किसानों के बाद अब पंजाब सरकार खेत मजदूरों के ऋण भी करेगी माफ

punjabkesari.in Friday, Jan 18, 2019 - 10:48 AM (IST)

जालंधर(धवन): पंजाब में कांग्रेस सरकार ने अब किसानों के ऋण माफ करने के बाद खेत मजदूरों के ऋण भी माफ करने का निर्णय लिया है तथा इस संबंध में राज्य के लगभग 2.60 लाख भूमिहीन खेत मजदूरों के बारे में बैंकों से आंकड़े मंगवाए गए हैं।

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह द्वारा लिए गए इस फैसले के बाद संबंधित सरकारी विभाग हरकत में आ गए हैं। सरकार यह मान कर चल रही है कि भूमिहीन खेत मजदूरों के ऋण माफ करने से सरकार पर लगभग 450 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा। इससे पहले रा’य के किसानों के लगभग 10,000 करोड़ के ऋण माफ किए गए हैं। इसके तहत 2 चरणों का कार्य पूरा हो चुका है तथा तीसरे चरण में व्यापारिक बैंकों से लिए गए किसानों के ऋणों को माफ किया जा रहा है। सहकारी बैंकों के आंकड़े कैप्टन सरकार के पास पहुंच चुके हैं, जिसके अनुसार लगभग 2.60 लाख भूमिहीन किसानों ने सहकारी बैंकों से ऋण लिया हुआ है। चाहे इन खेत मजदूरों ने अपने ऋणों का भुगतान किया हुआ है परंतु अभी भी मूल रकम उन पर बकाया पड़ी है। सहकारी विभाग ने खेत मजदूरों से संबंधित ऋणों के आंकड़े मुख्यमंत्री कार्यालय को भेज दिए हैं। कैप्टन सरकार चाहती है कि खेत मजदूरों के ऋण माफ करने के पहले चरण का ऐलान लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले कर दिया जाए।

आदर्श चुनाव आचार संहिता अप्रैल महीने में लागू होगी, जब केन्द्रीय चुनाव आयोग द्वारा लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया जाएगा। सरकारी सूत्रों ने बताया कि खेत मजदूरों के ऋणों को माफ करने का सरकारी तौर पर ऐलान उस समय किया जाएगा जब सरकार खेत मजदूरों द्वारा लिए गए ऋणों के बारे में समूचे आंकड़ों का अध्ययन कर लेगी। अधिकांश भूमिहीन खेत मजदूरों ने सहकारी बैंकों से ही ऋण लिए हुए हैं क्योंकि व्यापारिक बैंकों द्वारा भूमिहीन खेत मजदूरों को ऋण नहीं दिए जाते हैं क्योंकि उनके पास बैंकों को देने के लिए कोई गारंटी नहीं होती है। वहीं कैप्टन सरकार अब तक राज्य में 2.36 लाख छोटे किसानों को ऋण माफी के तौर पर 3481 करोड़ के सर्टीफिकेट वितरित कर चुकी है। यह वह किसान हैं, जो अढ़ाई एकड़ जमीन के मालिक हैं तथा जिन्होंने सहकारी व व्यापारिक बैंकों से ऋण लिया हुआ था। कैप्टन सरकार द्वारा जल्द ही अब किसान ऋण माफी के तीसरे चरण की शुरुआत की जा रही है। इसमें उन किसानों को शामिल किया जा रहा है, जो 5 एकड़ से कम जमीन के मालिक हैं।

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