सिविल अस्पताल में फर्जी खेल बंद, 5 एम.एल.आर. रद्द
punjabkesari.in Monday, Dec 13, 2021 - 11:54 AM (IST)
अमृतसर (दलजीत): जिला स्तरीय सिविल अस्पताल में मेडिकल लीगल के अंतर्गत बनने वाली जाली 326 अब नहीं बन सकेगी। प्रशासन ने धारा 326 की पांच और मेडिको लीगल रिपोर्टस रद्द की हैं। इससे पहले नवंबर महीने में 21 एम.एल.आर. रद्द हुई थीं। अस्पताल के इंचार्ज डा. चंद्र मोहन को शक होने पर इस रिपोर्टस को रद्द किया है। दूसरी तरफ सिविल सर्जन डा. चरणजीत सिंह ने जिले के सभी सरकारी अस्पतालों को हुक्म दिया है कि यदि अब जाली 326 बनी तो वहीं का सीनियर मेडिकल अधिकारी जवाबदेह होगा।
जानकारी अनुसार सिविल अस्पताल में पिछले कई सालों से बनने वाली जाली 326 के मामले का पर्दाफाश हुआ है। अस्पताल के डाक्टर की तरफ से इन पांच मामलों में गंभीर चोटें दर्ज करके 326 का मामला तैयार किया गया था। इस रिपोर्टस पर अस्पताल प्रशासन को शक था कि अस्पताल के कर्मचारियों ने मिलीभगत कर एक पक्ष को फायदा दिलवाने के लिए मेडिको लीगल में धारा 326 की रिपोर्ट जारी की और संबंधित पुलिस थाने को भेजी। पुलिस इस रिपोर्ट के आधार पर एफ.आई.आर. दर्ज करने वाली थी परन्तु अब अस्पताल प्रशासन की तरफ से पुलिस को सूचना देने के बाद इस मामले पर रोक लग गई। सेहत मंत्री ओम प्रकाश सोनी ने सिविल सर्जन डा. चरणजीत सिंह के साथ इस संबंधी बात की थी। मंत्री ने कहा था कि 26 बनाने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करे।
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26 एम.एल.आरज पर था शक
सिविल अस्पताल के दोनों एस.एम.ओ. डा. चन्द्रमोहन ने पिछले डेढ़ महीने की मियाद में तैयार एम.एल.आर. की समीक्षा की। तकरीबन 75 रिपोर्टों की जांच में 26 एम.एल.आर. पर शक हुआ। इनको रद्द कर दिया गया है। अस्पताल प्रशासन ने यह स्पष्ट नहीं किया कि यह रिपोर्टें कौन से डाक्टरों या कर्मचारियों ने तैयार की।
रद्द की गलत रिपोर्टें संबंधित थानों में भेजी
डा. चंद्र मोहन अनुसार सभी गलत रिपोर्टों को संबंधित थाने में भेजा गया है। अब इसका फिर निरीक्षण होगा। भविष्य में 26 के नाम पर गलत रिपोर्ट न बने और पैसों की वसूली न हो, इसके लिए दोनों एस.एम.ओ. एक-एक रिपोर्ट की जांच करेंगे। 3 से 10 दिसंबर तक एक सप्ताह में 10 से ज्यादा एम.एल. आरज तैयार हुई हैं। किसी में भी धारा 326 दर्ज नहीं है।
क्या है छबीस?
धारा-326 का इस्तेमाल तब किया जाता है जब किसी ने किसी को बुरी तरह पीटा हो। इसमें सिर से लेकर पैर तक आई चोटों की जांच की जाती है। एक्स-रे, जरूरत पड़ने पर एम.आर.आई., सी.टी. स्केन और अल्ट्रासाउंड तक करवाया जा सकता है। सजा से बचने के लिए लोग 326 की रिपोर्ट तैयार न करवाने की एवज में डाक्टर या कर्मचारी को मोटी रकम देते हैं। यह धारा जबरन लगवाने के लिए भी नकद पैसों का खेल खेला जाता है।
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जाली 326 के द्वारा कई बेगुनाहों को मिल जाती है सजा
आर.टी.आई. एक्टिविस्ट और समाज सेवक जय गोपाल लाली और राजिन्दर शर्मा राजू ने बताया कि सिविल अस्पताल के अलावा बाकी अस्पतालों में भी जाली 326 का काम चल रहा है। पैसों के बलबूते पर कई लोग कसूर वालों को जाली 326 बना कर फंसा लेते हैं और कसूरवार लोग कई महीनों तक जेल में बंद रहते हैं। पंजाब सरकार यदि इस मामले को गंभीरता के साथ लेकर अभी तक बने 326 के मामले की जांच करवाए तो कई बड़े खुलासे हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में सेहत विभाग के कर्मचारी और डाक्टर भी मिले हुए हैं। इस मामले में जल्दी ही उनकी तरफ से नया खुलासा किया जाएगा।
सीनियर मेडिकल अधिकारियों को दिए आदेश
डा. चरणजीत सिंह ने बताया कि जिला स्तर सिविल अस्पताल में काफी रिपोर्टों को रद्द किया गया है बाकी जिले के सभी सीनियर मेडिकल आधिकारियों को आदेश दिए गए हैं कि यदि अब किसी भी अस्पताल में जाली रिपोर्ट तैयार हुई तो संबंधित डाक्टर के अलावा अस्पताल का इंचार्ज भी जवाबदेह होंगे।
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