4100 करोड़ के बिजली घोटाले की सी.बी.आई. जांच करवाएं राज्यपाल

punjabkesari.in Thursday, Jan 16, 2020 - 08:39 AM (IST)

चंडीगढ़(अश्वनी): शिरोमणि अकाली दल ने पंजाब के राज्यपाल वी.पी. सिंह बदनौर से आग्रह किया कि वह राज्य में हाल ही में हुए 4100 करोड़ रुपए के बिजली घोटालों के संबंध में मंत्रियों, कांग्रेसी नेताओं तथा अधिकारियों के गठजोड़ की सी.बी.आई. जांच की सिफारिश करने के लिए कांग्रेस सरकार को निर्देश दें।

पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व में अकाली दल के उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से यह भी अनुरोध किया कि वह सरकार को घोटाले वाली फाइलों के साथ जुड़े सभी मंत्रियों तथा अधिकारियों को तुरंत बर्खास्त करने का निर्देश दें।  किसी भी किस्म की छेड़छाड़ से बचाने के लिए इन सभी फाइलों को तत्काल सील करने की मांग करते हुए प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से अनुरोध किया कि वह सरकार को इन घोटालों के कारण बढ़ाई बिजली दरों का भुगतान सरकारी खजाने से करने के लिए कहें तथा यह बोझ आम लोगों पर न डाला जाए। जांच के बाद यह अतिरिक्त बोझ उन व्यक्तियों से वसूला जाना चाहिए, जो दोषी पाए जाते हैं सुखबीर ने राज्यपाल को जानकारी दी कि कांग्रेसी नेताओं, मंत्रियों, उच्च अधिकारियों तथा प्राइवेट सैक्टर की कंपनियों द्वारा आपसी मिलीभगत से बड़े पैमाने पर किए भ्रष्टाचार के कारण राज्य को 4100 करोड़ रुपए का नुक्सान हुआ है। 

कांग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में झूठा बयान दिया 
बलविंद्र सिंह भूंदड़ व प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा कि कोयला धुलाई के जिस केस में सरकार को तत्काल 1400 करोड़ तथा 1100 करोड़ रुपए बाद में देने के लिए कहा गया है अकाली-भाजपा सरकार ने राजपुरा थर्मल प्लांट की मैनेजमैंट को स्पष्ट कर दिया था कि कोयले की धुलाई सफल बोलीकार को ही करवानी पड़ेगी। समझौते की शर्तें शुरू होते ही प्राइवेट कंपनियों से कोयले की धुलाई का खर्चा मांगना शुरू कर दिया था जिसे रद्द कर दिया था। अकाली-भाजपा सरकार समय प्राइवेट कंपनियों के इन दावों को पी.एस.ई.आर.सी. द्वारा तथा केंद्रीय अथॉरिटी ए.पी.टी.ई.एल. द्वारा भी रद्द कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने सत्ता संभालने के बाद बेइमानी करते हुए सुप्रीम कोर्ट में यह झूठा बयान दे दिया कि प्रोजैक्ट वाली जगह पर कोयले की कैलोरिफिक वैल्यू मापने की कोई पद्धति नहीं है। 

न्याय न मिला तो हाई कोर्ट जाएगी पार्टी 
बिक्रम सिंह मजीठिया तथा डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि एक कोयला कंपनी द्वारा लगाए दोषों पर पंचायती ट्रिब्यूनल के फैसले वाले केस में उच्च न्यायालय में एक सुनवाई के दौरान यह खुलासा हुआ था कि कोयला कंपनी को 1602 करोड़ रुपए का हर्जाना देने संबंधी ट्रिब्यूनल के इस फैसले को कांग्रेस सरकार ने अढ़ाई साल तक चुनौती नहीं दी थी। ट्रिब्यूनल के फैसले को चुनौती न देने के बावजूद सरकारी पक्ष ने ट्रिब्यूनल की कार्रवाई में भाग लेना जारी रखा। इससे साबित होता है कि कांग्रेस सरकार कोयला कंपनी से दोस्ताना मैच खेल रही थी।सुखबीर ने कहा कि कांग्रेस सरकार के पिछले 3 साल के कार्यकाल दौरान उपभोक्ताओं पर 2200 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ डाल दिया गया है। यदि इस मामले में न्याय न मिला तो पार्टी हाई कोर्ट जाएगी।  


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swetha

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