मिसाल: बेबसी के सामने घुटने टेकने की बजाय ऐसे गुजारा कर रहा ये नेत्रहीन जोड़ा

punjabkesari.in Saturday, Jun 19, 2021 - 05:39 PM (IST)

गुरदासपुर (हरमन): जिले में सरहदी गांव गाहलड़ी में नेत्रहीन पति-पत्नी ने अपनी जिंदगी के आगे हार मानने की बजाय अपनी कला से न केवल जिंदगी व्यतीत करने के लिए कमाई का साधन पैदा किया है उसके साथ ही इस जोड़े ने ऐसे अन्य लोगों के लिए विलक्षण मिसाल पेश की है कि ईश्वरीय मार पड़ने के बावजूद भिक्षा मांगने की बजाय सख्त मेहनत करके जिंदगी का गुजारा करना चाहिए।


आज गांव गाहलड़ी के रहने वाले इस गुरसिख नेत्रहीन आसा सिंह और उसकी नेत्रहीन पत्नी नीलम कौर के साथ बातचीत करने पर उन्होंने बताया कि वह वह बचपन से ही नेत्रहीन हैं और दोनों ने बचपन में ही कीर्तन करना सीखना शुरू कर दिया था। वह 7 साल का था जब उसकी बहन ने खेलते हुए उसकी आंखों में गर्म राख डाल दी, जिस कारण वह छत से गिर पड़ा। इस हादसे के कारण उसकी आंखों की रोशनी चली गई। बचपन में वह काफी समय घर ही रहा और उसके मां बाप ने उसे कीर्तन सीखने के लिए गुरुद्वारा टाहली साहिब में रोजाना भेजना शुरू कर दिया। इसी गुरुघर में उसकी मुलाकात हैड ग्रंथी भाई सुच्चा सिंह से हुई, जिन्होंने उसे तबला सीखने के लिए उत्साहित किया और उसने तबला वादन का प्रशिक्षण लेकर इसी गुरुद्वारे में कीर्तन करना शुरू कर दिया।

दूसरी तरफ नीलम कौर ने बताया कि वह जम्मू के एक गांव से संबंधित है और वह जन्म से ही नेत्रहीन है। नेत्रहीन बच्चों के स्कूल में पढ़ाई करने के अतिरिक्त 10 साल की उम्र में ही उसके मां बाप ने उसे हार्मोनियम सिखाने के लिए अमृतसर के बीबी भाणी स्कूल में भेजना शुरू कर दिया और कीर्तन सीख कर उसने भी समागमों में कीर्तन करना शुरू कर दिया। किसी रिश्तेदार ने उन दोनों का विवाह करवा दिया। सरकार ने भी उन दोनों की 700-700 रुपए पैंशन लगाई हुई है।

इलाके के नेता व पूर्व चेयरमैन इन्द्रजीत सिंह बागी ने कहा कि यह गुरसिख परिवार है जिसकी मदद के लिए गुरुद्वारा साहिब की तरफ से उक्त जोड़े को 1-1 हजार रुपए प्रति महीना मदद देना भी शुरू किया जाएगा।

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Content Writer

Tania pathak