पुलिस की गोली लगने से घायल हुए किसान के परिजन बोले, लगता है बार्डर पर रह रहे हैं

punjabkesari.in Tuesday, Dec 01, 2020 - 10:15 AM (IST)

फिल्लौर(भाखड़ी): शूटिंग दौरान पुलिस की गोली लगने से घायल हुआ किसान न्याय के इंतजार में अस्पताल में मौत से जूझ रहा है। पुलिस घायल किसान का इलाज करवाने को तो तैयार हुई है लेकिन अभी तक स्थानीय पुलिस ने गोली चलाने वाले आरोपी पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की है।

गौरतलब है कि 2 दिन पहले सुबह साढ़े 11 बजे तेहिंग रोड पर बने पंजाब पुलिस एकैडमी की शूटिंग रेंज पर लुधियाना पुलिस के अधिकारियों द्वारा राइफल से फायर करते वक्त बड़ी लापरवाही घटित हो गई जिससे निकली गोली ट्रैक्टर पर जा रहे किसान राज कुमार की छाती से आरपार हो गई जो सी.एम.सी. अस्पताल में मौत से जूझ रहा है।

सिर्फ इलाज करवाने का ही दिलासा देते हैं अधिकारी
गोली लगने से घायल हुए किसान के परिजनों व उसके बड़े भाई मनजीत सिंह जो पूर्व सरपंच है, ने बताया कि घटना के 48 घंटे बीत जाने के बाद भी न तो अभी तक आरोपी पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध जांच कर कोई कार्रवाई की गई और न ही घटना का कोई मुकद्दमा दर्ज किया गया जबकि उनका पारिवारिक सदस्य जो शूगर का मरीज है, अस्पताल में पड़ा मौत से जूझ रहा है। पहले स्थानीय पुलिस ने अस्पताल में पहुंच अपने पास से इलाज करवाने का भरोसा दिया था जबकि आज डी.एस.पी. हरपाल सिंह ग्रेवाल जिनके नेतृत्व में पुलिस अधिकारी शूटिंग कर रहे थे, उन्होंने भी इलाज करवाने का भरोसा दिया है। कार्रवाई करने की कोई भी पुलिस अधिकारी बात ही नहीं कर रहा। मनजीत सिंह ने कहा अगर किसी आम व्यक्ति से ऐसे गलती से गोली चल जाती तो अभी तक पुलिस इरादा-ए-कत्ल का मुकद्दमा दर्ज कर हथियार तक जब्त करवा लेती।

लोग बोले- लगता है बार्डर पर रह रहे हों
गांववासियों सतपाल सिंह, हरमेश राही, हरजिंद्र कलसी, संतोख सिंह गिल ने वहां पहुंचे पत्रकारों को सैंकड़ों की गिनती में गोलियां दिखाते हुए बताया कि ये सभी गोलियां वे हैं जो पुलिस द्वारा शूटिंग रेंज पर निशानेबाजी करते वक्त बरती गई लापरवाही के चलते उनके घरों की दीवारों में आए दिन आकर लगती हैं। हर वक्त ठा-ठा की आवाज उनके कानों में गूंजती है व ऐसा लगता है कि वे अपने गांव में नहीं बल्कि बार्डर एरिया में रहते हों। हर वक्त जान जाने का खतरा उनके सिर पर मंडराता है।

सिर पर बर्तन रखकर निकलते हैं घरों से बाहर
गांववासियों ने बताया कि हालात इतने खराब हो चुके हैं कि शूटिंग रेंज पर गोलियां चलने के दौरान मजबूरी में अगर किसी गांववासी ने घर से बाहर जाना हो तो वे अपने सिरों पर पतीला या फिर अन्य बर्तनों के अलावा हैल्मेट पहनकर निकलते है। हर वक्त डर लगा रहता है न जाने कब गोली उनके सिर में आकर लग जाए।

शूटिंग रेंज बंद करवाने के लिए 3 गांवों की पंचायतें डालेंगी प्रस्ताव
ग्रामीणों ने बताया कि जब यहां शूटिंग रेंज बनीं थी, तब यहां कोई आबादी नहीं होती थी अब रेंज के आसपास 3000 से ज्यादा लोग घर बनाकर रह रहे हैं। यही कारण है कि आए दिन गोलियां उनके घरों में आकर लगती हैं। उन्होंने बताया कि इस शूटिंग रेंज को बंद करवाने के लिए 3 गांवों सैफाबाद, तेहिंग व बछौवाल की पंचायतें शीघ्र प्रस्ताव डालने जा रही है। उसके बावजूद भी अगर इस रेंज को दोबारा चालू किया जाता है तो गांववासी वहां तब तक धरना देकर बैठे रहेंगे, जब तक उच्चाधिकारी पूरी तरह से उसे यहां से बदलने का आश्वासन नहीं देते।

Sunita sarangal