बिजली और बिजाई मुद्दे पर किसान जत्थेबंदियां दोफाड़

punjabkesari.in Friday, May 13, 2022 - 11:00 AM (IST)

चंडीगढ़(रमनजीत): पंजाब की 23 किसान जत्थेबंदियों द्वारा धान की बिजाई के लिए बिजली और अन्य मांगें पूरी न होने की सूरत में 17 मई से चंडीगढ़ में पक्का मोर्चा लगाने संबंधी ऐलान को लेकर किसान जत्थेबंदियां दोफाड़ हो गई हैं।

भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) ने कहा कि वह पक्के मोर्चे के लिए सहमत नहीं है। मसले का हल सरकार से बातचीत करके निपट सकता है और इसलिए उनकी तरफ से कई सुझाव पंजाब सरकार को भेजे हुए हैं। जत्थेबंदी ने पंजाब का जलस्तर घटने पर किसानों को दोषी ठहराने वालों को जवाब देते हुए कहा कि इसका कसूर भी सरकारों की नीतियों का ही है क्योंकि किसानों ने सरकारी सलाह मुताबिक ही हरित क्रांति के लिए पंजाब में धान की फसल लगाना शुरू किया जबकि धान की फसल पंजाब की फसल ही नहीं है।राज्य प्रधान जोगिंद्र सिंह उगराहां ने यहां प्रैस कांफ्रैंस के दौरान कहा कि सरकार का धान की फसल लगाने संबंधी फैसला बेशक बिजली की किल्लत को ध्यान में रखते हुए गलत नहीं है लेकिन इस संबंधी सरकार ने किसान जत्थेबंदियों के साथ मिल बैठकर तसल्लीबख्श हल निकालने की बजाय एकतरफा फैसले लागू करने शुरू कर दिए हैं। सरकार को किसान जत्थेबंदियों से बातचीत करके हल निकालना चाहिए।

उन्होंने कहा कि सीधी बिजाई के लिए 1500 रुपए रिस्क भत्ता काफी नहीं है, यदि यह 10,000 रुपए प्रति एकड़ होता तो किसानों के काफी बड़े हिस्से ने सीधी बिजाई के लिए राजी हो जाना था। वहीं, सरकार ने मूंग की दाल, बासमती और मक्का की सरकारी खरीद की गारंटी नहीं दी। पछेते धान वाले किसानों को बनता भत्ता नहीं दिया गया। गेहूं बीजने में पछेत का नुक्सान होता है और लेट होने के कारण पराली के घने धुएं की समस्या भी बढ़ जाती है।

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Vatika