आजादी के 74 साल बाद भी फाजिल्का का गांव घल्लू ‘खरीद कर पी रहा है पानी’

punjabkesari.in Wednesday, May 26, 2021 - 10:39 AM (IST)

जालंधर/फाजिल्का(रमन सोढी/जगवंत बराड़) : बेशक राज्य की सरकारें पंजाब को विदेशी मुल्कों जैसा बनाने के दावे करती रही हैं परन्तु आजादी के 74 साल बाद भी सरहदी क्षेत्र के कुछ गांव ऐसे हैं जो बुनियादी सहूलतों से भी वंचित हैं। इसी तरह बल्लूआना हलके में पड़ता गांव घल्लू है जो अपनी दयनीय हालत पर आंसू बहा रहा है।

21वीं सदी के दौर में जहां अब मॉडर्न गांवों के लोग भी ऑटोमैटिक फिलटरों से बटन दबाकर पानी का गिलास भरते हैं और मोटर छोड़ कर खुले पानी के साथ अपनी कारों को धोते हैं वहीं इस गांव के निवासियों की किस्मत इतनी बुरी है कि आज भी वह प्यास बुझाने के लिए 3 किलोमीटर का रास्ता तय कर रहे हैं। हैरानी तो तब होती है जब गांव में वाटर वक्र्स होने के बावजूद लोगों के घर पानी नहीं पहुंच रहा। दरअसल इस गांव का जमीनी पानी पीने के योग्य नहीं है जिस कारण लोगों को नहरी पानी पर निर्भर रहना पड़ता है। पानी मुहैया करवाने के लिए बाकायदा एक वाटर वक्र्स बनाया गया है जो नहर से मोटर द्वारा पानी खींच कर स्टोर करता है। फिर गांव में सप्लाई किया जाता है।

यहां तक कि पानी की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए करीब अढ़ाई करोड़ की लागत से गांव के वाटर वक्र्स में फिल्टर लगा कर अपग्रेड किया गया परन्तु स्थानीय वासियों के मुताबिक ये सभी सहूलतें सफेद हाथी साबित हो रही हैं। वाटर वक्र्स की डिग्गियों में घास-फूस उगा हुआ है। नहरी पानी यहां नाममात्र ही पहुंचता है।  गांव वासी बलजिन्द्र सिंह के मुताबिक टिलों से वाटर वक्र्स तक पानी पहुंचता नहीं है, हम सरकारों के साथ भी जद्दोजहद करते रहते हैं। हम पर तो दोहरी मार पड़ रही  है, क्योंकि न तो फसलों के लिए पूरा पानी है और न हमारी प्यास बुझ रही है।  उनके मुताबिक गांव की पंचायत द्वारा नजदीक से गुजरती गंगा कैनाल से पानी की बारी भी ली गई है परन्तु फिर भी परनाला वहीं का वहीं है क्योंकि पानी की सप्लाई के लिए और गुणवत्ता के लिए बनाया गया वाटर वक्र्स और आर.ओ. सिस्टम खस्ता हो चुका है। लोगों को गांवों से दूर मोटरों या नलकों से पानी लाना पड़ रहा है, जिसकी गुणवत्ता भी ज्यादा अच्छी नहीं है।

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Vatika