''मास्टर जी हुन ता पड़ाऊना ही पैना'', पंजाब के शिक्षा मंत्री ने जारी किए ये Order
punjabkesari.in Wednesday, Nov 23, 2022 - 06:58 PM (IST)
लुधियाना (विक्की) : पिछले लंबे समय से स्कूल ड्यूटी को छोड़कर डेपुटेशन या अन्य ड्यूटी कर रहे अध्यापकों को वापिस उनके स्थाई स्कूलों में लाने के लिए सरकार ने प्रकिया शुरू कर दी है। इस श्रृंखला में स्कूल शिक्षा विभाग पंजाब ने सभी स्कूलों से ऐसे अध्यापकों की डिटेल भेजने के निर्देश दिए हैं जो डेपुटेशन अथवा किसी अन्य ड्यूटी पर चल रहे हैं। इस बारे जारी पत्र में कहा गया है कि यह जानकारी शिक्षा मंत्री पंजाब के कार्यालय में भेजी जानी है। इसलिए विभाग द्वारा जारी प्रोफॉर्मा में सभी विवरण हर तरह से मुकम्मल करते हुए सही जानकारी उपलब्ध करवाई जाए। पत्र में स्पष्ट लिखा गया है कि यह एक गंभीर मुद्दा है, इस काम को प्राथमिकता दी जाए।
बता दें कि स्कूल शिक्षा मंत्री हरजोत बैंस आए दिन सरकारी स्कूलों में विजिट कर रहे हैं जहां से उन्हें रिपोर्ट प्राप्त हुई है कि कुछ स्कूलों का स्टाफ पिछले लंबे समय से पढ़ाने की बजाय फील्ड में ड्यूटी कर रहा है। इस बारे पंजाब केसरी ने भी कुछ समय पहले एक खबर प्रकाशित की थी जिसमें खुलासा किया था कि किस तरह से राज्य के उक्त 4 हजार अध्यापकों पर सरकार रोजाना 12 लाख रुपए खर्च कर रही है।
स्कूल ड्यूटी को छोड़कर अन्य ड्यूटी कर रहे हैं अध्यापक
यह बात किसी से छुपी नहीं है कि राज्य भर के बहुत से स्कूलों में से हजारों की संख्या में अध्यापक अपनी मुख्य ड्यूटी को छोड़कर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय अथवा शिक्षा विभाग के साथ प्रशासनिक कार्यालयों में डेपुटेशन अथवा अन्य ड्यूटी पर काम कर रहे है। जबकि इनका वेतन स्कूल में से निकल रहा है और इनमें से बहुत से अध्यापक ऐसे है जो पिछले कई वर्षों से अपने स्कूल तक नहीं गए और उनकी जगह किसी किसी अन्य अध्यापक की ड्यूटी भी स्कूल में नहीं लगाई गई है। ऐसे में संबंधित स्कूलों के विद्यार्थियों की पढ़ाई का नुकसान लगातार हो रहा है। दूसरी तरफ किसी अन्य ड्यूटी पर होने के कारण इन अध्यापकों की रिजल्ट संबंधी जिम्मेवारी भी खत्म हो जाती है।
बी.एन.ओ., डी.एम., बी.एम. की बड़ी फौज
पिछले समय के दौरान शिक्षा सचिव कृष्ण कुमार ने बताया कि ब्लाक नोडल अधिकारी (बी.एन.ओ), डिस्ट्रिक्ट मेंटर (डी.एम), ब्लाक मेंटर (बी.एम) जैसे अनेकों ऐसे पद जो शिक्षा विभाग में कही भी मौजूद नहीं है लेकिन अधिकारीयों द्वारा खुद ही बनाए गए हैं जिन पर करीब 4 हजार अध्यापकों की नियुक्ति कर दी गई। विभिन्न स्कूल प्रमुखों ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि उन्हें आज तक इस बात की समझ नहीं आई कि स्कूल प्रिंसिपल को बी.एन.ओ तो बना दिया जाता है लेकिन उनका क्या काम है यह किसी को नहीं पता। वेतन स्कूल से लेते हैं और बी.एन.ओ ड्यूटी के नाम पर स्कूल से गायब रहते हैं। डाटा एकत्रित करने को वह अपना काम बताते हैं जबकि जो डाटा वह स्कूलों में जाकर इकट्ठा करते हैं वह पूरे जिले का डाटा कुछ ही घंटों में ऑनलाइन एकत्रित किया जा सकता है और ई-पंजाब पोर्टल पर भी उपलब्ध है। ऐसी ही हालत डी.एम, बी.एम की है। काम के नाम पर वह भी सिर्फ डाटा इकट्ठा ही कर रहे हैं जबकि उनकी जरूरत स्कूलों में है। उन्हें स्कूल में भेजा जाना चाहिए।
कुछ है अधिकारीयों के चहेते
सूत्रों की माने तो चंडीगढ़ के साथ सटे एक छोटे से जिले में कुछ अध्यापक ऐसे हैं जिनके जिला शिक्षा अधिकारी के साथ 'अच्छे' सम्बन्ध हैं और वह स्कूल ड्यूटी पर कभी-कभी और 'डी.ई.ओ. साहिब' के साथ अक्सर देखे जाते हैं। अगर कभी कभार वह स्कूल चले भी जाते हैं तो कोई न कोई तिकड़म लगाकर वह फिर डी.ई.ओ. ऑफिस पहुंच जाते हैं और सालों से यह सिलसिला ऐसे ही चल रहा है। स्कूलों में जाकर दूसरों को अच्छी तरह पढ़ाने की शिक्षा देने वाले खुद कभी कभार स्कूल में दिखाई देते हैं।
शिक्षा मंत्री की है पैनी नजर
पंजाब केसरी द्वारा 'आप' सरकार बनने के बाद स्कूलों से फारिग अध्यापकों के मुद्दा लगतार उठाया जा रहा है। जिसके बाद शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने इस पर कड़ा संज्ञान लिया है। शिक्षा मंत्री इस मामले पर पैनी नजर बनाए हुए हैं। अब देखने वाली बात यह है कि इस पर कब कार्यवाही होती है। शिक्षाविद इसे अच्छा कदम मानते है और अगर इन हजारों अध्यापकों की स्कूल वापसी होती है तो निश्चित ही स्कूलों में पढ़ाई का स्तर और बढ़ेगा जिसका सीधा लाभ विद्यार्थियों को होगा।
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