रूवल बोर्ड (पी.ए.बी.) ने इस संबंध में धान, गेहूं और चावल की मांग को मंजूरी दी। अब पंजाब सरकार ने भी लगभग 2 लाख नए भर्ती हुए बच्चों की अनुपूरक मांग भेज दी है। कोविड-19 के कारण सभी स्कूल बंद हैं और पंजाब सरकार ने सरकारी स्कूलों में प्री-प्राइमरी से लेकर 12वीं कक्षा तक नि:शुल्क शिक्षा प्रदान की है जबकि निजी स्कूल बंद हैं। लेकिन वे छात्रों से फीस की मांग कर रहे हैं। निजी स्कूलों की फ़ीस और सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की चर्चा के मद्देनजर अभिभावकों की बढ़ती वित्तीय कठिनाइयों के कारण सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या भी बढ़ रही है।

Vaneet