Farmer Protest: अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मिला समर्थन, विभिन्न देशों में प्रदर्शन

punjabkesari.in Saturday, Dec 05, 2020 - 12:26 PM (IST)

चंडीगढ़(रमनजीत सिंह): लगभग दो माह से पंजाब में और अब राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की चौखट तक पहुंच चुके नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन को मिल रहे समर्थन का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। न सिर्फ देश के विभिन्न राज्यों से सामाजिक और भावनात्मक समर्थन हासिल हो रहा है, बल्कि विदेशों में भी पक्ष में आवाज बुलंद हो रही है।

कैनेडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी किसान आंदोलन को समर्थन का ऐलान किया है। हालांकि उनके समर्थन को भारत सरकार ने गैर-जरूरी करार दिया। विदेशों में आंदोलन की चर्चा से न सिर्फ किसान संगठनों को हौसला मिला है, बल्कि ग्लोबल हो रहे इस प्रोटैस्ट को देख युवाओं की भागीदारी भी बढ़ रही है। 

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में शुरू हुए शांतिमय किसान आंदोलन की चर्चा न सिर्फ एशिया पैसीफिक, बल्कि सात समंदर पार अमरीकी महाद्वीप के देशों में भी छिड़ी हुई है। कैनेडा के शहरों वैंकूवर, सरी, टोरांटो, ओटवा और अमरीकी राज्यों, जिनमें कैलीफोर्निया से लेकर न्यूयॉर्क तक शामिल हैं, आंदोलनकारी किसानों के समर्थन में प्रदर्शन और कार रैलियां हो रही हैं। भारतीय मूल के लोगों की अच्छी-खासी मौजूदगी होने के कारण यूरोपीय देशों में भी किसानों के आंदोलन को समर्थन मिल रहा है। वहीं, ऑस्ट्रेलियन महाद्वीप पर भी भारत में प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में लोगों ने प्रोटैस्ट रैलियों का आयोजन किया है।

उधर, पड़ोसी देश पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी किसान आंदोलन का समर्थन किया जिस पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। किसान आंदोलन के समर्थन में जिन देशों में प्रदर्शन हो रहे हैं, वह वही देश हैं, जहां पर पंजाबी मूल के लोगों की आबादी अच्छी-खासी है।

भारतीय दूतावासों को देनी पड़ रही है सफाई
लगभग एक हफ्ते से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा जमाए किसानों के समर्थन और हरियाणा सरकार द्वारा किसानों को रोकने के लिए बरती गई ताकत के खिलाफ देशों-विदेशों में हो रहे प्रदर्शनों की वजह से भारत सरकार को विदेशों में अपने दूतावासों को इस मामले में सक्रिय करना पड़ा। कैनेडा, फ्रांस, चीन, पाकिस्तान, यू.के. और कुछ अन्य देशों में स्थित दूतावासों को नए कृषि कानूनों पर फैलाए जा भ्रम दूर करने के लिए ‘फैक्टस एंड मिथ्स’ कैंपेन चलाना पड़ा। इसके जरिए नए कृषि कानूनों के बारे में तथ्यात्मक जानकारी साझा कर भ्रामक प्रचार की काट करने का प्रयास किया गया है। 

खुफिया एजैंसियां हुईं सतर्क
किसान आंदोलन को विदेशों से मिल रहे समर्थन को देखते हुए भारतीय खुफिया एजैंसियां भी सतर्क हो गई हैं। यह ध्यान रखा जा रहा है कि कहीं किसान आंदोलन के समर्थन की आड़ में विदेशों में बैठे आतंक समर्थक ग्रुपों द्वारा भारत में गड़बड़ी फैलाने का प्रयास न किया जाए। किसान संगठनों को विदेशों से मिल रही आर्थिक सहायता पर भी नजर रखी जा रही है। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि विदेशी आर्थिक सहायता का इस्तेमाल किसान आंदोलन के अलावा किसी असामाजिक गतिविधि में न हो।

ध्यान रहे कि किसान आंदोलन के दौरान ही भारत द्वारा प्रतिबंधित सिख्स फॉर जस्टिस नामक आतंकी संगठन ने किसानों को आर्थिक समर्थन देने का ऐलान किया था, क्योंकि संगठन काफी समय से पंजाब में दहशतगर्दी गतिविधियों को अंजाम देने के प्रयास करता रहा है। इसलिए पंजाब पुलिस और देश की खुफिया एजैंसियों को इस मामले को गंभीरता से लेना पड़ा है।

गायकों और अदाकारों की सक्रियता से भी बढ़ा समर्थन
इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि किसान आंदोलन को इस बार युवा पीढ़ी का भरपूर सहयोग मिल रहा है। इसमें जहां किसान संगठनों द्वारा कई महीनों से चलाए जा रहे जागरूकता अभियान की बड़ी भागीदारी रही है, वहीं पंजाबी गीत-संगीत व फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों की सक्रियता के योगदान से भी इनकार नहीं किया जा सकता। किसानों के प्रोग्राम के तहत ही शंभू बॉर्डर पर लगे पक्के मोर्चे में कई पंजाबी गायकों और फिल्मी अदाकारों ने शमूलियत की और युवाओं के समर्थन से लगातार मोर्चे को सुदृढ़ किया गया। 

दिलजीत दोसांझ और गुरदास मान से लेकर कंवर ग्रेवाल सरीखे गायकों और अदाकारों ने न सिर्फ पंजाब बल्कि देशभर के लोगों से किसान आंदोलन को समर्थन देने की अपील की। दिल्ली बॉर्डर पर लगे मोर्चों पर भी एक सप्ताह दौरान कई गायक व कलाकार अपनी हाजिरी लगवा चुके हैं। कहा जा रहा है कि गायकों व कलाकारों पर विदेशों में बसे पंजाबियों द्वारा समर्थन का दबाव बनाया जा रहा है। विदेशी धरती पर फिल्मों व लाइव शो को होने वाली कमाई के मद्देनजर कलाकार आंदोलन में ‘सामाजिक व नैतिक’ जिम्मेदारी निभाने पहुंच रहे हैं।

Sunita sarangal