Farmers'' protest 2.0: किसानों का ''दिल्ली चलो'' प्रदर्शन 2020 के आंदोलन से कैसे अलग? एक Click में जानें सब कुछ...
punjabkesari.in Tuesday, Feb 13, 2024 - 09:37 AM (IST)

पंजाब डेस्कः किसान आंदोलन 2.0 के लिए किसान एक बार फिर सड़कों पर उतर आए हैं। पंजाब, हरियाणा और यूपी के अलावा कई अन्य राज्यों के किसान 13 फरवरी को दिल्ली कूच करने की तैयारी में हैं। करीब दो साल पहले तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसानों ने दिल्ली की घेराबंदी की थी। दरअसल, सोमवार रात किसान नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बीच आखिरी दौर की बातचीत बेनतीजा रही, जिसके बाद मंगलवार को 200 से अधिक किसान संगठन दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि किसानों द्वारा उठाए गए अधिकांश मुद्दों पर सहमति बन गई है और सरकार ने अन्य मुद्दों के समाधान के लिए एक कमेटी बनाने का प्रस्ताव रखा है। किसान नेताओं ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की कोई स्पष्टता नहीं है। कई किसान संगठनों और किसान नेताओं के ट्विटर एवं सोशल मीडिया हैंडल बंद कर दिए गए है। एम.एस.पी. और कर्जा माफी की मांग पर किसानों ने केंद्र सरकार को मंगलवार सुबह 10 बजे तक का अल्टीमेटम दिया है। उसके बाद किसान दिल्ली कूच करेंगे। उधर, हरियाणा सरकार ने किसानों के साल 2020-21 के विरोध प्रदर्शन को फिर से शुरू न होने देने के प्रयास में दिल्ली की सीमाओं को मजबूत कर दिया गया है। सरकार की तरफ से किसानों को रोकने के लिए चारों तरह से घेराबंदी कर दी गई है ताकि प्रदर्शनकारी पंजाब से हरियाणा में ना घुस पाए। आईए, एक नजर डालते है कि "दिल्ली चलो" मार्च 2020 के प्रदर्शन से कैसे अलग हैः-
अब फिर से क्यों सड़कों पर किसान ?
वर्ष 2020 में, किसानों द्वारा तीन कृषि कानूनों का विरोध किया गया। करीब एक साल तक के प्रदर्शन के बाद मोदी सरकार द्वारा इन कानूनों को वापस ले लिया गया था। हालांकि, इस बार फसलों के लिए MSP की कानूनी गारंटी, स्वामीनाथन आयोग के फॉर्मूले को लागू करने, किसानों के लिए पूर्ण कर्ज माफी, किसानों और मजदूरों के लिए पेंशन, 2020-21 के विरोध के दौरान किसानों के खिलाफ मामलों को वापस लेने की मांग करते हुए 2023 में दिल्ली चलो का ऐलान किया गया था।
सरकार ने दिल्ली में लगाई धारा 144
किसानों को दिल्ली न पहुंचने देने के लिए सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। हजारों की तादाद में पुलिस जवान मौजूद है। अगर बात करें साल 2020 की किसान दिल्ली में घुसने के लिए सक्षम थे, लेकिन इस बार प्रशासन ने कड़े कदम उठाए हैं। यहां तक कि दिल्ली में धारा 144 लागू कर दी गई है, वहीं हरियाणा सरकार ने पंजाब से लगते सारे Border सील कर दिए गए है।
"दिल्ली चलो" मार्च की कमान किसके हाथ?
दिल्ली चलो मार्च का नेतृत्व विभिन्न यूनियनों द्वारा किया जा रहा है क्योंकि पिछले कुछ सालों में किसान यूनियनों का परिदृश्य बदल गया है। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने दिल्ली चलो 2.0 का ऐलान किया है। भारतीय किसान यूनियन, संयुक्त किसान मोर्चा, जिसने किसानों के 2020 के विरोध का नेतृत्व किया, में कई गुटबाजी भी अब नजर आई है।
क्या दिल्ली चलो 2.0 के हिस्सा नहीं राकेश टिकैत और गुरनाम सिंह चारुनी
साल 2020 के किसान आंदोलन के दौरान राकेश टिकैत और गुरनाम सिंह चारुनी प्रमुख नेता थे, यानि इन दोनों के हाथ में किसान आंदोलन की कमान थी लेकिन वे इस बार कहीं नज़र नहीं आ रहे हैं। हालांकि अब की बार SKM (गैर राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल और सरवन सिंह पंधेर के महासचिव सरवन सिंह पंधेर अब सबसे आगे हैं।
सरकार का क्या है रुख?
सरकार ने इस बार किसानों के दिल्ली चलो मार्च से पहले ही बातचीत की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। किसान नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बीच पहली बैठक 8 फरवरी जबकि दूसरी बैठक 12 फरवरी को। रिपोर्ट्स की मानें तो, सरकार ने अब निरस्त कृषि कानूनों के खिलाफ 2020-21 के आंदोलन के दौरान दर्ज किसानों के खिलाफ सभी मामलों को वापस लेने की मांग स्वीकार कर ली, लेकिन MSP की कोई गारंटी नहीं दी थी।